Ghotala खुलासा : वन विकास निगम के लालकुआं डिपो में करोड़ों का घोटाला
परिचय
उत्तराखंड राज्य वन विकास निगम के लालकुआं डिपो चार और पांच में करोड़ों रुपये के घोटाले का मामला प्रकाश में आया है। निगम की विशेष आंतरिक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि डिपो में लकड़ी की अवैध निकासी, वित्तीय अनियमितता और गबन हुआ है। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि इस प्रकरण की जांच के लिए एसआईटी (विशेष जांच टीम) को आदेश दिए गए हैं। इस लेख में, हम इस घोटाले की विस्तृत जानकारी और इसके प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
घोटाले का प्रारंभिक विवरण
निगम की आंतरिक रिपोर्ट के अनुसार, लालकुआं डिपो चार और पांच में अगस्त 2023 से सितंबर 2023 के बीच किए गए ऑडिट के दौरान यह पाया गया कि लेजर तैयार करने में नियमों का पालन नहीं हुआ। रिपोर्ट में बताया गया कि नीलामी में तिथिवार क्रम में खतौनी नहीं मिली और जीएसटी की खतौनी में लाट संख्या का उल्लेख नहीं था। इसके अलावा, क्रेताओं के खातों में विक्रय मूल्य एवं टैक्स मद में पूरी धनराशि प्राप्त किए बिना एक करोड़ 79 लाख से अधिक के बिल जारी किए गए थे।
राजस्व हानि और वित्तीय अनियमितताएँ
रिपोर्ट में पाया गया कि क्रेताओं के खातों में 27 लाख से अधिक की क्रेडिट धनराशि का समायोजन नहीं किया गया था। इसके साथ ही, विभाग के राजस्व का गबन भी सामने आया। एक नीलामी में, जिस लाट को 26,800 रुपये में बेचा गया था, उसकी मास्टर कॉपी में भी यही धनराशि दर्ज थी। लेकिन विक्रय लाट रजिस्टर में फ्लूड लगाकर ओवरराइटिंग करते हुए विक्रय मूल्य 1,98,000 रुपये अंकित कर निगम को 70,000 रुपये की क्षति पहुंचाई गई। अन्य लाटों की नीलामी में भी इसी प्रकार की अनियमितताएँ ऑडिट में पकड़ी गईं।
लेखाकार पद में अनियमितताएँ
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि लालकुआं डिपो चार के लेखाकार पद का दायित्व चतुर्थ श्रेणी से स्केलर पद पर पदोन्नत कर्मचारी को नियमों को ताक पर रखकर दिया गया था। यह नियुक्ति नियमों के उल्लंघन का स्पष्ट उदाहरण है और इससे निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
उत्तराखंड वन विकास निगम कर्मचारी संघ की प्रतिक्रिया
उत्तराखंड वन विकास निगम कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष टी.एस. बिष्ट ने इस मामले पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार, निगम में 6 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। निगम के करोड़ों रुपये के राजस्व, जीएसटी और टीडीएस का गबन किया गया है। यह स्थिति अत्यंत गंभीर है और निगम के वित्तीय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
क्षेत्रीय प्रबंधक की कार्रवाई
उत्तराखंड वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक हरीश पाल ने 3 मई 2024 को प्रभागीय विक्रय प्रबंधक हल्द्वानी को पत्र लिखकर ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। पत्र में कहा गया है कि लालकुआं डिपो संख्या चार और पांच में राजस्व हानि, अवैध निकासी, गबन और वित्तीय अनियमितता प्रकाश में आई है। प्रकरण में दोषी कर्मचारियों के खिलाफ जल्द कार्रवाई की जाए।
एसआईटी जांच के आदेश
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी को जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि निगम में किसी भी तरह की अनियमितता पर दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। एसआईटी की जांच से यह उम्मीद की जा रही है कि दोषियों को उचित सजा मिलेगी और निगम की कार्यप्रणाली में सुधार होगा।
निष्कर्ष
उत्तराखंड राज्य वन विकास निगम के लालकुआं डिपो में हुए करोड़ों के घोटाले ने निगम की साख पर गंभीर धक्का पहुंचाया है। इस प्रकरण ने निगम की कार्यप्रणाली, पारदर्शिता और जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, एसआईटी जांच और वन मंत्री सुबोध उनियाल के कठोर रुख से उम्मीद की जा सकती है कि दोषियों को उचित सजा मिलेगी और भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। यह मामला एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि सार्वजनिक संस्थानों में पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हम उम्मीद करते हैं कि इस घोटाले की जांच और इसके परिणामस्वरूप उठाए गए कदम निगम की साख को पुनः स्थापित करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में मददगार साबित होंगे। इस घटना से सीख लेते हुए, अन्य संस्थान भी अपने आंतरिक नियंत्रण और ऑडिट प्रक्रियाओं को मजबूत करेंगे, ताकि सार्वजनिक धन का सही उपयोग हो सके और जनता का विश्वास बनाए रखा जा सके।