Ebsco Discovey Service कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल में एब्सको की महत्वपूर्ण व्याख्यान श्रृंखला: डिजिटल युग में अनुसंधान के नए आयाम
कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के मेजर राजेश अधिकारी केंद्रीय पुस्तकालय ने एक महत्वपूर्ण व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया, जिसमें एब्सको डिस्कवरी सर्विसेज (EDS) की नवीनतम सेवाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया। इस व्याख्यान का उद्देश्य छात्रों और शोधार्थियों को डिजिटल युग में अनुसंधान के नए आयामों से परिचित कराना था। इस कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय, आईयूएसी, आईआईसी सेल और एलुमनी सेल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
एब्सको डिस्कवरी सर्विसेज: एक व्यापक अनुसंधान उपकरण
एब्सको डिस्कवरी सर्विसेज, जिसे EDS के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्याधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो गूगल की तरह ही इलेक्ट्रॉनिक संसाधन, पुस्तकालय कैटलॉग, डेटाबेस, ई-जर्नल्स और ई-बुक्स की सुविधा प्रदान करता है। EDS का मुख्य उद्देश्य शोधार्थियों को एक सिंगल सर्च बॉक्स में सभी प्रकार की अनुसंधान सामग्रियों को प्राप्त करने की सुविधा देना है। सास के निदेशक सत्यजीत बालियान ने बताया कि EDS एक केंद्रीय इंडेक्स है जिसमें 2 बिलियन से अधिक शीर्षक शामिल हैं, जो शोध पत्र, जर्नल और वीडियो के रूप में उपलब्ध हैं। यह प्रणाली शोध के लिए आवश्यक बुनियादी जानकारी भी प्रदान करती है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित फिल्टरिंग तकनीक का उपयोग करती है।
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एब्सको की विशेषताएं और इसके लाभ
EDS की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह शोधकर्ताओं को एक ही मंच पर विभिन्न प्रकार की सूचनाओं तक पहुंच प्रदान करता है। इसका मतलब है कि शोधार्थियों को अलग-अलग प्लेटफार्मों पर जाने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि वे एक ही जगह से अपनी आवश्यक सामग्रियों को खोज और प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, EDS में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित फिल्टरिंग तकनीक उपयोग की जाती है, जो शोधकर्ताओं को उनके विशिष्ट अनुसंधान की जरूरतों के अनुसार सामग्री खोजने में मदद करती है।
सत्यजीत बालियान ने बताया कि EDS का उपयोग न केवल भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों जैसे कि हावर्ड और आईआईएमएस में हो रहा है, बल्कि इसे उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों में भी बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है। यह प्लेटफार्म शोधकर्ताओं को विभिन्न रिपोर्ट्स, बुक्स और जर्नल्स तक पहुंच प्रदान करता है, जिससे उनका शोध कार्य अधिक संगठित और प्रभावी बनता है।
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ऑनलाइन व्याख्यान का संचालन और भागीदारी
इस ऑनलाइन कार्यक्रम का संचालन निदेशक प्रोफेसर ललित तिवारी ने किया। उन्होंने धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की और एब्सको की विशेषताओं और उपयोगिता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर युगल जोशी ने कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे, जिससे चर्चा और भी समृद्ध हो गई।
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कार्यक्रम में 40 से अधिक लोग शामिल थे, जिनमें प्रोफेसर नीलू लोधियाल, डॉक्टर हिमांशु लोहनी, डॉक्टर कृष्ण टम्टा, डॉक्टर आशीष कुमार, डॉक्टर बीएस कालाकोटी, डॉक्टर बिजेंद्र पोंडवाल, डॉक्टर संदीप मैंडोली, डॉक्टर गुंजन पाठक, दिशा, गीतांजलि, वसुंधरा, अंशुल, डॉक्टर प्रभा, लता, प्रांजलि, रिद्धि, सिद्धि, अंचलेश आदि प्रमुख थे। सभी उपस्थित व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम की सराहना की और इसे अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
अनुसंधान के क्षेत्र में एब्सको का योगदान
एब्सको का मुख्य उद्देश्य शोधकर्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान सामग्री तक आसान पहुंच प्रदान करना है। इस प्रणाली की मदद से शोधकर्ता अपने विषय के नवीनतम और प्रासंगिक शोध पत्रों, जर्नल्स और अन्य सामग्री को सरलता से प्राप्त कर सकते हैं। यह प्लेटफार्म न केवल शोधकर्ताओं के समय और प्रयास की बचत करता है, बल्कि उन्हें बेहतर और अधिक संगठित अनुसंधान करने में भी मदद करता है।
निष्कर्ष
कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल में आयोजित इस व्याख्यान ने एब्सको डिस्कवरी सर्विसेज की उपयोगिता और महत्व को स्पष्ट रूप से दर्शाया। डिजिटल युग में, जब सूचना की प्रचुरता और विविधता दोनों ही बढ़ रही हैं, ऐसे प्लेटफार्म अनुसंधान को सरल और प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार के व्याख्यान और कार्यशालाएं शोधकर्ताओं को नवीनतम तकनीकों और उपकरणों से परिचित कराती हैं, जिससे वे अपने शोध कार्य को अधिक व्यवस्थित और गुणवत्तापूर्ण बना सकते हैं। एब्सको के माध्यम से कुमाऊं विश्वविद्यालय ने अपने शोधार्थियों को एक अत्याधुनिक संसाधन प्रदान किया है, जो उनके अकादमिक और पेशेवर विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।