Dussehra Mela Program दशहरा: बुराई पर अच्छाई की विजय और सांस्कृतिक मूल्यों का उत्सव
Dussehra Mela Program : दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और हमें धर्म, सत्य और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। हर वर्ष देश के विभिन्न हिस्सों में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का दहन कर यह त्योहार मनाया जाता है, जो यह संदेश देता है कि चाहे व्यक्ति कितना भी बलवान और शक्तिशाली क्यों न हो, अगर वह अधर्म और अहंकार के मार्ग पर चलता है, तो उसका अंत अवश्यंभावी है।
इसी संदेश को ध्यान में रखते हुए, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने लक्ष्मण चौक, देहरादून में आयोजित दशहरा मेला में भाग लिया। इस कार्यक्रम में उन्होंने सांकेतिक रूप से रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनता को दशहरे की शुभकामनाएँ देते हुए भगवान श्रीराम के जीवन और उनके आदर्शों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
श्रीराम का जीवन: धर्म और कर्तव्य का आदर्श Dussehra Mela Program
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि भगवान श्रीराम का जीवन हमें सत्य, धर्म और कर्तव्य का मार्ग दिखाता है। श्रीराम केवल एक आदर्श पुत्र, पति और राजा नहीं थे, बल्कि वे समाज के लिए धर्म और सत्य का प्रतिरूप थे। उनके जीवन से यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में हमेशा सत्य और कर्तव्य का पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “दशहरा पर्व हमें यह सिखाता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अगर वह अधर्म और अन्याय के रास्ते पर चलता है, तो उसका पतन निश्चित है। रावण, जो शक्ति और विद्वता में अद्वितीय था, केवल अहंकार और अधर्म के कारण विनाश का शिकार हुआ।” इस प्रकार दशहरा हमें अपने जीवन से अहंकार और अधर्म को दूर करने की प्रेरणा देता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राम मंदिर का निर्माण
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का भी उल्लेख किया और बताया कि उनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व में अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण संभव हुआ है। यह मंदिर न केवल भारतीय संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि यह पूरे देशवासियों की आस्था का केंद्र भी है। राम मंदिर का निर्माण केवल एक भौतिक संरचना का निर्माण नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक भी है। Dussehra Mela Program
राज्य की सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर यह भी कहा कि राज्य सरकार प्रदेश की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत है। उत्तराखंड के धार्मिक स्थल और सांस्कृतिक मेले केवल पर्यटन के केंद्र नहीं हैं, बल्कि वे आस्था और परंपराओं के संवाहक भी हैं। राज्य सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रदेश के इन सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित किया जाए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनसे प्रेरणा ले सकें।
रामराज्य का आदर्श और समान नागरिक संहिता
श्री धामी ने कहा कि रामराज्य का आदर्श हर व्यक्ति को समान अधिकार और सम्मान देने से स्थापित होता है। राज्य सरकार भी रामराज्य के आदर्शों को साकार करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए विधेयक पारित कर दिया गया है, जो प्रदेश में समानता और न्याय के सिद्धांतों को बढ़ावा देगा।
उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड की पवित्र भूमि का सनातन स्वरूप हमेशा सुरक्षित रहेगा और राज्य सरकार डेमोग्राफी में किसी भी प्रकार के बदलाव को बर्दाश्त नहीं करेगी। राज्य का मूल स्वरूप और सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने के लिए सरकार सतर्क है और आवश्यक कदम उठा रही है। Dussehra Mela Program
दशहरा: समाज कल्याण के लिए शक्ति और ज्ञान का उपयोग
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भगवान श्रीराम के जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि शक्ति और ज्ञान का सही उपयोग समाज के कल्याण के लिए करना चाहिए। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि व्यक्ति की शक्ति और विद्वता का माप उसके कर्मों से होता है। उन्होंने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे अपने जीवन में सत्य, धर्म और कर्तव्य का पालन करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।
दशहरा मेले का सांस्कृतिक महत्व
उत्तराखंड में दशहरा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक आयोजन भी है, जो लोगों को एक साथ लाने का काम करता है। विभिन्न स्थानों पर आयोजित होने वाले दशहरा मेले राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं, जहाँ लोग अपनी परंपराओं और मान्यताओं का उत्सव मनाते हैं। यह मेला न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट करता है, बल्कि सामाजिक समरसता और भाईचारे का भी प्रतीक है।
दशहरा से प्राप्त प्रेरणा Dussehra Mela Program
दशहरा हमें यह सिखाता है कि जीवन में किसी भी प्रकार का अहंकार और अधर्म अंततः विनाश की ओर ले जाता है। इस पर्व के माध्यम से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें हमेशा सत्य, धर्म और कर्तव्य के मार्ग पर चलना चाहिए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह संदेश हमें याद दिलाता है कि यदि हम भगवान श्रीराम के आदर्शों का पालन करेंगे, तो हमारा जीवन न केवल सफल होगा, बल्कि हम समाज के कल्याण में भी योगदान दे सकेंगे। राज्य सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता का क्रियान्वयन और सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
दशहरा का पर्व हर वर्ष हमें अपने जीवन मूल्यों की समीक्षा करने और उनमें सुधार लाने का अवसर प्रदान करता है। यह पर्व केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है, जो हमें अपने कर्मों के प्रति जागरूक होने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की प्रेरणा देता है।