डॉ. शेर सिंह सामंत एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और शोधकर्ता हैं, जिन्होंने विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया है। हाल ही में उन्हें इंटरनेशनल प्लांट साइंस लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उनके दीर्घकालिक अनुसंधान और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
डॉ. सामंत वर्तमान में मानसखंड साइंस सेंटर, सुनौल श्यालीधार (यूकॉस्ट) में एमिरेटस साइंटिस्ट के रूप में कार्यरत हैं। इसके अलावा, वे एचएफआरई शिमला के पूर्व निदेशक भी रह चुके हैं। उनकी यात्रा शिक्षा, शोध, और समाज सेवा के प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करती है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा डॉ. शेर सिंह सामंत
डॉ. सामंत का जन्म उत्तराखंड के छोटे से गाँव थल में हुआ। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस स्थान ने उनके व्यक्तित्व और शोध कार्यों पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा साधारण सरकारी विद्यालयों में पूरी की। इसके बाद, उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर से यूजी, पीजी और पीएचडी की डिग्री हासिल की। डॉ. शेर सिंह सामंत
शैक्षिक जीवन में उनकी रुचि और लगन ने उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में उच्चतम मुकाम पर पहुँचाया। वे कुमाऊं विश्वविद्यालय के एलुमनी सेल के उपाध्यक्ष भी हैं, और अपने क्षेत्र के युवा विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
शोध और वैज्ञानिक योगदान डॉ. शेर सिंह सामंत
डॉ. सामंत का वैज्ञानिक जीवन उल्लेखनीय उपलब्धियों से भरा हुआ है। उन्होंने कुल 382 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अत्यधिक प्रशंसित हुए हैं। उनके निर्देशन में अब तक 34 विद्यार्थी पीएचडी कर चुके हैं। डॉ. शेर सिंह सामंत
उन्होंने अपने करियर में 40 शोध परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है। उनकी मेहनत और दूरदर्शिता के परिणामस्वरूप पर्यावरण संरक्षण के लिए नई प्रजातियों की खोज की गई है। इसके अलावा, उन्होंने 22 मैनुअल वेदर स्टेशन स्थापित किए, जो पर्यावरणीय डाटा संग्रहण में सहायक हैं।
प्रकाशित लेखन और साहित्यिक योगदान
डॉ. सामंत के लेखन कार्यों ने भी उन्हें एक विशेष पहचान दिलाई है। उन्होंने अब तक:
- 15 पुस्तकों का लेखन और प्रकाशन किया।
- 13 हिंदी बुकलेट्स तैयार कीं।
- 70 आर्टिकल्स, 38 बुक चैप्टर्स, और 5 बायोस्फीयर बुलेटिन्स प्रकाशित किए।
उनके लेखन कार्यों का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक जागरूकता फैलाना और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को जन-जन तक पहुँचाना है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान डॉ. शेर सिंह सामंत
डॉ. सामंत को उनके शोध और योगदान के लिए अब तक 16 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। हाल ही में, उन्हें मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स और सिफाक्स कंपनी ग्रुप द्वारा सम्मानित किया गया।
इसके अलावा, वे फेलो ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (नासी फेलो), फेलो ऑफ एथनोबोटनिस्ट, फेलो ऑफ रॉयल सोसाइटी ऑफ बायोलॉजी (लंदन), और फेलो ऑफ लाइनें सोसाइटी (लंदन) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़े हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय अनुभव और योगदान
डॉ. सामंत ने विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दर्ज की है। उन्होंने इंग्लैंड, वेल्स, स्विट्जरलैंड, चीन, और नेपाल जैसे देशों की अकादमिक यात्राएँ कीं और विभिन्न संस्थानों के साथ शोध कार्यों में सहयोग किया।
उनकी परियोजनाओं में उत्तर भारत की पाँच नदियों के बेसिन के पुनरुद्धार (रिजुवनेशन) के डीपीआर निर्माण में चीफ कोऑर्डिनेटर की भूमिका उल्लेखनीय है। इसके अलावा, उन्होंने हिमाचल पीपुल बायोडायवर्सिटी रजिस्टर का भी निर्माण किया।
प्रेरणा स्रोत और भविष्य की दिशा
डॉ. सामंत का जीवन उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कुछ नया करना चाहते हैं। उन्होंने न केवल वैज्ञानिक समुदाय में अपनी पहचान बनाई है, बल्कि समाज के लिए एक आदर्श भी स्थापित किया है।
उनकी इस उपलब्धि पर एलुमनी सेल के अध्यक्ष डॉ. बी. एस. कालाकोटी, महासचिव प्रो. ललित तिवारी, और अन्य शिक्षाविदों ने उन्हें बधाई दी। उनके योगदान को उत्तराखंड के साथ-साथ पूरे देश में सराहा जा रहा है।
डॉ. शेर सिंह सामंत
डॉ. शेर सिंह सामंत का जीवन और उनके कार्य यह प्रमाणित करते हैं कि दृढ़ इच्छाशक्ति और कठोर परिश्रम से असंभव कार्य भी संभव हो सकते हैं। उनका समर्पण और अनुसंधान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल है।
उनकी उपलब्धियाँ न केवल उत्तराखंड के लिए गर्व का विषय हैं, बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित करती हैं। विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।