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Dr JC Kuniyal डॉक्टर कुनियाल ने डीएसबी परिसर से भूगोल में एमए और कुमाऊं विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की


Dr JC Kuniyal डॉक्टर जेसी कुनियाल: पर्यावरण विज्ञान में उत्कृष्टता का प्रतीक

उत्तराखंड के प्रतिष्ठित डीएसबी परिसर के पूर्व छात्र और राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान, कोसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर जेसी कुनियाल (Dr JC Kuniyal) को उनकी अद्वितीय उपलब्धियों के लिए बाथ स्पा यूनिवर्सिटी, लंदन से ‘फेलो’ का सम्मान प्राप्त हुआ है। यह सम्मान उन्हें पर्यावरण, विज्ञान, फॉरेस्ट्री, क्लाइमेट चेंज, बायोलॉजी और भूगोल में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रदान किया गया है।

शिक्षा और करियर

डॉक्टर कुनियाल ने डीएसबी परिसर से भूगोल में एमए और कुमाऊं विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर शुरू किया और अनेक महत्वपूर्ण शोध कार्य किए। उनका शोध कार्य पर्यावरणीय मूल्यांकन और जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित रहा है।

प्रतिष्ठित सम्मान

डॉक्टर कुनियाल को बाथ स्पा यूनिवर्सिटी से ‘फेलो’ का सम्मान उनके पर्यावरण विज्ञान में योगदान के लिए दिया गया है। यह सम्मान प्राप्त करने के लिए वे लंदन गए, जहां उन्हें इस प्रतिष्ठित अवार्ड से नवाजा गया।

प्रेरणा और समर्थन

डॉक्टर कुनियाल ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने पूर्व निदेशक स्वर्गीय डॉक्टर आर.एस. रावल और वर्तमान निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल को दिया है। उनके मार्गदर्शन और सहयोग से ही डॉक्टर कुनियाल इस मुकाम तक पहुंचे हैं।

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बधाई संदेश

डॉक्टर कुनियाल की इस उपलब्धि पर डीएसबी परिसर के कुटा अध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी, महासचिव डॉ. विजय कुमार, प्रो. नीलू लोधियाल, प्रो. अनिल बिष्ट, डॉ. दीपिका गोस्वामी, और कई अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने उन्हें बधाई और उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।

समर्पित वैज्ञानिक Dr-JC-Kuniyal

डॉक्टर कुनियाल के समर्पण और मेहनत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। उनका काम न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणादायक है। उनका यह सम्मान हमें यह याद दिलाता है कि समर्पण और मेहनत से कोई भी व्यक्ति बड़ी से बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकता है।

डॉक्टर कुनियाल की यह उपलब्धि उत्तराखंड और पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। उनके कार्यों से पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में नई दिशाओं का विकास होगा और आने वाले वैज्ञानिकों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्ध होगा। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद यदि हम अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहें, तो सफलता निश्चित रूप से हमारे कदम चूमेगी।


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