Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज के विद्यार्थियों का शैक्षिक भ्रमण: उत्तराखंड की जैव विविधता और शैक्षिक उपलब्धियाँ
Delhi University: आज के युग में शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान और अनुभव का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। इसी क्रम में, दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज के लाइफ साइंसेज विभाग के विद्यार्थियों ने उत्तराखंड के नैनीताल स्थित डीएसबी परिसर (कुमाऊँ विश्वविद्यालय) के वनस्पति विज्ञान और जंतु विज्ञान विभाग का शैक्षिक भ्रमण किया। इस शैक्षिक यात्रा का उद्देश्य विद्यार्थियों को जैव विविधता, पर्यावरणीय संरचना, हर्बेरियम तकनीक और जंतु विज्ञान के आधुनिक प्रयोगों से परिचित कराना था। Delhi University
वनस्पति विज्ञान विभाग में जैव विविधता का अवलोकन Delhi University
विद्यार्थियों ने सबसे पहले डीएसबी परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग का दौरा किया। यहाँ उन्हें हर्बेरियम और ग्लास हाउस की तकनीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। Delhi University
हर्बेरियम में विभिन्न प्रकार के पौधों को संरक्षित कर रखा जाता है, जिससे वैज्ञानिक और शोधकर्ता इनका अध्ययन कर सकते हैं। यहाँ मौजूद हिमालयी जैव विविधता से संबंधित पौधों की प्रजातियों ने विद्यार्थियों का ध्यान आकर्षित किया। प्रमुख पौधों में गिनको बिलोबा, पटवा प्लांट, और हिमालयन पाम शामिल थे, जिनकी संरचना, औषधीय गुणों, और पारिस्थितिकीय महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया। इन पौधों के अध्ययन से विद्यार्थियों ने उत्तराखंड की जैव विविधता और पारिस्थितिकी के महत्व को समझा।
ग्लास हाउस में विभिन्न प्रकार के पौधों को नियंत्रित तापमान और आर्द्रता में संरक्षित किया जाता है। यहाँ विद्यार्थियों ने यह समझा कि कैसे ग्लास हाउस तकनीक के माध्यम से दुर्लभ पौधों का संरक्षण और उनका अध्ययन संभव होता है। इस दौरे ने विद्यार्थियों के भीतर जैव विविधता संरक्षण के प्रति नई जागरूकता उत्पन्न की।
हर्बेरियम तकनीक: पौधों के संग्रहण और अध्ययन का अनूठा तरीका Delhi University
हर्बेरियम के अध्ययन के दौरान विद्यार्थियों को यह जानकारी दी गई कि पौधों के नमूनों को कैसे सुखाया, संरक्षित किया और वर्गीकृत किया जाता है। इन्हें बाद में शोध के लिए संदर्भ सामग्री के रूप में उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पौधों की प्रजातियों की पहचान और उनके विकास का इतिहास जाना जा सकता है। विद्यार्थियों ने इस तकनीकी प्रक्रिया में गहरी रुचि दिखाई और अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त किए।
जंतु विज्ञान विभाग: म्यूजियम और बायोफ्लॉक तकनीक का अध्ययन
शैक्षिक दल ने वनस्पति विज्ञान विभाग के बाद जंतु विज्ञान विभाग का भ्रमण किया। यहाँ विद्यार्थियों ने म्यूजियम में संरक्षित किए गए दुर्लभ पशु-पक्षियों के नमूनों का अवलोकन किया और उनके जीवन चक्र और पारिस्थितिकीय महत्व को समझा। इसके अलावा, विद्यार्थियों को मछली पालन के लिए प्रयोग की जा रही बायोफ्लॉक तकनीक के बारे में भी जानकारी दी गई।
बायोफ्लॉक तकनीक मछली पालन के क्षेत्र में एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें पानी के भीतर सूक्ष्मजीवों की सहायता से जैविक कचरे को उपयोगी पदार्थ में बदला जाता है। यह तकनीक न केवल पर्यावरण अनुकूल है, बल्कि मछली उत्पादन को भी बढ़ावा देती है। इस तकनीक को समझते हुए विद्यार्थियों ने मछली पालन के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसरों के बारे में भी जानकारी हासिल की।
कॉर्बेट नेशनल पार्क का दौरा: जैव विविधता संरक्षण का अनुभव
डीएसबी परिसर में अध्ययन के उपरांत, शैक्षिक दल कॉर्बेट नेशनल पार्क, रामनगर की ओर अग्रसर हुआ। कॉर्बेट पार्क भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान है और यहाँ की जैव विविधता पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस पार्क में विभिन्न प्रकार के वन्यजीव, पक्षी, और पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जो पारिस्थितिकीय संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। Delhi University
विद्यार्थियों को कॉर्बेट पार्क में पारिस्थितिकी तंत्र, वन्यजीवों के व्यवहार और उनके संरक्षण प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया गया। यहाँ का अनुभव विद्यार्थियों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक रहा, क्योंकि उन्होंने न केवल वन्यजीवों को प्राकृतिक आवास में देखा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के महत्व को भी करीब से समझा।
शैक्षिक दल के मार्गदर्शक और सहयोगी
इस शैक्षिक भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों को विषय से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करने में डीएसबी परिसर के प्रख्यात शिक्षकों ने विशेष योगदान दिया। जानकारी देने वाले प्रमुख विशेषज्ञों में शामिल थे:
- प्रोफेसर एस.एस. बरगली (विभागाध्यक्ष)
- कार्यवाहक डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर ललित तिवारी
- डॉ. नवीन पांडे
- डॉ. हेम जोशी
- प्रोफेसर हरीश बिष्ट
- डॉ. रंजीत
इसके अलावा, शैक्षिक दल के अन्य प्रतिभागी—वसुंधरा, आनंद, दिशा, प्रखर श्रीवास्तव—भी भ्रमण के दौरान उपस्थित रहे। इन सभी ने विद्यार्थियों को उनके प्रश्नों के उत्तर देकर उनका ज्ञानवर्धन किया।
शिक्षा का नया आयाम: अनुभव आधारित सीखना
इस शैक्षिक यात्रा का उद्देश्य विद्यार्थियों को कक्षा से बाहर निकालकर वास्तविक जीवन के अनुभव प्रदान करना था। यह भ्रमण विद्यार्थियों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि उन्हें व्यावहारिक शिक्षा का भी नया अनुभव प्राप्त हुआ। उत्तराखंड की जैव विविधता और पर्यावरणीय चुनौतियों को समझते हुए, विद्यार्थियों ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व को महसूस किया और इससे संबंधित शोध एवं रोजगार के नए अवसरों के प्रति रुचि दिखाई।
निष्कर्ष: शैक्षिक भ्रमण की सफलता Delhi University
दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज के विद्यार्थियों का यह शैक्षिक भ्रमण उनकी पढ़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा साबित हुआ। वनस्पति विज्ञान और जंतु विज्ञान के अध्ययन के साथ-साथ म्यूजियम और बायोफ्लॉक तकनीक जैसी उन्नत विधियों से परिचित होकर विद्यार्थियों ने अपने ज्ञान को और समृद्ध किया। कॉर्बेट नेशनल पार्क की यात्रा ने उन्हें जैव विविधता संरक्षण के प्रति जागरूक किया और प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीवन जीने का संदेश दिया।
इस शैक्षिक भ्रमण की सफलता के लिए डीएसबी परिसर के सभी शिक्षकगणों और मार्गदर्शकों का आभार व्यक्त किया गया। यह यात्रा न केवल विद्यार्थियों के लिए यादगार रही, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखा गई। ऐसे शैक्षिक कार्यक्रमों से विद्यार्थी न केवल विषय की गहराई को समझते हैं, बल्कि समाज और पर्यावरण के प्रति भी अपने कर्तव्यों को बेहतर ढंग से निभाने में सक्षम होते हैं। Delhi University