Cleanliness revolution in Uttarakhand उत्तराखंड में स्वच्छता क्रांति: मुख्यमंत्री का संकल्प और जनता की भागीदारी
Cleanliness revolution in Uttarakhand: स्वच्छता का महत्व सिर्फ व्यक्तिगत स्वास्थ्य से नहीं जुड़ा है, बल्कि यह समाज और पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी जरूरी है। इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने “स्वच्छता ही सेवा-2024” अभियान के तहत राज्यभर में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। देहरादून के परेड मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने स्वच्छता के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया और मार्च 2025 तक राज्य के हर गांव में कचरा प्रबंधन की सुविधा शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया। यह लक्ष्य न केवल स्वच्छता को बढ़ावा देगा बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में सतत विकास को भी सुनिश्चित करेगा।
स्वच्छता ही सेवा अभियान: एक राष्ट्रीय मिशन
स्वच्छता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू हुए स्वच्छ भारत अभियान ने पूरे देश में स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा की है। उत्तराखंड भी इस अभियान का हिस्सा बनकर स्वच्छता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं देते हुए उनकी स्वच्छता के प्रति निष्ठा और संकल्प की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देशभर में स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दिया गया, जिसके कारण आज हर नागरिक स्वच्छता के प्रति अधिक जागरूक हो गया है।
उत्तराखंड में स्वच्छता अभियान की शुरुआत वर्ष 2014 में हुई थी, और तब से लेकर अब तक राज्य ने स्वच्छता के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर पार किए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य को वर्ष 2017 में “खुले में शौच मुक्त” (ODF) राज्य घोषित किया गया, जो एक बड़ी उपलब्धि है। इस अभियान के तहत 5 लाख 37 हजार से अधिक शौचालय विहीन परिवारों के लिए शौचालयों का निर्माण किया गया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता का स्तर बेहतर हुआ है।
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कचरा प्रबंधन और प्लास्टिक प्रदूषण पर नियंत्रण
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में ठोस और तरल कचरा प्रबंधन की दिशा में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अब तक राज्य के 9000 से अधिक गांवों में ठोस और तरल कचरा प्रबंधन की व्यवस्था शुरू की जा चुकी है। इसके अलावा, 77 विकासखंडों में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन की इकाइयां स्थापित की गई हैं, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कचरा प्रबंधन की सफलता केवल सरकार के प्रयासों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि इसमें आम जनता की भागीदारी भी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि “स्वच्छता एक दिन का औपचारिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि इसे हमें अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा।” इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार का लक्ष्य मार्च 2025 तक राज्य के सभी गांवों में कचरा प्रबंधन की व्यवस्था शुरू करना है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वच्छता का बेहतर स्तर कायम किया जा सके।
देहरादून: स्वच्छ वायु में राष्ट्रीय पहचान
देहरादून का राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) में शामिल होना राज्य के लिए गर्व की बात है। इस कार्यक्रम के तहत भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने देहरादून को देश के पांच सबसे अच्छे शहरों में शामिल किया है, जो स्वच्छ वायु सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यह उपलब्धि नगर निगम देहरादून और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है, जिन्होंने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई अभिनव कदम उठाए हैं।
मुख्यमंत्री ने नगर निगम देहरादून की स्वच्छता प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि नगर निगम ने स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए 24×7 स्वच्छता कंट्रोल रूम की स्थापना की है। इसके अलावा, सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से सफाई व्यवस्था की निगरानी की जा रही है, जिससे शहर में स्वच्छता के उच्च मानकों को बनाए रखा जा सके। यह कदम अन्य शहरों के लिए भी एक उदाहरण हो सकता है, जहां स्वच्छता को बनाए रखने के लिए तकनीकी साधनों का उपयोग किया जा सकता है।
स्वच्छता पखवाड़ा और जनभागीदारी
“स्वच्छता ही सेवा-2024” अभियान के अंतर्गत राज्यभर में स्वच्छता पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है, जो 2 अक्टूबर को समाप्त होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी प्रदेशवासियों से अपील की कि वे अपने गांवों, शहरों और मोहल्लों को स्वच्छ बनाने के लिए सक्रिय भागीदारी करें। स्वच्छता को लेकर जन जागरूकता फैलाने और लोगों को स्वच्छता के प्रति प्रेरित करने के लिए यह पखवाड़ा एक महत्वपूर्ण कदम है।
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मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि “स्वभाव स्वच्छता एवं संस्कार स्वच्छता” इस वर्ष की थीम है। इसका उद्देश्य यह है कि स्वच्छता केवल बाहरी सफाई तक सीमित न रहकर हमारे स्वभाव और संस्कार का हिस्सा बन जाए। जब स्वच्छता हमारी आदत में शामिल होगी, तभी समाज में स्थायी स्वच्छता सुनिश्चित की जा सकेगी।
बालिकाओं के लिए विशेष ध्यान
स्वच्छता के क्षेत्र में केवल सफाई ही नहीं, बल्कि समाज के कमजोर और वंचित वर्गों की जरूरतों को ध्यान में रखना भी जरूरी है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बालिकाओं को किशोरी किट का वितरण किया, जो उनके स्वास्थ्य और स्वच्छता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे बालिकाओं में स्वच्छता और स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ेगी और वे स्वस्थ जीवनशैली अपना सकेंगी।
पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण
स्वच्छता के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी इस अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मुख्यमंत्री ने “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के अंतर्गत परेड मैदान परिसर में पौधरोपण किया और सभी को पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद करेगा, बल्कि यह स्वच्छता और स्वास्थ को भी बेहतर बनाएगा। राज्य के हरे-भरे पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए यह अभियान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
विश्वकर्मा पूजन और शुभकामनाएं
कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने विश्वकर्मा पूजन कर सभी को शुभकामनाएं दीं। विश्वकर्मा दिवस पर उन्होंने कहा कि हम सभी को विश्वकर्मा जी से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने काम में कुशलता और समर्पण के साथ आगे बढ़ना चाहिए। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से यह भी आग्रह किया कि वे स्वच्छता को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं और उत्तराखंड को एक स्वच्छ और सुंदर राज्य बनाने में सहयोग दें।
Cleanliness revolution in Uttarakhand
स्वच्छता का अभियान केवल सरकार के प्रयासों तक सीमित नहीं हो सकता। इसे सफल बनाने के लिए प्रत्येक नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा स्वच्छता के प्रति दिखाई गई प्रतिबद्धता और राज्य के हर गांव तक कचरा प्रबंधन की सुविधा पहुंचाने का लक्ष्य एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अभियान न केवल राज्य को स्वच्छ बनाएगा बल्कि स्वास्थ और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक बड़ा योगदान देगा। जनता की सक्रिय भागीदारी और सरकार की ठोस नीतियों से उत्तराखंड निश्चित रूप से स्वच्छता के क्षेत्र में नए मानक स्थापित करेगा।