Usha

Caste System India भारत में जाति व्यवस्था कब से है? जाति व्यवस्था के उदय और विकास का इतिहास प्रस्तुत….

Spread the love

Caste System India भारत में जाति व्यवस्था कब से है? जाति व्यवस्था के उदय और विकास का इतिहास प्रस्तुत….

भारतीय समाज का इतिहास उसकी विविधता और विवेकशीलता का परिचय देता है। यहाँ जाति व्यवस्था के उदय और विकास का इतिहास प्रस्तुत किया गया है:

प्राचीनकाल में जातियां:

जातियों का उदय बहुत प्राचीन समय से होता आया है, जो वेदों के समय से चली आ रही है। ऋग्वेद के मंडल 10 में वर्ण व्यवस्था का उल्लेख होता है, जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र के वर्ण का वर्णन किया गया है। इसका मतलब वेदों के समय से जातियां प्राचीन भारतीय समाज में मौजूद थीं।

Caste-System-India
Caste System India भारत में जाति व्यवस्था कब से है? जाति व्यवस्था के उदय और विकास का इतिहास प्रस्तुत….

चंद्रगुप्त मौर्य के समय:

चंद्रगुप्त मौर्य के समय में ग्रीक लेखक मेगास्थनीज ने अपनी पुस्तक “इंडिका” में 7 वर्गों का वर्णन किया। इनमें विद्वान, खेतिहर, पशुपालक, कारीगर, सैनिक, प्रशासकीय, और न्यायाधीश वर्ग थे, जिससे स्पष्ट है कि उस समय जाति व्यवस्था नहीं थी।

प्राचीन भारत में जाति का अभाव:

भारतीय इतिहास में कई समयांतरों में जातिवाद की अनुपस्थिति का उल्लेख होता है। चंद्रगुप्त मौर्य, व्रहद्रथ मौर्य, और सम्राट अशोक के समय में भी जाति और वर्ण का उल्लेख नहीं मिलता।

Petrol tanker fire in Premnagar प्रेमनगर में पैट्रोल टैंकर में आग लग गई: बड़ी हादसा से टला

जातियों का उदय:

जातियों का प्रारंभिक उदय छठवीं शताब्दी में देखा जा सकता है, जब सिंध के ब्राह्मण राजा दाहिर ने अपने कानूनों में जाट और लोहार जैसी जातियों का उल्लेख किया।

वेदों का प्रभाव:

ब्राह्मणों के ग्रंथों में वर्ण और जाति के विभाजन का वर्णन मिलता है, जिसमें ब्राह्मणों को उच्च स्थान प्राप्त होता है। इससे जातियों का विभाजन और परंपरागत उच्चता का सिद्धांत प्रेरित हुआ।

व्यापारिक और साम्राज्यिक परिवर्तन:

मुगल साम्राज्य के आगमन के साथ ही ब्राह्मणों ने साम्राज्यिक और राजनीतिक स्थितियों का उपयोग कर जातिवाद को बढ़ावा दिया।

नए समय का आगमन:

16वीं और 17वीं शताब्दी में ब्रिटिश साम्राज्य के आगमन के साथ जातिवाद का प्रभाव और अधिक हो गया।

समाप्ति:

भारतीय समाज में जातिवाद के उदय का इतिहास विविधता का परिचय देता है। इसका प्रारंभिक उदय प्राचीन समय से होता आया है, जो वेदों के समय से चली आ रही है, और इसका समापन आधुनिक काल में हुआ है, जब समाज न्याय और समानता की दिशा में बदल रहा है।

Caste-System-India
Caste System India भारत में जाति व्यवस्था कब से है? जाति व्यवस्था के उदय और विकास का इतिहास प्रस्तुत….

दृष्टितां

ब्राह्मणों के ग्रंथों के अनुसार वर्ण व्यवस्था से जातियां पैदा हुई है, ऋग्वेद के दसवें मंडल में ब्रह्मा के मुख से ब्राह्मण, भुजा से क्षत्रिय, पेट से वैश्य और पांव से शूद्र पैदा हुआ है ,ऋग्वेद का रचनाकाल ईसापूर्व 2500 बताया जाता है अर्थात आज से 4500 वर्ष पहले ,इसका मतलब ऋग्वेद के अनुसार जातियां 4500 वर्ष पहले से चली आ रही हैं।

भागवत गीता के अनुसार कृष्ण कहते हैं वर्ण व्यवस्था मैंने बनाई है, कृष्ण तो द्वापर में पैदा हुआ था और द्वापर की अवधि 864000 वर्ष की होती है, अर्थात भारत में जाति व्यवस्था 8 लाख वर्ष पुरानी है, ब्राह्मणों के दो ग्रंथों में अलग-अलग अवधि का वर्णन मिलता है, यह देखकर दिमाग चकरा जाता है कि वास्तव में सही समय कौन सा है? तो सवाल पैदा होता है की जातियों के पैदा होने का सही समय कौन सा है? आइये समझते हैं भारत में जातियां कब से अस्तित्व में आई है?

ईसापूर्व 323 में चंद्रगुप्त मौर्य के 12 वर्ष तक राजदूत रहे ग्रीक लेखक मेगास्थनीज ने अपनी पुस्तक इंडिका में काम के आधार पर 7 वर्गों का वर्णन किया है।

1-विद्वान वर्ग, 2- खेतिहर वर्ग ,3 -पशुपालक वर्ग, 4- कारीगर वर्ग, 5-सैनिक वर्ग, 6- प्रशासकीय वर्ग 7- न्यायाधीश और सलाहकार वर्ग, इससे स्पष्ट है कि चंद्रगुप्त मौर्य के समय वर्ण और जाति व्यवस्था नहीं थी

उपरोक्त सातों वर्गों में कोई ऊंचा नीचा नहीं है सभी बराबर है, योग्यता के अनुसार एक वर्ग से दूसरे वर्ग में व्यक्ति आ- जा सकता है और आपस में शादी संबंध भी कर सकता है, चंद्रगुप्त मौर्य से लेकर अंतिम सम्राट व्रहद्रथ मौर्य ( ईसा पूर्व 185) जाति और वर्ण का उल्लेख नहीं मिलता।

सम्राट अशोक (ईसापूर्व 250) के अभी तक मिल चुके 40 शिलालेखों में कहीं भी जाति और वर्ण का उल्लेख नहीं है।

Forget Shares & Mutual Funds शेयर और म्यूचुअल फंड के प्रति संज्ञानयों में इसका गिरावट का संकेत

इसी प्रकार कुषाण काल (150 ई ) गुप्त काल (550 ई) बौद्ध सम्राट हर्षवर्धन (650 ई) के शिलालेखों में जाति और वर्ण का विवरण नहीं है,

छठवीं शताब्दी में पहली बार चचनामा किताब के अनुसार सिंध के ब्राह्मण राजा दाहिर के द्वारा जाट और लोहार दो जातियों का उल्लेख है, इन दोनों जातियों के ऊपर दाहिर ने प्रतिबंध लगा दिया था, यहीं से धीरे-धीरे भारत में जाति बनने की शुरुआत होने का पता चलता है

ब्राह्मणों के जितने भी ग्रंथ हैं वेद, पुराण, रामायण, मनुस्मृति आदि सब में ब्राह्मण को उच्च स्थान उसके बाद क्षत्रिय वैश्य शूद्र को क्रमशः नीचा स्थान प्राप्त है, ब्राह्मण ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं और संस्कृत भाषा आठवीं शताब्दी में पाली भाषा को संस्कारित करने के बाद बनी है, नालंदा विश्वविद्यालय जलाए जाने (12वीं शताब्दी) के बाद जब देश में मुगलों का आगमन शुरू हुआ, ब्राह्मण मुगलों का दरबारी बन गया, और यहीं से उसने संस्कृत में अपने ग्रंथों को लिखना शुरू किया वर्ण और जाति का निर्माण किया, यह क्रम 16वीं 17वीं शताब्दी अंग्रेजों के काल में आते-आते जातियां बिल्कुल कठोर आकार ग्रहण कर लेती है,

उपरोक्तानुसार विश्लेषण से साबित होता है कि जातियों के बनने की ब्राह्मण राजा दाहिर (छठवीं शताब्दी) से शुरुआत होती है, छठवीं शताब्दी के पहले जातीयों के होने का कोई प्रमाण नहीं मिलता है।


Spread the love
स्किल उत्तराखण्डः युवाओं को मिले साढ़े तीन लाख रुपए मासिक वेतन के ऑफर Anti Ragging Rally डीएसबी परिसर में एंटी ड्रग्स और एंटी रैगिंग रैली: सामाजिक जागरूकता की एक महत्वपूर्ण पहल छात्रों द्वारा बनाए गए मेहंदी के डिज़ाइनों में पारंपरिक और आधुनिक दोनों प्रकार के डिज़ाइन देखने को मिले Football Tournament 76वें एचएन पांडे इंडिपेंडेंस डे चिल्ड्रन फुटबॉल टूर्नामेंट का आगाज, सैनिक स्कूल ने शानदार प्रदर्शन करते हासिल जीत Gold Price सोने के दामों में 9 फीसदी की कमी; 1 अगस्त से देश में आ जाएगा सस्ता वाला सोना ‘मरद अभी बच्चा बा’ गाना खेसारी लाल यादव और आम्रपाली दुबे की जोड़ी का एक और सुपरहिट गाना Havey Rain उत्तरकाशी में भारी बारिश से तबाही: गंगोत्री और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग बंद, राहत कार्य जारी Manu Bhaker: कैसे कर्मयोग की शिक्षाएं मनु भाकर की सफलता की कुंजी बनीं