Birth Anniversary of Indian Chemistry महान वैज्ञानिक सर प्रफुल्ल चंद्र रे की 163वीं जयंती को डीएसबी परिसर में धूमधाम से मनाया गया : ukjosh

Birth Anniversary of Indian Chemistry महान वैज्ञानिक सर प्रफुल्ल चंद्र रे की 163वीं जयंती को डीएसबी परिसर में धूमधाम से मनाया गया


Birth Anniversary of Indian Chemistry : भारतीय रसायन विज्ञान के जनक की जयंती पर डीएसबी में कार्यक्रमों का आयोजन

Birth Anniversary of Indian Chemistry: भारतीय रसायन विज्ञान के जनक के तौर पर जाने जाने वाले महान वैज्ञानिक सर प्रफुल्ल चंद्र रे की 163वीं जयंती को डीएसबी परिसर में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर रसायन विज्ञान विभाग में भाषण और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों में छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

भाषण प्रतियोगिता

भाषण प्रतियोगिता में छात्रों ने सर प्रफुल्ल चंद्र रे के योगदान और उनके जीवन पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस प्रतियोगिता में दीक्षा पांडे ने पहला स्थान हासिल किया, भावना त्रिपाठी दूसरे स्थान पर रही और मोहित पांडे ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। प्रतियोगिता में छात्रों ने अपने भाषणों में सर प्रफुल्ल चंद्र रे के वैज्ञानिक योगदान, उनकी उपलब्धियों और समाज सुधार के कार्यों पर प्रकाश डाला।

प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता

प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में भी छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस प्रतियोगिता में प्रिया ने पहला स्थान प्राप्त किया, नमृता मौलिखी ने दूसरा स्थान और सूरज वर्मा ने तीसरा स्थान हासिल किया। प्रतियोगिता के दौरान छात्रों ने विज्ञान और रसायन विज्ञान से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देकर अपनी ज्ञान की परीक्षा दी।

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निर्णायक मंडल

इन प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका निभाने के लिए हिंदी विभाग की प्रो. चंद्रकला रावत, अंग्रेजी विभाग की डॉ. दीपिका पंत और रसायन विज्ञान के प्रो. शहराज अली उपस्थित रहे। उन्होंने प्रतियोगिताओं में छात्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया और विजेताओं का चयन किया।

कार्यक्रम का संचालन

कार्यक्रम का संचालन निर्मला जलाल, दीक्षा और तूबा मिर्जा ने मिलकर किया। उनकी सटीक और उत्साहपूर्ण संचालन ने कार्यक्रम को और भी रोचक बना दिया।

विज्ञान संकायाध्यक्ष का संबोधन

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. चित्रा पांडे ने कहा कि कुलपति महोदय की प्रेरणा से रसायन विभाग में लगातार नए-नए कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। महान वैज्ञानिक प्रफुल्ल चंद्र रे की जयंती पर कार्यक्रम करने का विचार भी उन्हीं की प्रेरणा से साकार हो पाया। उन्होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों के योगदान के बारे में जानने और समझने के लिए इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता।

प्रफुल्ल चंद्र रे के बारे में

1861 में जन्मे प्रफुल्ल चंद्र रे एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक, शिक्षक और पहले आधुनिक भारतीय रासायनिक शोधकर्ताओं में से एक थे। उन्होंने एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, स्कॉटलैंड में प्रशिक्षण प्राप्त किया और कई वर्षों तक कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज और फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय में काम किया। साल 1895 में उन्होंने स्थिर यौगिक मर्क्यूरस नाइट्राइट की खोज की।

ब्रिटिश सरकार ने 1919 में उन्हें नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया। 1920 में उन्हें भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जनरल प्रेसिडेंट चुना गया। प्रफुल्ल चंद्र रे ने अपने पूरे जीवन में समाज की कुरीतियों से लड़ाई लड़ी और वे जातिवाद के सख्त खिलाफ रहे।

उनकी जयंती का महत्व

प्रफुल्ल चंद्र रे का योगदान भारतीय विज्ञान जगत में अतुलनीय है। उनकी जयंती पर आयोजित कार्यक्रमों ने छात्रों को उनके जीवन और कार्यों के बारे में अधिक जानने का अवसर प्रदान किया। इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों को प्रेरित करते हैं और उन्हें अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

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विशेष अतिथियों की उपस्थिति

इस अवसर पर प्रो. गीता तिवारी, डॉ. सुहेल जावेद, डॉ. महेश आर्या, डॉ. मनोज धौनी, डॉ. ललित मोहन, डॉ. गिरीश खर्कवाल, डॉ. दीपशिखा जोशी, आंचल अनेजा, डॉ. आकांक्षा रानी उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ा दिया।

कार्यक्रम का समापन

कार्यक्रम का समापन छात्रों के उत्साहपूर्ण प्रदर्शन और आयोजकों के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। सभी प्रतिभागियों और विजेताओं को पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।

सर प्रफुल्ल चंद्र रे का वैज्ञानिक योगदान

सर प्रफुल्ल चंद्र रे का वैज्ञानिक योगदान भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में अमूल्य है। उन्होंने मर्क्यूरस नाइट्राइट जैसे स्थिर यौगिक की खोज की और रसायन विज्ञान के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण शोध किए। उनके शोध कार्यों ने भारतीय रसायन विज्ञान को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया और विश्व पटल पर भारतीय वैज्ञानिकों की पहचान बनाई।

सामाजिक सुधारक के रूप में प्रफुल्ल चंद्र रे

प्रफुल्ल चंद्र रे न केवल एक वैज्ञानिक थे, बल्कि एक सामाजिक सुधारक भी थे। उन्होंने अपने जीवन में समाज की कुरीतियों से लड़ाई लड़ी और जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाई। वे शिक्षा के महत्व को समझते थे और समाज में शिक्षा के प्रसार के लिए हमेशा प्रयासरत रहे।

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विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत

सर प्रफुल्ल चंद्र रे का जीवन और उनका कार्य विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उनके द्वारा किए गए शोध कार्य और समाज सुधार के प्रयास हमें यह सिखाते हैं कि एक व्यक्ति अपने ज्ञान और समर्पण से समाज में कितनी बड़ी बदलाव ला सकता है।

Birth Anniversary of Indian Chemistry

डीएसबी परिसर में सर प्रफुल्ल चंद्र रे की 163वीं जयंती का आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम था। इस आयोजन ने छात्रों को उनकी उपलब्धियों और योगदानों के बारे में जानने का अवसर दिया। इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल छात्रों को प्रेरित करते हैं, बल्कि उन्हें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं। हम आशा करते हैं कि आने वाले समय में भी इस प्रकार के आयोजन होते रहेंगे और छात्रों को अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर मिलता रहेगा।


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