Best wishes to the professors: इतिहास विभाग के दो शोध छात्रों का असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयन: कूटा ने दी बधाई : ukjosh

Best wishes to the professors: इतिहास विभाग के दो शोध छात्रों का असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयन: कूटा ने दी बधाई


Best wishes to the professors: शिक्षा और शोध के क्षेत्र में एक और उल्लेखनीय उपलब्धि सामने आई है। इतिहास विभाग के दो शोध छात्रों ने लोक सेवा आयोग के माध्यम से असिस्टेंट प्रोफेसर (इतिहास) पद पर चयनित होकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस उपलब्धि पर कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) के सदस्यों और शिक्षाविदों ने खुशी जाहिर की और दोनों चयनित प्रोफेसरों को शुभकामनाएं दीं।


डॉ. निशा और डॉ. गौरव कुमार: कड़ी मेहनत का सफल परिणाम Best wishes to the professors 

इस ऐतिहासिक उपलब्धि को प्राप्त करने वाले दो शोध छात्र हैं:

  1. डॉ. निशा – जिन्होंने अपना शोधकार्य प्रो. सावित्री कैड़ा के निर्देशन में पूर्ण किया। वर्तमान में वह राजकीय महाविद्यालय मासी में कार्यरत हैं।
  2. डॉ. गौरव कुमार – जिन्होंने अपना शोधकार्य डॉ. रितेश साह के मार्गदर्शन में पूरा किया।

इन दोनों शोधार्थियों ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से यह मुकाम हासिल किया है, जो पूरे विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है।

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कूटा और शिक्षाविदों ने दी शुभकामनाएं

इन दोनों छात्रों की सफलता पर कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) के अध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी और महासचिव डॉ. विजय कुमार ने खुशी व्यक्त की और उन्हें शुभकामनाएं दीं।

इसके अलावा, इतिहास विभाग के कई वरिष्ठ शिक्षकों और अन्य संकाय सदस्यों ने भी अपनी बधाइयां प्रेषित कीं, जिनमें शामिल हैं:

प्रो. संजय घिल्डियाल (इतिहास विभागाध्यक्ष)
प्रो. सावित्री कैड़ा जंतवाल
प्रो. संजय टम्टा
डॉ. रितेश साह
डॉ. शिवानी रावत
प्रो. ज्योति जोशी (समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष)

इन सभी शिक्षकों ने छात्रों की इस महान उपलब्धि की सराहना की और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।


सफलता की इस कहानी से क्या सीख मिलती है?

1. मेहनत और धैर्य का फल मीठा होता है

डॉ. निशा और डॉ. गौरव कुमार ने लगातार मेहनत और शोध के प्रति समर्पण से इस मुकाम को हासिल किया है।

2. योग्य मार्गदर्शकों का सहयोग बेहद आवश्यक होता है

दोनों छात्रों ने अपने शोध कार्य अनुभवी शिक्षकों के मार्गदर्शन में पूर्ण किए। एक अच्छे मार्गदर्शक का सहयोग छात्र की सफलता को सुनिश्चित करता है।

3. शिक्षा के क्षेत्र में निरंतरता बनाए रखना जरूरी है

लोक सेवा आयोग जैसी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए लगातार अध्ययन और मेहनत आवश्यक होती है।

4. विश्वविद्यालय और शिक्षक समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण होती है

कुमाऊं विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग ने सही दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करके छात्रों को आगे बढ़ने में मदद की।


इतिहास विषय में करियर के अवसर Best wishes to the professors

इतिहास विषय में डिग्री प्राप्त करने के बाद छात्रों के लिए कई करियर विकल्प उपलब्ध होते हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर बनना भी इनमें से एक प्रमुख लक्ष्य होता है। आइए जानते हैं कि इतिहास के क्षेत्र में किस प्रकार के अवसर उपलब्ध हैं:

1. असिस्टेंट प्रोफेसर बनना

🔹 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए नेट/जेआरएफ जैसी परीक्षाएं पास करनी होती हैं।
🔹 लोक सेवा आयोग और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से चयन किया जाता है।

2. शोधकर्ता बनना

🔹 इतिहास के गहन अध्ययन के लिए पीएचडी और रिसर्च में करियर बनाया जा सकता है।
🔹 कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थान इतिहास में शोध कार्यों के लिए फंडिंग और छात्रवृत्ति प्रदान करते हैं।

3. संग्रहालय और पुरातत्व विभाग में नौकरी

🔹 इतिहास के छात्रों के लिए संग्रहालयों और पुरातत्व विभागों में भी करियर की अपार संभावनाएं हैं।
🔹 भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और अन्य संस्थानों में पुरातत्वविद् और शोधकर्ता के रूप में कार्य किया जा सकता है।

4. प्रशासनिक सेवाओं में अवसर

🔹 यूपीएससी और राज्य लोक सेवा आयोग (PSC) की परीक्षाओं में इतिहास विषय एक लोकप्रिय विकल्प होता है।
🔹 इतिहास का ज्ञान प्रशासनिक सेवाओं में एक मजबूत आधार प्रदान करता है।

5. लेखन और पत्रकारिता में करियर

🔹 इतिहासकार के रूप में लेखक, संपादक और पत्रकार बनने के अवसर भी उपलब्ध होते हैं।
🔹 कई लोग इतिहास विषय पर किताबें लिखने, ब्लॉगिंग और रिसर्च पेपर पब्लिश करने में अपना करियर बनाते हैं।


इतिहास विषय का समाज पर प्रभाव

इतिहास सिर्फ अतीत का अध्ययन नहीं है, बल्कि यह भविष्य की दिशा तय करने का माध्यम भी है। जो लोग इतिहास का गहन अध्ययन करते हैं, वे समाज की नीतियों, परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।

इतिहास का महत्व:

✔ अतीत की घटनाओं से सीख लेकर समाज में बदलाव लाना।
✔ विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों को समझना।
✔ प्रशासनिक नीतियों और राजनीतिक रणनीतियों को विकसित करना।
✔ ऐतिहासिक धरोहरों और स्थलों के संरक्षण में योगदान देना।

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Best wishes to the professors

डॉ. निशा और डॉ. गौरव कुमार की सफलता यह दर्शाती है कि मेहनत, समर्पण और सही मार्गदर्शन के साथ कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

इस उपलब्धि से न केवल कुमाऊं विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ा है, बल्कि इससे अन्य शोधार्थियों और छात्रों को भी प्रेरणा मिलेगी कि अगर वे संघर्ष और लगन के साथ प्रयास करें, तो वे भी अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।

🎓 कूटा और शिक्षाविदों की ओर से दोनों चयनित प्रोफेसरों को ढेरों शुभकामनाएं!


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