35 Percentile in NEET: नीट में 35 परसेंटाइल पर मिलेगा बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस में प्रवेश: नियमों में बदलाव का नया अध्याय : ukjosh

35 Percentile in NEET: नीट में 35 परसेंटाइल पर मिलेगा बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस में प्रवेश: नियमों में बदलाव का नया अध्याय


35 Percentile in NEET: नीट में 35 परसेंटाइल पर मिलेगा बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस में प्रवेश: नियमों में बदलाव का नया अध्याय

35 Percentile in NEET: भारत में चिकित्सा शिक्षा का क्षेत्र सदैव से ही एक महत्वपूर्ण विषय रहा है। लाखों छात्र हर साल डॉक्टर बनने का सपना लेकर नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी करते हैं। हालाँकि, सभी छात्रों के लिए एमबीबीएस सीट पाना संभव नहीं हो पाता। इसी समस्या को देखते हुए, भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (NCISM) ने बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी), बीएचएमएस (बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी), और बीयूएमएस (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी) जैसे कोर्सों के लिए प्रवेश नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब नीट में केवल 35 परसेंटाइल प्राप्त करने वाले छात्रों को भी इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश मिल सकेगा। आइए, इस बदलाव को विस्तार से समझें और इसके प्रभावों पर विचार करें।

नीट में परसेंटाइल की पूर्व स्थिति

अब तक बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस जैसे आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट में न्यूनतम 50 परसेंटाइल की आवश्यकता होती थी, जो एमबीबीएस की सीट के लिए भी निर्धारित है। इस नियम के कारण, अधिकांश छात्र जो 50 परसेंटाइल या उससे अधिक अंक प्राप्त करते थे, वे एमबीबीएस के लिए प्रयास करते थे। इसके परिणामस्वरूप, बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस जैसे पाठ्यक्रमों की सीटें खाली रह जाती थीं।

नियमों में बदलाव का कारण और आवश्यकता

हर साल देखा गया है कि जिन छात्रों का परसेंटाइल 50 या उससे अधिक होता है, वे एमबीबीएस या बीडीएस जैसे प्रमुख कोर्सों में प्रवेश के लिए प्राथमिकता देते हैं। जब उन्हें एमबीबीएस सीट नहीं मिलती, तो वे अगले वर्ष पुनः प्रयास करना पसंद करते हैं बजाय किसी वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के कोर्स में दाखिला लेने के। इसके चलते निजी आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक कॉलेजों में सीटें खाली रह जाती थीं।

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उत्तराखंड के संदर्भ में, इस साल भी अधिकांश सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेजों की सीटें पहले राउंड में भर गईं, लेकिन निजी कॉलेजों की कई सीटें अब भी खाली पड़ी हैं। यह दर्शाता है कि न्यूनतम 50 परसेंटाइल का नियम इन कोर्सों में प्रवेश को प्रतिबंधित कर रहा था। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए, NCISM ने इस नियम में बदलाव किया है ताकि अधिक से अधिक छात्रों को इन कोर्सों में दाखिला लेने का अवसर मिल सके।

नए नियमों के तहत प्रवेश के लाभ

  1. छात्रों के लिए अधिक अवसर: नए नियम के तहत, अब नीट में 35 परसेंटाइल प्राप्त करने वाले छात्र भी बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस जैसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकेंगे। इससे उन छात्रों को भी मौका मिलेगा जो पहले 50 परसेंटाइल के कट-ऑफ के कारण वंचित रह जाते थे।
  2. आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सा की उन्नति: इस बदलाव से आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा प्रणाली को प्रोत्साहन मिलेगा। अधिक छात्रों के प्रवेश के कारण इन क्षेत्रों में नई प्रतिभाओं का विकास होगा, जो भविष्य में आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली को और सुदृढ़ बनाएंगे।
  3. निजी कॉलेजों की सीटें भरेंगी: यह कदम विशेष रूप से उन निजी आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक कॉलेजों के लिए लाभकारी होगा, जहां हर साल सीटें खाली रह जाती थीं। अब कम परसेंटाइल वाले छात्र भी इन पाठ्यक्रमों में दाखिला ले सकेंगे, जिससे कॉलेजों की वित्तीय स्थिति भी सुदृढ़ होगी।

आवेदन प्रक्रिया में बदलाव

इस नए नियम को उत्तराखंड में इसी सत्र से लागू कर दिया गया है। अंतिम राउंड की काउंसलिंग अब नए कट-ऑफ (35 परसेंटाइल) के अनुसार की जा रही है। उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलसचिव रामशरण शर्मा ने इस बदलाव की पुष्टि की है और बताया कि इस संबंध में उन्हें आधिकारिक सूचना प्राप्त हो चुकी है।

आवेदन प्रक्रिया के तहत कदम:

  1. जिन छात्रों ने नीट परीक्षा दी है और 35 परसेंटाइल या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं, वे अब बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
  2. इच्छुक छात्र उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर नए दिशा-निर्देश और प्रवेश प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  3. छात्रों को समय पर आवेदन जमा करने और काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ तैयार रखने चाहिए।

छात्रों और शिक्षा जगत पर प्रभाव

इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभ उन छात्रों को मिलेगा, जो पहले 50 परसेंटाइल की बाधा के कारण चिकित्सा शिक्षा में दाखिला लेने से वंचित रह जाते थे। अब वे भी चिकित्सा के क्षेत्र में अपना करियर बना सकेंगे। इसके अलावा, यह बदलाव आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा पद्धति को पुनर्जीवित करने का एक बड़ा कदम साबित होगा।

निजी चिकित्सा संस्थानों के लिए वरदान

निजी कॉलेजों में सीटों की कमी की समस्या को देखते हुए, यह निर्णय उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मददगार होगा। इससे न केवल छात्रों की संख्या में वृद्धि होगी, बल्कि निजी कॉलेजों को वित्तीय रूप से स्थिर बनाए रखने में भी सहायता मिलेगी।

35 Percentile in NEET: नीट में 35 परसेंटाइल पर मिलेगा बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस में प्रवेश: नियमों में बदलाव का नया अध्याय

NCISM द्वारा नीट में 35 परसेंटाइल पर बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस कोर्सों में प्रवेश की अनुमति देने का निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव है। इससे छात्रों के लिए नए अवसर खुलेंगे और आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा।

इस निर्णय से यह भी साबित होता है कि सरकार आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के प्रति जागरूक है और इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए तत्पर है। उम्मीद है कि यह कदम न केवल उत्तराखंड बल्कि अन्य राज्यों में भी चिकित्सा शिक्षा को नई दिशा प्रदान करेगा।

अब छात्रों को इस अवसर का लाभ उठाकर आयुर्वेदिक चिकित्सा में अपना भविष्य संवारने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। इस निर्णय से देश में चिकित्सा शिक्षा का दायरा और भी व्यापक होगा और इसे प्राप्त करने के लिए छात्रों के पास अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे।


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