Aipan Competition: लोक कला और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में अनूठा प्रयास; वृन्दावन पब्लिक स्कूल में ऐपण प्रतियोगिता
नैनीताल में स्थित वृन्दावन पब्लिक स्कूल में एक विशेष ऐपण प्रतियोगिता (Aipan Competition) का आयोजन किया गया, जिसमें पारंपरिक लोक चित्रकला ऐपण को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन साह-चौधरी समाज नैनीताल और वृन्दावन पब्लिक स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। प्रतियोगिता का उद्देश्य युवाओं के बीच उत्तराखंड की पारंपरिक ऐपण कला को संरक्षित करना और इसे नई पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनाना था।
कार्यक्रम का उद्घाटन और मुख्य अतिथियों के विचार Aipan Competition
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री प्रमोद साह, पुलिस उपाध्यक्ष नैनीताल थे, जिन्होंने इस आयोजन का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “किसी भी समाज की पहचान उसकी संस्कृति और परंपराओं से होती है। इसलिए, हमें अपनी लोक कला और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए।” उन्होंने यह भी बताया कि आज के बदलते समय में, जब युवा आधुनिक तकनीकों और पश्चिमी संस्कृतियों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, ऐसे आयोजन हमारे समाज को अपनी जड़ों से जोड़े रखने के लिए आवश्यक हैं। Aipan Competition
प्रतियोगिता का उद्देश्य और आयोजन की रूपरेखा
प्रतियोगिता का आयोजन दो वर्गों में किया गया था:
- राजेंद्र लाल साह मैमोरियल ओपन ऐपण प्रतियोगिता
- 11वीं चंद्र लाल साह मैमोरियल वार्षिक अंतर-विद्यालय ऐपण प्रतियोगिता
इस आयोजन में साह-चौधरी समाज के सदस्य जैसे श्रीमती शीला साह, श्री आलोक साह और श्रीमती राखी साह ने विशेष सहयोग प्रदान किया। प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि पारंपरिक ऐपण कला की सुंदरता और महत्व को नए पीढ़ी के बीच जीवंत रखा जाए। प्रतियोगिता में कुल मिलाकर 13 प्रतिभागियों ने ओपन श्रेणी में भाग लिया, जबकि अंतर-विद्यालयीय प्रतियोगिता में नैनीताल के 5 स्कूलों के 27 छात्रों ने अपनी कलात्मकता का प्रदर्शन किया।
प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल और संचालन Aipan Competition
प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में श्री बृजमोहन जोशी, श्रीमती शीला साह, श्रीमती सुधा साह, और श्रीमती जानकी साह शामिल थे। इन अनुभवी निर्णायकों ने सभी प्रतिभागियों की रचनाओं का मूल्यांकन उनकी कला, सटीकता और पारंपरिक ऐपण शैली के अनुरूप होने के आधार पर किया। कार्यक्रम का संचालन कुशलतापूर्वक श्री शैलेंद्र साह द्वारा किया गया।
टेक्निकल निर्णायक और पारंपरिक ऐपण चित्रकार श्री बृजमोहन जोशी ने प्रतिभागियों को ऐपण कला की बारीकियों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि ऐपण कला केवल सजावट का माध्यम नहीं है, बल्कि इसके पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व छिपा है। उन्होंने इस कला को सहेजने और नई पीढ़ी के बीच इसे बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। Aipan Competition
प्रतियोगिता के विजेता और पुरस्कार वितरण
प्रतियोगिता के अंत में विजेताओं की घोषणा की गई। अंतर-विद्यालयीय श्रेणी में निहारिका साह (एमएल साह बालिका स्कूल) ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि आल सेंट्स कॉलेज की स्वर्णिका साह दूसरे स्थान पर रहीं। सनवाल स्कूल की आरती आर्या को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। इसके अलावा, अस्मिता (सनवाल स्कूल) और भूमिका त्रियाल (भारतीय शहीद सैनिक स्कूल) ने क्रमशः चौथा और पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया।
ओपन श्रेणी में:
- प्रथम स्थान: श्रीमती अंकिता रौतेला
- द्वितीय स्थान: श्रीमती मेघना साह
- तृतीय स्थान: श्रीमती दीक्षा साह
- चतुर्थ स्थान: श्रीमती मुन्नी चौधरी
- पंचम स्थान: श्रीमती मीना साह
- छठा स्थान: श्रीमती नंदी चौधरी
प्रतिभागियों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए श्री प्रमोद साह, श्री सुरेश लाल साह, श्री सुरेश चंद्र चौधरी और श्री मनोज साह द्वारा पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त, सभी निर्णायकों को भी उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के समापन और भविष्य की योजनाएं
कार्यक्रम के समापन के अवसर पर साह-चौधरी समाज नैनीताल के अध्यक्ष सुरेश साह ने सभी प्रतिभागियों, शिक्षकों और आयोजकों का धन्यवाद किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रकार की प्रतियोगिताएं न केवल संस्कृति के संरक्षण में सहायक होती हैं, बल्कि बच्चों में रचनात्मकता और कला के प्रति रुचि भी जाग्रत करती हैं।
संयोजक श्रीमती राखी साह ने घोषणा की कि अगले वर्ष इस प्रतियोगिता को और भी बड़े स्तर पर आयोजित किया जाएगा। इसके साथ ही, अप्रैल माह में एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करने की भी योजना बनाई जा रही है, जिसमें ऐपण कला की बारीकियों को सिखाने के लिए विशेषज्ञों को आमंत्रित किया जाएगा।
ऐपण कला का महत्व और इसका संरक्षण
उत्तराखंड की पारंपरिक ऐपण कला का इतिहास सदियों पुराना है। यह कला विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक अवसरों पर प्रयोग की जाती है, जैसे कि त्योहारों, विवाह और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में। ऐपण कला में सफेद चावल के पेस्ट का उपयोग कर लाल रंग की पृष्ठभूमि पर विभिन्न ज्यामितीय और प्रतीकात्मक डिजाइनों को उकेरा जाता है। यह कला न केवल सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि इसमें समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्थाएं भी समाहित हैं।
वर्तमान समय में, जब पारंपरिक कलाओं को आधुनिकता के कारण भुलाया जा रहा है, ऐसे आयोजन समाज को अपनी जड़ों से जोड़े रखने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। ऐपण प्रतियोगिता का उद्देश्य न केवल इस कला को प्रोत्साहन देना है, बल्कि इसे वैश्विक मंच पर भी पहचान दिलाना है।
Aipan Competition: लोक कला और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में अनूठा प्रयास; वृन्दावन पब्लिक स्कूल में ऐपण प्रतियोगिता
वृन्दावन पब्लिक स्कूल में आयोजित इस ऐपण प्रतियोगिता ने न केवल बच्चों और युवाओं को अपनी पारंपरिक कला से जुड़ने का मौका दिया, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
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इस प्रतियोगिता ने यह साबित कर दिया कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो हमारी पारंपरिक कलाएं और संस्कृति कभी लुप्त नहीं होंगी। अगले वर्ष के आयोजन के साथ, इस प्रतियोगिता को और भी व्यापक स्तर पर ले जाने की योजना है, जिससे अधिक से अधिक लोग इस कला से जुड़ सकें और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित कर सकें।
इस प्रकार, ऐपण कला का संरक्षण और इसे बढ़ावा देने की यह पहल न केवल नैनीताल, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए एक प्रेरणादायक कदम साबित हो रही है।