आजकल एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति हो रही है और इसके विकास में भारी निवेश किया जा रहा है। गूगल, ओपनएआई और मेटा जैसी बड़ी कंपनियां इस दिशा में अग्रसर हैं। हालांकि, मेटा के एआई प्रमुख यान लेकन का मानना है कि वर्तमान एआई मॉडल, जैसे कि चैटजीपीटी, कभी भी मानव स्तर की बुद्धिमत्ता प्राप्त नहीं कर सकते। यह लेख इस विषय पर यान लेकन के विचारों और उनके तर्कों की विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।
एआई की सीमाएं
यान लेकन के अनुसार, एआई मॉडल में बुनियादी कमी है: वे समझ नहीं पाते। वर्तमान भाषा मॉडल (एलएलएम) केवल पाठ्य डेटा पर आधारित होते हैं और इनमें सच्ची समझ या तर्कशक्ति का अभाव होता है। लेकन का मानना है कि इस कमी के कारण एआई कभी भी मानव जैसी बुद्धिमत्ता प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
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प्रशिक्षण डेटा की सीमा
लेकन बताते हैं कि वर्तमान एआई मॉडल को विशाल मात्रा में डेटा की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, चैटजीपीटी को इतने बड़े पैमाने पर पाठ्य डेटा की जरूरत होती है जिसे पढ़ने में मानव को 20,000 साल लगेंगे। इसके विपरीत, मनुष्य और जानवर बहुत कम डेटा के साथ बहुत तेजी से समझदार हो जाते हैं। यहां तक कि पक्षी, कुत्ते, और ऑक्टोपस जैसे जीव भी थोड़ी मात्रा में डेटा के साथ तेज समझ विकसित कर लेते हैं।
लेकन ने बताया कि जानवर और मनुष्य केवल 2 अरब न्यूरॉन्स और कुछ ट्रिलियन पैरामीटर्स के साथ बहुत जल्दी समझदार हो जाते हैं। इसके विपरीत, वर्तमान एलएलएम में अरबों पैरामीटर्स होते हैं, फिर भी वे सच्ची समझ विकसित नहीं कर पाते। यह उनके तर्क का मुख्य बिंदु है कि एआई को मानव स्तर की बुद्धिमत्ता प्राप्त करने के लिए सही प्रशिक्षण डेटा की आवश्यकता होती है, जो अभी तक उपलब्ध नहीं है।
एआई का भविष्य
जहां कुछ विशेषज्ञ और टेक कंपनियां एजीआई (आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस) प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं, लेकन का मानना है कि यह दृष्टिकोण गलत है। उनका तर्क है कि वर्तमान एलएलएम मॉडल इस लक्ष्य को प्राप्त करने में असमर्थ हैं। एजीआई का मतलब है कि एआई मॉडल में मानव जैसी या उससे भी अधिक बुद्धिमत्ता हो, लेकिन लेकन के अनुसार, वर्तमान तकनीकी दृष्टिकोण इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकता।
निष्कर्ष
यान लेकन के अनुसार, वर्तमान एआई मॉडल में बुनियादी कमजोरियां हैं जो उन्हें मानव स्तर की बुद्धिमत्ता प्राप्त करने से रोकती हैं। उनके विचार में, इन मॉडलों में सही समझ और तर्कशक्ति का अभाव है और उन्हें सही प्रकार के प्रशिक्षण डेटा की आवश्यकता है। उनके दृष्टिकोण से, केवल डेटा की मात्रा बढ़ाकर एआई को स्मार्ट नहीं बनाया जा सकता, बल्कि इसके लिए एक नए प्रकार के दृष्टिकोण की आवश्यकता है। एआई के विकास में इन सीमाओं को समझना महत्वपूर्ण है ताकि हम इसे सुरक्षित और प्रभावी रूप से विकसित कर सकें।