AI Chatbot: राज्यपाल ने "एटरनल गुरु" नामक एआई चैटबॉट का किया अनावरण : ukjosh

AI Chatbot: राज्यपाल ने “एटरनल गुरु” नामक एआई चैटबॉट का किया अनावरण

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वीर बाल दिवस का आयोजन हमें यह सिखाता है कि सच्चा साहस और बलिदान उम्र या परिस्थिति का मोहताज नहीं होता। यह दिवस साहिबजादों की महान गाथा को याद करने और उनके बलिदान से प्रेरणा लेने का एक सशक्त माध्यम है। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल हमारा इतिहास जीवंत होता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपने कर्तव्यों और मूल्यों के प्रति जागरूक करने का अवसर भी मिलता है।

एआई चैटबॉट ‘एटरनल गुरु’ का अनावरण AI Chatbot

राज्यपाल ने इस अवसर पर “एटरनल गुरु” नामक एआई चैटबॉट का अनावरण किया। यह चैटबॉट श्री गुरु ग्रंथ साहिब के आध्यात्मिक मार्गदर्शन और शिक्षाओं को तकनीक के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का एक प्रयास है। उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय और हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के सहयोग से विकसित यह चैटबॉट डिजिटल युग में गुरबाणी का संदेश फैलाने का एक अभिनव प्रयास है। AI Chatbot

AI chatbot ‘Eternal Guru’ unveiled

महत्वपूर्ण वक्तव्य और विचार

कार्यक्रम में हेमकुंड मैनेजमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने वीर बाल दिवस के महत्व पर अपने विचार रखे। पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के सहायक प्रोफेसर डॉ. कुलविंदर सिंह ने “एक ओंकार-गुरु नानक देव जी का संदेश” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने गुरु नानक देव जी के मानवता, भाईचारे और आध्यात्मिक मूल्यों पर प्रकाश डाला। AI Chatbot

विशेष अतिथियों की उपस्थिति AI Chatbot

कार्यक्रम में राज्यपाल की पत्नी श्रीमती गुरमीत कौर, सचिव श्री रविनाथ रामन, अपर सचिव श्रीमती स्वाति एस. भदौरिया, बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय, बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना, महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल सहित अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

वीर बाल दिवस का महत्व AI Chatbot

वीर बाल दिवस केवल एक आयोजन नहीं है, यह एक ऐसा अवसर है जो हमें न केवल हमारे गौरवशाली अतीत को याद दिलाता है, बल्कि हमें अपने जीवन में साहस, त्याग और दृढ़ता को अपनाने के लिए भी प्रेरित करता है। यह दिवस भारतीयता और मानवता की रक्षा के लिए हर प्रकार के बलिदान का प्रतीक है।

AI chatbot ‘Eternal Guru’ unveiled

वीर बाल दिवस का आयोजन हमें यह सिखाता है कि सच्चा साहस और बलिदान उम्र या परिस्थिति का मोहताज नहीं होता। यह दिवस साहिबजादों की महान गाथा को याद करने और उनके बलिदान से प्रेरणा लेने का एक सशक्त माध्यम है। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल हमारा इतिहास जीवंत होता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपने कर्तव्यों और मूल्यों के प्रति जागरूक करने का अवसर भी मिलता है।


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