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Agriculture Applied and Life Sciences: कृषि, एप्लाइड एवं जीवन विज्ञान पर राष्ट्रीय सम्मेलन: स्थिरता और परस्परता की दिशा में एक कदम


Agriculture Applied and Life Sciences: कृषि, एप्लाइड एवं जीवन विज्ञान पर राष्ट्रीय सम्मेलन: स्थिरता और परस्परता की दिशा में एक कदम

Agriculture Applied and Life Sciences: कुमाऊं विश्वविद्यालय के देवदार सभागार में कृषि, एप्लाइड एवं जीवन विज्ञान के ज्वलंत मुद्दों पर एक द्विदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन 8 नवंबर से 9 नवंबर 2024 तक आयोजित किया गया, जिसमें देशभर से आए वैज्ञानिक, शिक्षाविद, शोधार्थी और छात्रों ने भाग लिया। सम्मेलन का विषय “कृषि, एप्लाइड एवं जीवन विज्ञान: वनस्पति, मानव, पृथ्वी – परस्परता एवं स्थिरता” (7वीं वीपीएसआरएम 2024) पर आधारित था। इस सम्मेलन का उद्देश्य कृषि और जीवन विज्ञान के क्षेत्र में उभरती चुनौतियों पर चर्चा करना और उनके समाधान के लिए प्रभावी उपाय ढूंढना था।

सम्मेलन का उद्घाटन और मुख्य उद्देश्यों की रूपरेखा Agriculture Applied and Life Sciences

सम्मेलन की शुरुआत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और संयोजक जीत राम, डॉक्टर अनूप बडोनी, और सचिव डॉक्टर वंदना नेगी के मार्गदर्शन में हुई। इस अवसर पर मुख्य अतिथियों ने कृषि, वनस्पति विज्ञान और जीवन विज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन क्षेत्रों में हो रहे अनुसंधान न केवल खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि मानवता के समग्र विकास के लिए भी आवश्यक हैं।

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सम्मेलन में मुख्य रूप से यह चर्चा की गई कि कैसे वनस्पति, मानव और पृथ्वी के बीच परस्परता और स्थिरता को बनाए रखा जा सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का नुकसान, और प्राकृतिक संसाधनों की कमी जैसी समस्याओं का सामना करने के लिए हमें विज्ञान और तकनीक का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देकर पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दिया जा सकता है।

डॉक्टर प्रतिभा ग्वाल की उत्कृष्ट प्रस्तुति और सम्मान

इस सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण वनस्पति विज्ञान विभाग की पूर्व शोध छात्रा, डॉक्टर प्रतिभा ग्वाल की प्रस्तुति रही। डॉक्टर प्रतिभा वर्तमान में राजकीय इंटर कॉलेज गाजोली में जीव विज्ञान की प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने जीवन विज्ञान के अंतर्गत एक शोध पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने वनस्पति और मानव जीवन के बीच के संबंधों और उनकी स्थिरता पर प्रकाश डाला। उनकी प्रस्तुति को सम्मेलन में मौजूद विशेषज्ञों द्वारा अत्यधिक सराहा गया और इसके लिए उन्हें “एक्सीलेंस रिसर्च अवार्ड” से सम्मानित किया गया।

डॉक्टर प्रतिभा ग्वाल की इस उपलब्धि पर कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (कूटा) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर नीलू लोधियाल, महासचिव डॉक्टर विजय कुमार और डॉक्टर संतोष कुमार सहित अन्य प्राध्यापकों ने उन्हें बधाई दी। इस सम्मान ने न केवल डॉक्टर प्रतिभा की मेहनत को पहचान दिलाई, बल्कि अन्य शोधार्थियों को भी प्रेरित किया। Agriculture Applied and Life Sciences

सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए शोध पत्र और उनके निष्कर्ष Agriculture Applied and Life Sciences

इस द्विदिवसीय सम्मेलन के दौरान विभिन्न वैज्ञानिकों और शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इन शोध पत्रों में कृषि और पर्यावरणीय स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण, जैविक खेती, पौधों की नई प्रजातियों की खोज, और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।

  • कृषि और जैव विविधता: शोधकर्ताओं ने बताया कि कृषि भूमि के अंधाधुंध उपयोग और अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग के कारण जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसे रोकने के लिए जैविक और सतत खेती को बढ़ावा देना आवश्यक है।
  • वनस्पति विज्ञान में नए प्रयोग: कुछ शोध पत्रों ने पौधों की नई प्रजातियों की खोज और उनके औषधीय गुणों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया। वैज्ञानिकों ने इस बात पर बल दिया कि पारंपरिक पौधों की प्रजातियों को संरक्षित कर उनके उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • कृषि तकनीकों का विकास: सम्मेलन में यह भी चर्चा हुई कि कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को अपनाकर उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए जैव प्रौद्योगिकी और नवीन अनुसंधानों का उपयोग करने की आवश्यकता है।

स्थिरता और परस्परता की दिशा में कदम

इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य वनस्पति, मानव और पृथ्वी के बीच परस्परता और स्थिरता को बढ़ावा देना था। वक्ताओं ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। सम्मेलन में इस बात पर भी जोर दिया गया कि सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने के लिए कृषि, जीवन विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान के बीच समन्वय की आवश्यकता है।

छात्रों और युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत

इस सम्मेलन में न केवल विशेषज्ञों ने अपनी जानकारी साझा की, बल्कि छात्रों को भी प्रेरित किया गया कि वे कृषि और जीवन विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान करें। कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों ने वक्ताओं से सवाल पूछे और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया। Agriculture Applied and Life Sciences

डॉक्टर प्रतिभा ग्वाल की उपलब्धि ने भी युवा छात्रों को अनुसंधान के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। सम्मेलन में उनकी प्रस्तुति से यह स्पष्ट हुआ कि मेहनत, समर्पण और सही दिशा में किए गए प्रयास हमेशा सफलता की ओर ले जाते हैं।

सम्मेलन का समापन और भविष्य की योजनाएं

सम्मेलन का समापन सकारात्मक ऊर्जा और नई उम्मीदों के साथ हुआ। संयोजक प्रोफेसर जीत राम ने सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों, शोधकर्ताओं और छात्रों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के सम्मेलन न केवल वैज्ञानिकों और शोधार्थियों के लिए एक मंच प्रदान करते हैं, बल्कि समाज को भी जागरूक करने का कार्य करते हैं।

भविष्य में कुमाऊं विश्वविद्यालय और प्लांटिक संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में इस तरह के और भी सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है। इसका उद्देश्य कृषि और जीवन विज्ञान के क्षेत्र में नई खोजों और शोध कार्यों को बढ़ावा देना है, जिससे राज्य और देश के विकास में योगदान दिया जा सके।

Agriculture Applied and Life Sciences: कृषि, एप्लाइड एवं जीवन विज्ञान पर राष्ट्रीय सम्मेलन: स्थिरता और परस्परता की दिशा में एक कदम

कुमाऊं विश्वविद्यालय के देवदार सभागार में आयोजित इस द्विदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ने कृषि, एप्लाइड एवं जीवन विज्ञान के क्षेत्र में नई संभावनाओं को उजागर किया। सम्मेलन में उपस्थित सभी विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और उनके समाधान के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। डॉक्टर प्रतिभा ग्वाल की उत्कृष्ट प्रस्तुति ने सम्मेलन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उत्तराखंड के युवा वैज्ञानिक और शोधार्थी भविष्य में देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

इस प्रकार के सम्मेलन न केवल वैज्ञानिक और शैक्षिक समुदाय को एक साथ लाते हैं, बल्कि युवाओं को अनुसंधान के क्षेत्र में प्रोत्साहित करते हैं। आने वाले वर्षों में इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से विज्ञान, तकनीक और सतत विकास की दिशा में और अधिक प्रयास किए जाएंगे, ताकि हमारी पृथ्वी और मानवता के बीच संतुलन बनाए रखा जा सके।


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