Advocate Death: एडवोकेट मोहन चंद्र पांडे- एक महान समाजसेवी और न्यायविद का निधन
दिल्ली में आज एडवोकेट मोहन चंद्र पांडे (Advocate Death) का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन की खबर ने समाज में शोक की लहर दौड़ा दी है। एडवोकेट पांडे न केवल एक प्रतिष्ठित वकील थे, बल्कि समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने वाले एक महान समाजसेवी भी थे। उनकी पत्नी प्रो चित्रा पांडे कुमाऊं विश्वविद्यालय में विज्ञान संकाय की डीन हैं। एडवोकेट पांडे अपने पीछे एक पुत्री और एक पुत्र छोड़ गए हैं।
जीवन और करियर
एडवोकेट मोहन चंद्र पांडे का जन्म कुमाऊं क्षेत्र में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद विधि के क्षेत्र में अपना करियर शुरू किया। वे न्यायिक मामलों में अपनी उत्कृष्टता और निष्ठा के लिए जाने जाते थे। अपने जीवनकाल में, उन्होंने न केवल अनेक मामलों में न्याय दिलाने का काम किया, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों की मदद करने में भी सक्रिय रहे।
कुमाऊं विश्वविद्यालय के साथ संबंध
एडवोकेट पांडे का कुमाऊं विश्वविद्यालय से गहरा नाता था। वे विश्वविद्यालय की कार्य परिषद के सदस्य रहे थे, जहां उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी पत्नी, प्रो चित्रा पांडे, भी विश्वविद्यालय में विज्ञान संकाय की डीन के पद पर कार्यरत हैं, जिससे पांडे परिवार का शिक्षा और समाज के प्रति समर्पण स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
बार एसोसिएशन में भूमिका
एडवोकेट पांडे बार एसोसिएशन में भी सक्रिय रहे। उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए और उन्होंने बार के सदस्यों के हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी अद्वितीय नेतृत्व क्षमता और न्याय के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें बार एसोसिएशन में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया।
कूटा (कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ) की प्रतिक्रिया
कूटा (कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ) ने एडवोकेट मोहन चंद्र पांडे के निधन को समाज और शिक्षा क्षेत्र के लिए एक अपूर्णीय क्षति बताया है। कूटा के अध्यक्ष प्रो ललित तिवारी, महासचिव डॉक्टर विजय कुमार, उपाध्यक्ष प्रो नीलू लोधियाल, डॉक्टर दीपक कुमार, डॉक्टर संतोष, डॉक्टर दीपाक्षी जोशी, डॉक्टर दीपिका गोस्वामी, डॉक्टर पैनी जोशी, डॉक्टर गीता तिवारी, प्रो पुष्पा जोशी, डॉक्टर महेश आर्य, डॉक्टर मनोज धूनी, डॉक्टर युगल जोशी, डॉक्टर रितेश साह, डॉक्टर गिरीश खर्कवाल, डॉक्टर संदीप मैंडोलिया, डॉक्टर नवीन पांडे, डॉक्टर हिमानी कार्की, और डॉक्टर हर्ष चौहान ने उनके निधन पर गहरा दुख और शोक व्यक्त किया है।
व्यक्तित्व और स्वभाव
एडवोकेट पांडे एक विनम्र स्वभाव और महान व्यक्तित्व के धनी थे। वे अपने सहकर्मियों और समाज के सभी वर्गों के प्रति सद्भावना और सम्मान का व्यवहार रखते थे। उनकी यह विशेषता उन्हें एक आदर्श समाजसेवी और न्यायविद के रूप में स्थापित करती थी। उनके जाने से समाज ने एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक और हितैषी खो दिया है।
अंतिम संस्कार
एडवोकेट मोहन चंद्र पांडे का अंतिम संस्कार 24 जून को सुबह 10 बजे रानीबाग में किया जाएगा। इस अवसर पर उनके परिजन, मित्र, सहकर्मी, और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग शामिल होकर उन्हें अंतिम विदाई देंगे। उनके निधन से उत्पन्न शोक को सभी ने गहरे दिल से महसूस किया है और उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
समाज और शिक्षा में योगदान
एडवोकेट पांडे ने अपने जीवनकाल में समाज और शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया। वे अनेक सामाजिक संगठनों से जुड़े थे और समाज के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनकी पत्नी, प्रो चित्रा पांडे, के साथ मिलकर उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उनके प्रयासों से कई विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला और उन्होंने समाज को बेहतर बनाने में अपना योगदान दिया।
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आदर्श और प्रेरणा
एडवोकेट मोहन चंद्र पांडे का जीवन उनके आदर्शों और निष्ठा का प्रतीक था। उनकी जीवनशैली और कार्यशैली ने अनेक लोगों को प्रेरित किया। वे हमेशा न्याय, सत्य और सेवा के पथ पर चलते रहे और यही कारण है कि वे आज भी अनेक लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।
Advocate Death:
एडवोकेट मोहन चंद्र पांडे का निधन न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि समाज और न्याय के क्षेत्र के लिए भी एक बड़ी क्षति है। उनके अद्वितीय योगदान, निष्ठा और सेवा भावना को हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी स्मृति में पौधारोपण और सामाजिक कार्यों को बढ़ावा देकर हम उनकी विरासत को जीवित रख सकते हैं। एडवोकेट पांडे का जीवन एक उदाहरण है कि किस प्रकार एक व्यक्ति समाज और शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देकर अपने जीवन को सार्थक बना सकता है। उनके आदर्श और योगदान हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे और हमें न्याय, सेवा और सच्चाई के मार्ग पर चलते रहने की प्रेरणा देते रहेंगे।