Prakash Parv गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व: शिक्षाओं की आलोकिक ज्योति
Prakash Parv: भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का प्रतीक हमारे देश के महान संत और गुरुओं की शिक्षाओं में निहित है। इन्हीं महान संतों में से एक, गुरु नानक देव जी, सिख धर्म के संस्थापक, अपनी अमर शिक्षाओं और आदर्शों के लिए जाने जाते हैं। उनका प्रकाश पर्व (जन्मदिन) पूरे देश में विशेष श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष, गुरु नानक देव जी का 555वां प्रकाश पर्व मनाया गया। इस अवसर पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने देहरादून के रेसकोर्स स्थित गुरुद्वारे में मत्था टेक कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की। आइए इस महत्वपूर्ण अवसर और गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं की प्रासंगिकता को गहराई से समझें।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं: समाज को एक नई दिशा Prakash Parv
गुरु नानक देव जी ने अपने समय में समाज में व्याप्त बुराइयों और कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने मानवता के लिए करुणा, न्याय और समानता का संदेश दिया। उनकी शिक्षा “इक ओंकार सत नाम” हमें एक परम सत्य और एकता की भावना का स्मरण कराती है। इसका अर्थ है कि ईश्वर एक है और वह सबमें समाया हुआ है। गुरु नानक देव जी ने यह सिखाया कि धर्म का मूल उद्देश्य मानवता की सेवा और सबके प्रति प्रेमभाव रखना है।
राज्यपाल द्वारा प्रकाश पर्व की शुभकामनाएं
इस वर्ष के प्रकाश पर्व के अवसर पर, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने गुरु नानक देव जी के आदर्शों को अपनाने और उनके संदेशों का अनुसरण करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी के मूल मंत्र ‘इक ओंकार सत नाम’ से हमें अपने जीवन में आध्यात्मिकता और सच्चाई का संचार करना चाहिए। राज्यपाल ने गुरु नानक देव जी की चार विशेषताओं – साधारणता, करुणा, मासूमियत और नम्रता का उल्लेख करते हुए लोगों से इन्हें अपने जीवन में अपनाने का आह्वान किया। Prakash Parv
गुरु नानक देव जी के जीवन के आदर्श और संदेश Prakash Parv
गुरु नानक देव जी का जीवन अत्यंत प्रेरणादायक था। उनका जन्म 1469 में तलवंडी (अब पाकिस्तान के ननकाना साहिब में) में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने समाज में प्रचलित अंधविश्वासों और कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने जाति-पाति, ऊंच-नीच और धार्मिक भेदभाव के विरुद्ध एक समतामूलक समाज की परिकल्पना की। उनके संदेश ‘सब कुछ तेरा’ और ‘नाम जपो, किरत करो, वंड छको’ आज भी हमारे जीवन को प्रेरित करते हैं।
- नाम जपो (ईश्वर का स्मरण): गुरु नानक देव जी ने लोगों को यह शिक्षा दी कि जीवन में आध्यात्मिक शांति पाने के लिए ईश्वर का नाम स्मरण करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ईश्वर सर्वव्यापी है और हमें उसकी भक्ति में लीन रहना चाहिए।
- किरत करो (ईमानदारी से काम करो): गुरु नानक देव जी ने यह भी सिखाया कि व्यक्ति को मेहनत और ईमानदारी से अपनी जीविका अर्जित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मेहनत से कमाया हुआ धन ही सच्चा धन है।
- वंड छको (साझा करना): उन्होंने सिखाया कि अपने संसाधनों और संपत्तियों को जरूरतमंदों के साथ साझा करना चाहिए। यह समाज में भाईचारे और समरसता को बढ़ाने का मार्ग है।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं की आज की प्रासंगिकता
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी सदियों पहले थीं। उनके आदर्शों पर चलकर हम एक स्वस्थ, शांतिपूर्ण और समतामूलक समाज का निर्माण कर सकते हैं। आज के समय में जब समाज में विभाजन और असमानता बढ़ रही है, गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं हमें प्रेम, एकता और सहिष्णुता का संदेश देती हैं।
- धर्मनिरपेक्षता का संदेश: गुरु नानक देव जी ने धार्मिक सहिष्णुता और सभी धर्मों के प्रति समानता का संदेश दिया। उनके द्वारा स्थापित लंगर प्रथा, जिसमें जाति, धर्म और सामाजिक स्थिति से परे सभी को एक साथ भोजन कराया जाता है, आज भी समता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- पर्यावरण संरक्षण: गुरु नानक देव जी ने प्रकृति के प्रति सम्मान और संरक्षण की शिक्षा दी। उनका कहना था कि हम सभी प्रकृति के अंश हैं और इसका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है।
- समानता और समरसता: गुरु नानक देव जी ने महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की बात की, जो आज के समय में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रासंगिक है।
राज्यपाल द्वारा गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं पर बल
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने इस प्रकाश पर्व पर अपने संबोधन में कहा कि गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं मानवता के लिए मार्गदर्शन का स्रोत हैं। उन्होंने लोगों से गुरु नानक देव जी के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का आह्वान किया। राज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि यदि हम गुरु नानक के उपदेशों का पालन करें, तो समाज में आपसी प्रेम, भाईचारा और शांति स्थापित हो सकती है।
गुरु नानक देव जी का योगदान और उनकी विचारधारा का प्रभाव
गुरु नानक देव जी का योगदान केवल धार्मिक सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके विचार समाज सुधार, शिक्षा और नैतिक मूल्यों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। उन्होंने लोगों को अंधविश्वास, पाखंड और धार्मिक कट्टरता से मुक्त होने का संदेश दिया। उनकी विचारधारा ने सिख धर्म की नींव रखी, जो आज भी करोड़ों लोगों के जीवन का मार्गदर्शन करती है। Prakash Parv
गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह समाज में समता, प्रेम और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने का अवसर भी है। उनकी शिक्षाएं हमें यह सिखाती हैं कि सच्चा धर्म वह है जो मानवता की सेवा और सच्चाई पर आधारित हो। आज, जब समाज अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है, गुरु नानक देव जी के आदर्श और शिक्षाएं हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकती हैं।
इस प्रकार, गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व हमें उनकी शिक्षाओं को आत्मसात करने और अपने जीवन को उनके आदर्शों के अनुरूप ढालने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है। आइए, इस पर्व के अवसर पर हम सभी गुरु नानक देव जी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारकर एक बेहतर समाज की दिशा में कदम बढ़ाएं।