National Service Scheme: कुमाऊं विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस): विद्यार्थियों में सामाजिक सेवा और देशभक्ति की भावना का विकास
National Service Scheme: कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर, नैनीताल में नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत के साथ ही राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की चार इकाइयों के लिए चार कार्यक्रम अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। एनएसएस का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में सामाजिक जिम्मेदारी, सेवा की भावना, और देशभक्ति के गुणों को विकसित करना है। यह कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों को समाजसेवा के अवसर प्रदान करता है, बल्कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से भी सशक्त बनाता है।
एनएसएस का उद्देश्य और महत्व National Service Scheme
राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की स्थापना का उद्देश्य भारतीय युवाओं को समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी और सेवाभाव से अवगत कराना है। इसका मुख्य आदर्श वाक्य “स्वयं सेवा” है, जिसका मतलब है समाज की सेवा करते हुए खुद को बेहतर बनाना। एनएसएस विद्यार्थियों को विभिन्न सामाजिक समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रेरित करता है। यह योजना केवल शिक्षा तक सीमित नहीं रहती, बल्कि समाज के लिए वास्तविक सेवा का मार्ग दिखाती है।
कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर में एनएसएस की चार इकाइयों के लिए हाल ही में चार नए कार्यक्रम अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जिनमें डॉ. शशि पांडे, डॉ. जितेंद्र लोहुनि, डॉ. दीपिका पंत, और डॉ. मनोज बाफिला शामिल हैं। इन कार्यक्रम अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे एनएसएस की विभिन्न गतिविधियों का संचालन करें और विद्यार्थियों को सामाजिक कार्यों में संलग्न करें। National Service Scheme
एनएसएस इकाइयों का कार्यक्षेत्र
एनएसएस इकाइयाँ विभिन्न सामाजिक गतिविधियों और सेवाओं में विद्यार्थियों को सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर प्रदान करती हैं। इनमें पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता अभियान, साक्षरता अभियान, स्वास्थ्य सेवाएँ, और आपदा प्रबंधन जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
1. पर्यावरण संरक्षण: एनएसएस इकाइयाँ पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के लिए वृक्षारोपण, जल संरक्षण, और कचरा प्रबंधन जैसे कार्यक्रम आयोजित करती हैं। विद्यार्थियों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने और उन्हें धरती के संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता को समझाने का कार्य किया जाता है।
2. स्वच्छता अभियान: “स्वच्छ भारत अभियान” के अंतर्गत एनएसएस इकाइयाँ गाँवों, शहरी बस्तियों, और विश्वविद्यालय परिसर में स्वच्छता अभियान चलाती हैं। यह अभियान विद्यार्थियों को व्यक्तिगत और सामाजिक स्वच्छता के महत्व से अवगत कराता है और समाज को स्वच्छ बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है।
3. साक्षरता अभियान: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में साक्षरता दर को बढ़ाने के उद्देश्य से एनएसएस इकाइयाँ शिक्षण अभियान आयोजित करती हैं। इन अभियानों के माध्यम से विद्यार्थियों को ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर वयस्क और बच्चों को पढ़ाने का मौका मिलता है। यह न केवल शिक्षा के प्रसार में मदद करता है, बल्कि विद्यार्थियों को ग्रामीण समस्याओं को करीब से समझने का अवसर भी प्रदान करता है।
4. स्वास्थ्य सेवाएँ और जागरूकता अभियान: एनएसएस इकाइयाँ स्वास्थ्य सेवाओं और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में योगदान देती हैं। इन कार्यक्रमों में रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण, और मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता अभियान शामिल होते हैं।
नई नियुक्तियाँ और उनकी भूमिका
नए शैक्षिक सत्र में एनएसएस की चार इकाइयों के लिए नियुक्त कार्यक्रम अधिकारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। डॉ. शशि पांडे, डॉ. जितेंद्र लोहुनि, डॉ. दीपिका पंत, और डॉ. मनोज बाफिला की नियुक्ति से यह अपेक्षा की जाती है कि वे विद्यार्थियों को सामाजिक सेवा के प्रति प्रेरित करेंगे और उन्हें नई दिशा प्रदान करेंगे।
1. डॉ. शशि पांडे: समाजसेवा और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता के लिए जानी जाने वाली डॉ. शशि पांडे, एनएसएस के विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। उनके नेतृत्व में विद्यार्थियों को समाज के विभिन्न आयामों के प्रति जागरूक किया जाएगा, जिससे वे जिम्मेदार नागरिक बन सकें।
2. डॉ. जितेंद्र लोहुनि: डॉ. जितेंद्र लोहुनि एक अनुभवी शिक्षक हैं, जो सामाजिक कार्यों में गहरी रुचि रखते हैं। उनकी योजना है कि विद्यार्थियों को समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए प्रेरित किया जाए। वे एनएसएस की गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों में सामाजिक संवेदनशीलता और नेतृत्व क्षमता विकसित करेंगे।
3. डॉ. दीपिका पंत: डॉ. दीपिका पंत, जो समाज के प्रति संवेदनशीलता और सेवा की भावना को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती हैं, एनएसएस की इकाई को सामाजिक न्याय, लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ाएंगी। उनके नेतृत्व में विद्यार्थियों को इन मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए तैयार किया जाएगा।
4. डॉ. मनोज बाफिला: डॉ. मनोज बाफिला सामाजिक मुद्दों पर गहन विचारधारा रखने वाले शिक्षक हैं। उनकी सोच है कि विद्यार्थियों को समाज के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराना और उन्हें सक्रिय रूप से समाजसेवा में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। वे एनएसएस की इकाई को इस दिशा में नई ऊर्जा प्रदान करेंगे।
एनएसएस के आगामी कार्यक्रम
नई नियुक्तियों के साथ ही कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर में एनएसएस इकाइयों के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है।
1. विशेष शिविर: एनएसएस इकाइयाँ विद्यार्थियों के लिए एक दिवसीय और विशेष शिविर आयोजित करने की योजना बना रही हैं। इन शिविरों के माध्यम से विद्यार्थियों को समाज की सेवा करने के साथ-साथ अपनी नेतृत्व क्षमता को विकसित करने का अवसर मिलेगा। शिविरों में पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य सेवाएँ, और सामाजिक जागरूकता के कार्यक्रम प्रमुख होंगे।
2. कार्यशालाएँ और संगोष्ठियाँ: विद्यार्थियों के सामाजिक और व्यक्तिगत विकास के लिए कार्यशालाओं और संगोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में सामाजिक मुद्दों पर चर्चा होगी और विद्यार्थियों को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराया जाएगा।
3. आपदा प्रबंधन और सेवा: उत्तराखंड जैसे राज्य में आपदाओं की संभावना अधिक होती है, इसलिए एनएसएस इकाइयाँ विद्यार्थियों को आपदा प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित करेंगी। यह प्रशिक्षण आपदाओं के दौरान त्वरित और प्रभावी सेवा देने में सहायक होगा।
एनएसएस का दीर्घकालिक प्रभाव National Service Scheme
एनएसएस न केवल विद्यार्थियों को सामाजिक सेवा के कार्यों में संलग्न करता है, बल्कि उनके व्यक्तिगत विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एनएसएस की गतिविधियों में भाग लेने से विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता, समस्याओं का समाधान करने की कला, और टीम वर्क के गुणों का विकास होता है।
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1. नेतृत्व क्षमता का विकास: एनएसएस के कार्यक्रमों में भाग लेने से विद्यार्थियों में नेतृत्व गुणों का विकास होता है। वे समाज की समस्याओं को समझकर उनका समाधान खोजने के लिए नेतृत्व करते हैं।
2. आत्मविश्वास और जिम्मेदारी: एनएसएस के माध्यम से विद्यार्थी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझते हैं और उनका निर्वहन करते हैं। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे समाज के प्रति अपनी भूमिका को गंभीरता से लेने लगते हैं।
3. नैतिक और सामाजिक मूल्यों का विकास: एनएसएस विद्यार्थियों में नैतिकता और समाज के प्रति सेवा की भावना का विकास करता है। वे समाज की सेवा करने के साथ-साथ अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को भी समझते हैं। National Service Scheme
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कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर में एनएसएस की चार इकाइयों के लिए कार्यक्रम अधिकारियों की नई नियुक्तियाँ विद्यार्थियों के सामाजिक और व्यक्तिगत विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। एनएसएस के माध्यम से विद्यार्थियों को समाज की सेवा करने का अवसर मिलेगा और वे अपने व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास कर सकेंगे। National Service Scheme
यह पहल न केवल विद्यार्थियों के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक सकारात्मक परिवर्तन लाएगी। एनएसएस की गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों में सामाजिक सेवा की भावना और देशभक्ति का विकास होगा, जिससे वे भविष्य में एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में उभरेंगे।