Kids Movies : बॉलीवुड में बच्चों की फिल्मों का खोता हुआ मासूमियत का युग
Kids Movies: बॉलीवुड का स्वर्णिम युग कई उत्कृष्ट फिल्मों का साक्षी रहा है, जिन्होंने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि समाज के विभिन्न आयामों को भी छुआ। इनमें से एक महत्वपूर्ण श्रेणी बच्चों की फिल्में थीं, जो न केवल बच्चों के लिए बनी थीं, बल्कि परिवार के हर सदस्य को अपने साथ जोड़ने की क्षमता रखती थीं। “मिस्टर इंडिया” और “मकड़ी” जैसी फिल्में इसका उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन फिल्मों ने बच्चों को केवल मनोरंजन नहीं दिया, बल्कि उनके दिलों में एक गहरी छाप छोड़ी। परंतु आज का बॉलीवुड इस दिशा से भटक चुका है। पिछले कुछ सालों में हम शायद ही ऐसी फिल्मों को देख पाते हैं, जो बच्चों की मासूमियत और उनकी कल्पनाशक्ति को समझते हुए बनाई गई हों।
बच्चों की फिल्मों का पुराना युग: मासूमियत और सादगी का मेल Kids Movies
पुराने समय में बच्चों की फिल्में सरल, मासूम और परिवार की भावनाओं से ओत-प्रोत होती थीं। “मिस्टर इंडिया” और “मकड़ी” जैसी फिल्में न केवल एक दिलचस्प कहानी पर आधारित थीं, बल्कि उनमें एक सामाजिक संदेश भी छिपा होता था। “मिस्टर इंडिया” ने न केवल बच्चों के लिए अदृश्य होने की कल्पना को सजीव किया, बल्कि बुराई के खिलाफ लड़ने का साहस भी सिखाया। इसी प्रकार, “मकड़ी” ने बच्चों को जादू और रहस्य के माध्यम से एक गहरी सीख दी कि डर का सामना कैसे किया जाए।
इन फिल्मों में कोई जटिल प्रेम कहानियाँ, बेवजह के आइटम नंबर या वयस्क सामग्री नहीं होती थी। ये फिल्में बच्चों के जीवन के छोटे-छोटे पहलुओं को छूती थीं, जैसे दोस्ती, साहस, और सही-गलत का फर्क। दर्शक इन फिल्मों के पात्रों के साथ अपनी पहचान बना लेते थे और इनसे प्रेरणा पाते थे।
आधुनिक बॉलीवुड: बच्चों के लिए फिल्मों की कमी
आज की तारीख में, बॉलीवुड में बच्चों के लिए फिल्मों का अभाव दिखाई देता है। 2010 के बाद से, ऐसी फिल्मों की संख्या नगण्य हो गई है, जो बच्चों की मासूमियत को समझते हुए बनाई गई हों। जहाँ एक ओर हॉलीवुड में बच्चों के लिए एनिमेटेड और लाइव-एक्शन फिल्में बन रही हैं, वहीं बॉलीवुड में यह श्रेणी लगभग विलुप्त हो चुकी है।
कई बार जो फिल्में बच्चों के लिए बनाई जाती हैं, उनमें किसी न किसी रूप में वयस्क सामग्री डाली जाती है, जो बच्चों के लिए अनुपयुक्त होती है। “थोड़ा प्यार थोड़ा मैजिक” इसका एक प्रमुख उदाहरण है। इस फिल्म की कहानी में चार अनाथ बच्चों को एक अरबपति के साथ रहने के लिए भेजा जाता है, जिसने गलती से उनके माता-पिता को मार दिया था। फिल्म की कहानी तो बच्चों को जोड़ने वाली थी, लेकिन बीच में आने वाले आइटम नंबर और अनुपयुक्त दृश्यों ने इस फिल्म की संभावनाओं को कमजोर कर दिया।
फिल्म में एक सीन में, एक आइटम नंबर “लज़ी लम्बे” है, जिसमें बिकनी पहने अभिनेत्री अमीषा पटेल पूल में गाने के साथ अभिनेता सैफ अली खान को लुभाने की कोशिश करती हैं। यह सीन न केवल बच्चों के लिए अनुपयुक्त था, बल्कि इससे माता-पिता को अपने बच्चों को इस फिल्म से दूर रखना पड़ा। बच्चों के लिए बनाई गई फिल्म में ऐसे दृश्यों की कोई आवश्यकता नहीं थी। इसी कारण से फिल्म का मुख्य दर्शक वर्ग, यानी बच्चे, इससे दूर हो गए। Kids Movies
बच्चों की फिल्मों में बदलाव: गलत प्राथमिकताएं Kids Movies
बॉलीवुड में बच्चों की फिल्मों में गिरावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं। पहला कारण है, फ़िल्म निर्माताओं की बदलती प्राथमिकताएं। आज की तारीख में बॉलीवुड में व्यावसायिकता हावी हो गई है, और यह माना जाता है कि वयस्क दर्शक वर्ग ही फिल्मों को हिट बना सकते हैं। फिल्म निर्माता मानते हैं कि आइटम नंबर और ग्लैमरस दृश्यों से फिल्में अधिक कमा सकती हैं, जबकि बच्चों की मासूम कहानियाँ शायद ही बॉक्स ऑफिस पर सफल हों।
इसका दूसरा कारण यह है कि बच्चों के मनोरंजन का स्वरूप बदल चुका है। आज के बच्चे यूट्यूब, नेटफ्लिक्स, और अन्य ओटीटी प्लेटफार्मों पर विभिन्न प्रकार के डिजिटल कंटेंट के आदी हो चुके हैं। वे कार्टून, एनिमेटेड सीरीज, और वीडियो गेम्स के माध्यम से अधिक प्रभावित होते हैं, जिससे बॉलीवुड की बच्चों की फिल्मों के लिए बाजार सीमित हो गया है।
तीसरा और महत्वपूर्ण कारण है, फिल्मों में बढ़ती जटिलता और वयस्क सामग्री का समावेश। जहाँ एक ओर हॉलीवुड की एनिमेटेड फिल्में बच्चों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं, वहीं बॉलीवुड में फिल्मों में अनावश्यक प्रेम कहानियाँ, हिंसा, और आइटम नंबर डाल दिए जाते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि माता-पिता अपने बच्चों को इन फिल्मों से दूर रखने का निर्णय लेते हैं।
बच्चों की फिल्मों के भविष्य की चुनौतियाँ
बॉलीवुड में बच्चों की फिल्मों का भविष्य चुनौतीपूर्ण है। हालांकि, कुछ फिल्म निर्माता इस श्रेणी में वापस लौटने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एक प्रमुख समस्या है बच्चों के फिल्मों के लिए उपयुक्त स्क्रिप्ट्स की कमी। अधिकतर लेखक अब वयस्क दर्शकों के लिए ही कहानियाँ लिखने लगे हैं, जिससे बच्चों के लिए उपयुक्त कहानियों का अभाव हो गया है।
दूसरी समस्या यह है कि बच्चों के लिए फिल्में बनाना आर्थिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है। बॉलीवुड में अक्सर यह धारणा है कि बच्चों की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अधिक मुनाफा नहीं कमा पाती हैं। जबकि हॉलीवुड में, बच्चों की फिल्में बड़ी कमाई करती हैं और विभिन्न फ्रेंचाइजियों का हिस्सा बन जाती हैं, वहीं बॉलीवुड में बच्चों की फिल्मों को व्यावसायिक रूप से सफल बनाना एक चुनौती बना हुआ है। Kids Movies
संभावित समाधान: बॉलीवुड में बच्चों की फिल्मों का पुनर्जागरण
बॉलीवुड में बच्चों की फिल्मों को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, फिल्म निर्माताओं को यह समझने की आवश्यकता है कि बच्चों के मनोरंजन का स्तर आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि वयस्कों का। अगर सही स्क्रिप्ट्स और कहानियों का चयन किया जाए, तो बच्चों की फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर सफल हो सकती हैं।
इसके अलावा, फ़िल्म निर्माताओं को ग्लैमर और आइटम नंबरों की बजाय सादगी और मासूमियत को प्राथमिकता देनी चाहिए। बच्चों की फिल्मों में उन विषयों को शामिल किया जाना चाहिए, जो उनके जीवन से संबंधित हों, जैसे दोस्ती, साहस, पारिवारिक मूल्य और कल्पनाशक्ति। साथ ही, इन फिल्मों में मनोरंजन के साथ एक संदेश होना चाहिए, जो बच्चों को प्रेरित कर सके।
फिल्म उद्योग को यह भी समझना होगा कि बच्चों के दर्शक वर्ग को अब डिजिटल मीडिया से चुनौती मिल रही है, इसलिए उन्हें ऐसी फिल्में बनानी चाहिए जो न केवल थिएटर में देखने लायक हों, बल्कि ओटीटी प्लेटफार्मों पर भी उपलब्ध हों। इससे बच्चों की फिल्मों का विस्तार डिजिटल दुनिया में भी हो सकेगा।
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बॉलीवुड में बच्चों की फिल्मों का खोता हुआ मासूमियत का युग चिंता का विषय है। फिल्मों में बढ़ती व्यावसायिकता और जटिलता ने बच्चों के लिए उपयुक्त फिल्मों की कमी पैदा कर दी है। परंतु, यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो बॉलीवुड में बच्चों की फिल्मों का पुनर्जागरण हो सकता है। मिस्टर इंडिया और मकड़ी जैसी मासूम और प्रेरणादायक फिल्मों की आज भी आवश्यकता है, जो न केवल बच्चों का मनोरंजन करें, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाएं। Kids Movies