Kumaon University Nainital कुमाऊँ विश्वविद्यालय में आठ दिवसीय एसएसबी प्रशिक्षण कार्यक्रम: राष्ट्र निर्माण और नेतृत्व कौशल का विकास
Kumaon University Nainital : कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल, उत्तराखण्ड का एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान है, जो शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहा है। इस विश्वविद्यालय ने 18 सितंबर 2024 से 25 सितंबर 2024 तक आठ दिवसीय एसएसबी (सेवा चयन बोर्ड) प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को भारतीय सेना में भविष्य की नेतृत्वकारी भूमिकाओं के लिए तैयार करना था। इस पहल ने न केवल विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रेरित किया, बल्कि उन्हें अनुशासन, नेतृत्व, और देश सेवा के प्रति समर्पण की महत्ता को समझने का अवसर भी प्रदान किया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रोफेसर डी.एस. रावत ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने इस कार्यक्रम की आवश्यकता और महत्व को रेखांकित किया। उनके अनुसार, यह प्रशिक्षण न केवल छात्रों को एसएसबी परीक्षाओं के लिए तैयार करेगा, बल्कि यह उन्हें अनुशासन, टीम वर्क, दृढ़ निश्चय, निर्णय लेने की क्षमता, और नेतृत्व जैसे महत्वपूर्ण गुणों से लैस करेगा। ऐसे गुण किसी भी रक्षा सेवाओं में सफल होने के लिए आवश्यक होते हैं।
एसएसबी प्रशिक्षण कार्यक्रम: उद्देश्य और महत्व
एसएसबी प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को रक्षा सेवाओं में नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए तैयार करना था। इस कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों को न केवल शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किया गया, बल्कि उन्हें सामरिक सोच और नेतृत्व कौशल विकसित करने की दिशा में भी प्रोत्साहित किया गया। भारतीय सेना, जो अनुशासन, नेतृत्व और दृढ़ता के उच्चतम मानकों के लिए जानी जाती है, उसमें शामिल होने के लिए यह प्रशिक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कुलपति प्रोफेसर रावत ने अपने भाषण में बताया कि यह कार्यक्रम छात्रों को सेना में प्रवेश के लिए केवल तकनीकी रूप से तैयार नहीं करेगा, बल्कि यह उनकी सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता को भी विकसित करेगा। यह कार्यक्रम उन प्रमुख गुणों को विकसित करने का एक मंच है, जो छात्रों को न केवल सेना में, बल्कि किसी भी जीवन क्षेत्र में सफल होने में मदद करेंगे। Kumaon University Nainital
विशिष्ट अतिथियों का योगदान Kumaon University Nainital
इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में कई विशिष्ट अतिथि भी मौजूद थे, जिनमें दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रोफेसर पी.सी. जोशी और कर्नल डी.के. रावत शामिल थे। प्रोफेसर पी.सी. जोशी ने कुमाऊँ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना की और कहा कि यह पहल अपने आप में अनूठी और प्रशंसनीय है। उन्होंने छात्रों से कहा कि यह प्रशिक्षण उन्हें अधिक आत्मविश्वास से भरे, मजबूत और सम्मानित व्यक्तियों के रूप में उभरने में मदद करेगा, जो भविष्य में देश की सेवा करेंगे।
कर्नल डी.के. रावत, जो इस कार्यक्रम के विजिटिंग प्रोफेसर थे, ने भी अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में अनुशासन, टीम वर्क, और निर्णय लेने की क्षमताओं का अत्यधिक महत्व होता है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों में इन गुणों को विकसित करना और उन्हें अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करना है।
विजिटिंग प्रोफेसर और ग्रुप कैप्टन संदीप मोहन ने भी इस कार्यक्रम के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम एसएसबी की कठिनाई और चुनौतियों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है, ताकि छात्र इन मांगों को पूरा कर सकें और अपने भविष्य के प्रयासों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें।
कार्यक्रम का संचालन और छात्र सहभागिता
इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. रीतेश साह, सहायक निदेशक, द्वारा किया गया। उन्होंने कार्यक्रम के समन्वयक के रूप में अपनी भूमिका निभाई और छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे इस प्रशिक्षण को पूरी गंभीरता और संकल्प के साथ करें। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों को शारीरिक रूप से मजबूत बनाएगा, बल्कि उनके आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमताओं को भी बढ़ाएगा।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुल 32 छात्रों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय सेवा के प्रति समर्पित एक कैरियर में आवश्यक नेतृत्व गुणों को विकसित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था।
एसएसबी प्रशिक्षण के प्रमुख घटक
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में छात्रों को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। छात्रों को शारीरिक फिटनेस के साथ-साथ रणनीतिक सोच और त्वरित निर्णय लेने की क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए गए।
- शारीरिक प्रशिक्षण: सेना में शामिल होने के लिए शारीरिक रूप से फिट रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस कार्यक्रम में छात्रों को विभिन्न शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से फिटनेस बनाए रखने और अपनी शारीरिक क्षमता को निखारने के लिए प्रेरित किया गया। शारीरिक चुनौतियों का सामना करने के लिए छात्रों को कठोर प्रशिक्षण सत्रों से गुजारा गया।
- मानसिक प्रशिक्षण: सेना में मानसिक दृढ़ता और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता आवश्यक होती है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए रणनीतिक सोच और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता का विकास किया गया। छात्रों को विभिन्न मानसिक चुनौतियों से गुजारा गया ताकि वे कठिन परिस्थितियों में भी शांत और केंद्रित रह सकें।
- नेतृत्व और टीम वर्क: इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य छात्रों में नेतृत्व और टीम वर्क की भावना विकसित करना था। सेना में काम करते समय नेतृत्व की भूमिका निभाना और टीम के साथ तालमेल बैठाना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस कार्यक्रम में छात्रों को समूह गतिविधियों के माध्यम से नेतृत्व और टीम वर्क की महत्वपूर्ण क्षमताओं का अनुभव कराया गया।
- अनुशासन: सेना में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण गुण होता है। इस कार्यक्रम के दौरान छात्रों को अनुशासन बनाए रखने के महत्व के बारे में बताया गया। उन्हें यह सिखाया गया कि अनुशासन के बिना कोई भी संगठन सफल नहीं हो सकता और सेना में अनुशासन का विशेष स्थान होता है।
भविष्य की संभावनाएँ
यह एसएसबी प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल छात्रों को भारतीय सेना में प्रवेश के लिए तैयार करेगा, बल्कि यह उन्हें अपने जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी सफलता पाने के लिए प्रेरित करेगा। अनुशासन, नेतृत्व, और टीम वर्क जैसी क्षमताएँ केवल सेना में ही नहीं, बल्कि किसी भी संगठन या व्यक्तिगत जीवन में महत्वपूर्ण होती हैं।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित यह पहल देश के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं में देश सेवा के प्रति समर्पण और नेतृत्व क्षमता का विकास करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Kumaon University Nainital
कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल द्वारा आयोजित आठ दिवसीय एसएसबी प्रशिक्षण कार्यक्रम ने छात्रों के भीतर नेतृत्व, अनुशासन, और टीम वर्क जैसे प्रमुख गुणों को विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह कार्यक्रम न केवल उन्हें भारतीय सेना में प्रवेश के लिए तैयार करेगा, बल्कि उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में भी सफलता दिलाएगा।
इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि सही दिशा और मार्गदर्शन से युवाओं को देश सेवा और नेतृत्व की दिशा में प्रेरित किया जा सकता है। कुमाऊँ विश्वविद्यालय की यह पहल अपने आप में अनुकरणीय है और इसे देश के अन्य विश्वविद्यालयों में भी लागू किया जाना चाहिए।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम ने न केवल छात्रों को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाया है, बल्कि उन्हें देश की सेवा के लिए समर्पित होने की प्रेरणा भी दी है।