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AIIMS Rishikesh प्रशासनिक की लापरवाही से एम्स ऋषिकेश में महिला के साथ छेड़खानी; आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज…

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AIIMS Rishikesh एम्स ऋषिकेश में महिला के साथ छेड़खानी की घटना: सुरक्षा व्यवस्था पर उठते सवाल

AIIMS Rishikesh अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), ऋषिकेश, भारत के प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों में से एक है, जहां देशभर से लोग स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने आते हैं। अपनी उत्कृष्ट चिकित्सा सेवाओं के लिए विख्यात इस संस्थान में लोगों की उम्मीदें न केवल स्वास्थ्य उपचार को लेकर होती हैं, बल्कि सुरक्षा और सम्मान की भावना भी जुड़ी होती है। हालाँकि, हाल के दिनों में एम्स ऋषिकेश में महिलाओं के साथ छेड़खानी की घटनाओं ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सितंबर 2024 में घटित एक घटना ने एम्स की सुरक्षा व्यवस्था पर पुनः विचार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। एक महिला तीमारदार के साथ अस्पताल के अंदर हुई छेड़खानी ने न केवल महिला सुरक्षा के मुद्दों को उजागर किया, बल्कि अस्पताल के भीतर होने वाली घटनाओं पर प्रशासनिक लापरवाही की भी ओर इशारा किया।

घटना का विवरण

घटना 8 सितंबर 2024 की रात की है, जब एम्स ऋषिकेश के चौथे माले पर एक महिला तीमारदार अपनी भाभी, जो गायनी वार्ड में भर्ती थी, की देखरेख कर रही थी। उसी दौरान, एक अन्य मरीज की देखरेख करने के लिए अस्पताल आए एक व्यक्ति ने महिला के साथ अश्लील हरकतें कीं और उसे परेशान करने की कोशिश की। महिला ने तत्काल इस घटना की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।

यह घटना अपने आप में दुखद और चौंकाने वाली थी, क्योंकि अस्पताल जैसे स्थान पर इस प्रकार की असभ्य हरकतें न केवल पीड़ित महिला के लिए अपमानजनक थीं, बल्कि अस्पताल के अन्य मरीजों और उनके परिजनों के लिए भी असुरक्षा की भावना उत्पन्न करती हैं।

एम्स की सुरक्षा पर सवाल

एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में इस तरह की घटना ने लोगों के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्य सवाल यह है कि आखिरकार अस्पताल जैसे संवेदनशील और उच्च स्तर की सुरक्षा वाली जगह में इस प्रकार की घटनाएं कैसे हो सकती हैं? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  1. सुरक्षा की कमी: एम्स जैसे बड़े संस्थान में सुरक्षा को लेकर पर्याप्त ध्यान न दिया जाना एक गंभीर मुद्दा है। अस्पताल में सुरक्षा गार्डों की संख्या पर्याप्त नहीं है या वे अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से नहीं निभा रहे हैं। यदि अस्पताल के विभिन्न हिस्सों में पर्याप्त सुरक्षा मौजूद होती, तो ऐसी घटनाएं होने की संभावना कम हो जाती।
  2. सीसीटीवी कैमरों की निगरानी: अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं, लेकिन इनकी निगरानी कितनी सक्रियता से की जाती है, यह भी एक बड़ा प्रश्न है। यदि सीसीटीवी फुटेज की नियमित रूप से जांच की जाती, तो शायद घटना से पहले ही स्थिति को संभालने का प्रयास किया जा सकता था।
  3. प्रवेश और निकास की निगरानी: अस्पताल में आने-जाने वाले व्यक्तियों की उचित निगरानी न होना भी इस तरह की घटनाओं के पीछे एक बड़ा कारण हो सकता है। यदि अस्पताल प्रशासन आने-जाने वाले लोगों का सही रिकॉर्ड रखता और उनकी जांच-पड़ताल होती, तो इस तरह की घटनाएं रोकने में मदद मिल सकती थी।

पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं

यह पहली बार नहीं है कि एम्स ऋषिकेश में इस तरह की घटना हुई है। इससे पहले भी इस अस्पताल में महिलाओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं सामने आई हैं। पूर्व में एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर ने एक नर्सिंग अधिकारी पर छेड़खानी का आरोप लगाया था। इस घटना ने एम्स की छवि को धूमिल किया था, और इसके बावजूद, ऐसा प्रतीत होता है कि सुरक्षा व्यवस्था में आवश्यक सुधार नहीं किए गए।

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अस्पताल में इस प्रकार की घटनाएं न केवल यहां काम करने वाले कर्मचारियों, बल्कि मरीजों और उनके परिजनों के मन में भी असुरक्षा की भावना पैदा करती हैं। चिकित्सा संस्थान होने के नाते, एम्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल प्राप्त हो।

महिला सुरक्षा: एक गंभीर मुद्दा

महिलाओं के साथ हो रही छेड़खानी और उत्पीड़न की घटनाएं भारत में एक बड़ी समस्या हैं। चाहे वह सार्वजनिक स्थान हों या फिर निजी संस्थान, महिलाओं को कहीं न कहीं असुरक्षा की भावना का सामना करना पड़ता है। अस्पताल, जहां लोग अपनी बीमारियों के इलाज के लिए आते हैं, वहां इस प्रकार की घटनाओं का होना और भी शर्मनाक है।

महिला सुरक्षा के लिए सरकार ने कई कानून बनाए हैं, लेकिन यह केवल कानून बनाने से ही नहीं, बल्कि इन कानूनों को लागू करने और सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करने से संभव हो सकता है। एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियमों का पालन आवश्यक है।

  1. सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाना: अस्पताल प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मी हर समय तैनात हों। साथ ही, महिला सुरक्षा गार्डों की भी नियुक्ति की जानी चाहिए, जो विशेष रूप से महिला वार्डों और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी रखें।
  2. सीसीटीवी कैमरों की सख्त निगरानी: अस्पताल के हर कोने में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए, और उनकी फुटेज की नियमित जांच की जानी चाहिए। इसके अलावा, लाइव मॉनिटरिंग की व्यवस्था भी होनी चाहिए, ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत पकड़ा जा सके।
  3. प्रवेश और निकास की सख्त जांच: अस्पतालों में आने-जाने वाले हर व्यक्ति की सख्त जांच होनी चाहिए। इसके लिए एक सिस्टम विकसित किया जाना चाहिए, जिसमें हर आने-जाने वाले व्यक्ति का रिकॉर्ड रखा जाए।
  4. महिलाओं के लिए हेल्पलाइन: अस्पताल प्रशासन को महिलाओं के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी करना चाहिए, जहां वे अपनी समस्याओं की शिकायत कर सकें और उन्हें तुरंत मदद प्राप्त हो।
  5. कर्मचारियों की ट्रेनिंग: अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित रूप से महिला सुरक्षा और संवेदनशीलता के मुद्दों पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। इसके लिए विशेष कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है।

एम्स प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद एम्स के जनसंपर्क अधिकारी संदीप कुमार ने कहा कि एम्स प्रशासन इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो, इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया जाएगा। हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि एम्स प्रशासन इस दिशा में कितनी तेजी से और प्रभावी रूप से काम करता है।

अस्पताल की सुरक्षा को लेकर किए गए दावों की जाँच समय-समय पर होनी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वास्तव में सुरक्षा व्यवस्था में सुधार हो रहा है। अगर सुरक्षा के लिए कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो इस प्रकार की घटनाएं अस्पताल की छवि को और भी धूमिल कर सकती हैं।

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सामाजिक और मानसिक प्रभाव

इस प्रकार की घटनाएं न केवल पीड़िता के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि समाज में भी एक गलत संदेश जाती हैं। महिलाओं के साथ हो रही छेड़खानी और उत्पीड़न की घटनाएं समाज में असुरक्षा और भय का माहौल पैदा करती हैं। यह घटना भी इस बात का उदाहरण है कि हमें महिलाओं की सुरक्षा को लेकर और अधिक जागरूक और संवेदनशील होने की आवश्यकता है।

इसके साथ ही, ऐसी घटनाएं समाज के अन्य लोगों को भी हतोत्साहित करती हैं। अस्पताल जैसे स्थानों पर भी जब महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं करतीं, तो यह एक बड़ी समस्या बन जाती है।

समाधान के उपाय

महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. सुरक्षा व्यवस्था में सुधार: सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाना और उनके प्रशिक्षण को और बेहतर बनाना आवश्यक है।
  2. शिकायत प्रणाली: महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और गोपनीय शिकायत प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए, ताकि वे बिना किसी डर के अपनी समस्याओं को साझा कर सकें।
  3. संवेदनशीलता की ट्रेनिंग: अस्पताल के कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों को महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और उनके साथ उचित व्यवहार के बारे में नियमित प्रशिक्षण देना चाहिए।
  4. सख्त कानूनी कार्रवाई: ऐसी घटनाओं में शामिल आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि अन्य लोगों के लिए एक उदाहरण स्थापित हो।
  5. जनजागरूकता: समाज में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए नियमित रूप से कार्यक्रमों और अभियानों का आयोजन करना चाहिए।

AIIMS Rishikesh

एम्स ऋषिकेश में घटित छेड़खानी की यह घटना न केवल अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि यह समाज में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को भी उजागर करती है। इस घटना के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।

अस्पतालों को केवल इलाज के स्थान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण भी प्रदान करना चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अस्पताल प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि एम्स ऋषिकेश और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान का अनुभव हो सके।


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