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Hard da & Subhod Uniyal गैरसैंण को लेकर राजनीतिक विवाद: हरीश रावत और सुबोध उनियाल के बीच जुबानी जंग

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Hard da & Subhod Uniyal गैरसैंण को लेकर राजनीतिक विवाद: हरीश रावत और सुबोध उनियाल के बीच जुबानी जंग

Hard da & Subhod Uniyal : उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर से जुबानी जंग ने तूल पकड़ लिया है। इस बार विवाद का केंद्र है गैरसैंण, जिसे उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया था। इस विषय को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और वर्तमान कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के बीच तीखे बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए हैं, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है।

गैरसैंण: उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी

गैरसैंण का मुद्दा उत्तराखंड की राजनीति में लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। जब उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था, तब से ही यह मांग उठी थी कि गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी बनाया जाए। इसकी भौगोलिक स्थिति और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए यह मांग जनता के बीच बहुत लोकप्रिय रही है। हालांकि, अभी तक यह केवल ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में ही मान्यता प्राप्त कर सका है। हरीश रावत के कार्यकाल के दौरान इस दिशा में कुछ प्रयास हुए, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और विभिन्न मुद्दों के कारण यह सपना पूरी तरह साकार नहीं हो सका।

हरीश रावत का आरोप और सुबोध उनियाल की प्रतिक्रिया

हरीश रावत, जो उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि 2016 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए नेताओं के कारण उनकी सरकार गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने में विफल रही। हरीश रावत का कहना है कि इन नेताओं ने उनकी सरकार को कमजोर किया और उन्हें महत्वपूर्ण फैसले लेने से रोका।

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इस बयान के बाद, वर्तमान कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, जो 2016-17 में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे, ने हरीश रावत के आरोपों का कड़ा जवाब दिया। उन्होंने हरीश रावत को ‘झूठ बोलने की मशीन’ करार दिया और सवाल उठाया कि अगर रावत सच में गैरसैंण को राजधानी बनाना चाहते थे, तो उन्होंने अपने मुख्यमंत्री रहते हुए यह फैसला क्यों नहीं लिया। सुबोध उनियाल ने कहा कि हरीश रावत को सत्ता में रहते हुए पर्याप्त समय मिला था, फिर भी वे इस महत्वपूर्ण निर्णय को लागू नहीं कर सके।

हरीश रावत का पलटवार: महापापी बल्द का आरोप Hard da & Subhod Uniyal

सुबोध उनियाल के इस बयान के बाद, हरीश रावत ने भी जोरदार पलटवार किया। उन्होंने सुबोध उनियाल को ‘उजाडू बल्द’ नहीं, बल्कि ‘महापापी बल्द’ कहा। हरीश रावत का कहना है कि 2016 में उनकी सरकार को अस्थिर करने का जिम्मेदार सुबोध उनियाल और उनके साथियों का एक समूह था। रावत के अनुसार, उनियाल और उनके साथियों ने सुनियोजित तरीके से उनकी सरकार को कमजोर किया, जिससे वह गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की दिशा में किए गए कार्यों को पूरा नहीं कर सके।

हरीश रावत ने यह भी कहा कि जब उनकी सरकार को अस्थिर किया गया, तो उस समय उनके पास केवल सात महीने का समय बचा था, जिसमें वह इस महत्वपूर्ण निर्णय को लागू नहीं कर सके। उन्होंने सुबोध उनियाल पर यह आरोप भी लगाया कि उन्हें सरकार की सभी योजनाओं की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने जानबूझकर सरकार को कमजोर करने का काम किया। Hard da & Subhod Uniyal

राजनीतिक अस्थिरता का खेल

उत्तराखंड की राजनीति में अस्थिरता का खेल नया नहीं है। राज्य की सरकारें अक्सर छोटी अवधि के लिए ही टिक पाती हैं, और इस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हरीश रावत की सरकार भी इसी तरह की अस्थिरता का शिकार हुई थी। 2016 में कांग्रेस के कई विधायकों के बीजेपी में शामिल होने के बाद रावत सरकार को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था। इस अस्थिरता का सीधा असर राज्य के विकास कार्यों और महत्वपूर्ण निर्णयों पर पड़ा था।

गैरसैंण का मुद्दा: राजनीति का केंद्रबिंदु Hard da & Subhod Uniyal

गैरसैंण का मुद्दा उत्तराखंड की राजनीति का एक महत्वपूर्ण केंद्रबिंदु रहा है। राज्य के विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे को अपनी राजनीति के लिए उपयोग करते आए हैं। जनता के बीच इस मुद्दे की लोकप्रियता को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि गैरसैंण का मुद्दा राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, इस मुद्दे पर लगातार हो रही बयानबाजी ने इसे केवल राजनीतिक बहस का विषय बना दिया है, जबकि इस पर ठोस निर्णय लेने की आवश्यकता है।

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जनता की उम्मीदें और नेताओं की जिम्मेदारी

उत्तराखंड की जनता गैरसैंण को लेकर काफी उम्मीदें रखती है। वे चाहते हैं कि गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाया जाए ताकि राज्य के विकास में तेजी आए और क्षेत्रीय असंतुलन को दूर किया जा सके। लेकिन राजनीतिक दलों के बीच लगातार हो रही बयानबाजी और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप ने इस मुद्दे को एक राजनीतिक खेल बना दिया है। नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे जनता की उम्मीदों पर खरा उतरें और राज्य के विकास के लिए ठोस कदम उठाएं।

Hard da & Subhod Uniyal गैरसैंण को लेकर राजनीतिक विवाद: हरीश रावत और सुबोध उनियाल के बीच जुबानी जंग

गैरसैंण को लेकर हरीश रावत और सुबोध उनियाल के बीच की जुबानी जंग उत्तराखंड की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आई है। इस बयानबाजी ने राज्य की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया है। हरीश रावत और सुबोध उनियाल के बीच के इस विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि गैरसैंण का मुद्दा केवल एक राजनीतिक एजेंडा बनकर रह गया है। जबकि इस पर ठोस निर्णय लेने की आवश्यकता है। Hard da & Subhod Uniyal

उत्तराखंड की जनता को भी इस बात को समझना होगा कि केवल बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप से उनके मुद्दों का समाधान नहीं होगा। उन्हें अपने नेताओं से जवाबदेही की मांग करनी होगी और राज्य के विकास के लिए ठोस कार्यों की अपेक्षा करनी होगी। गैरसैंण का मुद्दा राज्य की राजनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन इसे केवल राजनीति का खेल बनाकर नहीं छोड़ा जा सकता। नेताओं को चाहिए कि वे इस पर गंभीरता से विचार करें और राज्य के हित में निर्णय लें


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