Kesav-Natural-Diamond-Jewellery-Surat-Gujarat

Organic Agriculture आज के युग में जहां आधुनिक कृषि प्रणालियाँ खाद्य उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं

Spread the love

Organic Agriculture जैविक कृषि: स्थायी खाद्य उत्पादन का एक सशक्त माध्यम

परिचय

आज के युग में जहां आधुनिक कृषि प्रणालियाँ खाद्य उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, वहीं जैविक कृषि (Organic Agriculture) एक उभरती हुई पद्धति है जो न केवल पर्यावरण संरक्षण बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है। जैविक कृषि एक ऐसी प्रणाली है जो प्राकृतिक संसाधनों और प्रक्रियाओं का उपयोग कर खेती को अधिक स्थायी, उत्पादक और पर्यावरण के अनुकूल बनाने का प्रयास करती है।

जैविक कृषि के सिद्धांत और लाभ Organic Agriculture

जैविक कृषि का मूल सिद्धांत पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना है। यह प्रणाली सिंथेटिक उर्वरकों, कीटनाशकों और आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (जीएमओ) के उपयोग से बचती है और इसके बजाय प्राकृतिक उर्वरकों जैसे गोबर की खाद, हरी खाद और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करती है। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है बल्कि जल, वायु और पर्यावरण की शुद्धता भी सुरक्षित रहती है।

Max in the rain drain टनकपुर-पूर्णागिरी मार्ग पर बरसाती नाले में मैक्स जीप बही: एक महिला की मौत, पांच घायल

इसके अलावा, जैविक कृषि में मिश्रित खेती, फसल रोटेशन और जैविक कीट नियंत्रण जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है। यह तकनीकें न केवल मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखती हैं, बल्कि कीटों और रोगों से फसलों की सुरक्षा भी करती हैं। जैविक कृषि के अन्य लाभों में जल संरक्षण, ऊर्जा की बचत और मिट्टी के स्वास्थ्य का संरक्षण शामिल हैं।

भारत में जैविक कृषि का विकास

भारत में जैविक कृषि का विकास धीरे-धीरे हो रहा है। सरकार की नीतियाँ और कार्यक्रम इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हरियाणा सरकार ने भी इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। किसानों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है और उन्हें नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

हरियाणा सरकार ने देव ऋषि शिक्षा सोसाइटी को प्रशिक्षण प्रदाता के रूप में चुना है, जो किसानों को जैविक खेती की तकनीकों से अवगत करा रही है। इस प्रकार, किसानों को कक्षात्मक प्रशिक्षण के साथ-साथ क्षेत्र भ्रमण का अवसर भी दिया जा रहा है।

माइक्रो-सिंचाई: जल संरक्षण की एक महत्वपूर्ण तकनीक

जैविक कृषि के साथ-साथ माइक्रो-सिंचाई भी एक महत्वपूर्ण तकनीक है जो जल संरक्षण और फसल उत्पादन में वृद्धि करती है। माइक्रो-सिंचाई प्रणाली में पानी को धीरे-धीरे और नियंत्रित मात्रा में पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है। ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई इसके प्रमुख प्रकार हैं।

माइक्रो-सिंचाई के माध्यम से पारंपरिक सिंचाई की तुलना में 30-50% तक जल की बचत होती है। यह तकनीक न केवल जल संरक्षण में सहायक है, बल्कि यह फसलों की उपज को भी बढ़ाती है। साथ ही, मिट्टी की संरचना और उर्वरता बनी रहती है, जिससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।

कटाई पश्चात प्रबंधन: फसल की गुणवत्ता को बनाए रखने का प्रयास

कटाई पश्चात प्रबंधन (पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट) वह प्रक्रिया है जिसमें फसल की कटाई के बाद उसकी गुणवत्ता, ताजगी और पौष्टिकता को बनाए रखने के लिए विभिन्न उपाय किए जाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य फसल की क्षति को कम करना और उसे बाजार तक सुरक्षित और ताजगी के साथ पहुंचाना है।

इसमें फसल की साफ-सफाई, छंटाई, ग्रेडिंग, पैकेजिंग, भंडारण और परिवहन शामिल हैं। सही समय पर कटाई और सावधानीपूर्वक हैंडलिंग से फसल की गुणवत्ता बनी रहती है। भंडारण के दौरान सही तापमान और आर्द्रता का नियंत्रण किया जाता है, जिससे फसल की ताजगी बनी रहती है।

Jaya Pareshan संसद में जया बच्चन का विरोध: सभापति के व्यवहार पर नाराजगी और महिला सम्मान की मांग

संरक्षित खेती: प्रतिकूल मौसम से सुरक्षा का आधुनिक तरीका Organic Agriculture

संरक्षित खेती (प्रोटेक्टेड कल्टीवेशन) एक आधुनिक कृषि तकनीक है, जिसमें फसलों को प्रतिकूल मौसम, कीट, रोग और अन्य बाहरी कारकों से बचाने के लिए संरक्षित वातावरण में उगाया जाता है। इसमें ग्रीनहाउस, शेडनेट हाउस, पॉलीहाउस और टनल जैसी संरचनाओं का उपयोग किया जाता है। Organic Agriculture

संरक्षित खेती में फसलों को नियंत्रित तापमान, आर्द्रता और प्रकाश के साथ उगाया जाता है। इससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और उनकी वृद्धि तेजी से होती है। इस प्रकार, संरक्षित खेती फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक होती है।

अन्य हस्तक्षेप: गुणवत्ता नियंत्रण और हाइड्रोपोनिक खेती

हरियाणा सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य हस्तक्षेप भी किए हैं। गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला की स्थापना की गई है, जो फसलों और उत्पादों में कीटनाशकों की मात्रा का विश्लेषण करती है। इससे किसानों को अपने उत्पादों को प्रमाणित करने में मदद मिलती है, जिससे विपणन क्षमता में वृद्धि होती है।

इसके अलावा, हाइड्रोपोनिक इकाई की स्थापना की गई है, जिसमें मिट्टी का उपयोग किए बिना पौधों को पोषक तत्व-युक्त जल में उगाया जाता है। यह प्रणाली पानी और स्थान के न्यूनतम उपयोग के साथ पौधों की तेजी से वृद्धि और बेहतर गुणवत्ता को बढ़ावा देती है।

Organic Agriculture

जैविक कृषि, माइक्रो-सिंचाई, कटाई पश्चात प्रबंधन, संरक्षित खेती और अन्य आधुनिक तकनीकों का समुचित उपयोग भारतीय कृषि को एक नई दिशा दे सकता है। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और मानव स्वास्थ्य को भी लाभ होगा। सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के साथ-साथ किसानों की जागरूकता और तकनीकी शिक्षा भी इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

स्किल उत्तराखण्डः युवाओं को मिले साढ़े तीन लाख रुपए मासिक वेतन के ऑफर Anti Ragging Rally डीएसबी परिसर में एंटी ड्रग्स और एंटी रैगिंग रैली: सामाजिक जागरूकता की एक महत्वपूर्ण पहल छात्रों द्वारा बनाए गए मेहंदी के डिज़ाइनों में पारंपरिक और आधुनिक दोनों प्रकार के डिज़ाइन देखने को मिले Football Tournament 76वें एचएन पांडे इंडिपेंडेंस डे चिल्ड्रन फुटबॉल टूर्नामेंट का आगाज, सैनिक स्कूल ने शानदार प्रदर्शन करते हासिल जीत Gold Price सोने के दामों में 9 फीसदी की कमी; 1 अगस्त से देश में आ जाएगा सस्ता वाला सोना ‘मरद अभी बच्चा बा’ गाना खेसारी लाल यादव और आम्रपाली दुबे की जोड़ी का एक और सुपरहिट गाना Havey Rain उत्तरकाशी में भारी बारिश से तबाही: गंगोत्री और यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग बंद, राहत कार्य जारी Manu Bhaker: कैसे कर्मयोग की शिक्षाएं मनु भाकर की सफलता की कुंजी बनीं