भारत की युवा और प्रतिभाशाली निशानेबाज मनु भाकर ने अपने करियर में कई शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं। उनके असाधारण प्रदर्शन और उत्कृष्ट प्रतिभा ने उन्हें एक ओलंपिक पदक विजेता के रूप में स्थापित किया है।
मनु भाकर का जन्म 18 फरवरी 2002 को हरियाणा के झज्जर जिले में हुआ था। उनके पिता, रामकिशन भाकर, एक अनुभवी इंजीनियर हैं और उनकी माता, सुमेधा भाकर, एक शिक्षिका हैं।
अपने प्रारंभिक दिनों से ही, मनु को खेलों में विशेष रुचि थी। वे टेबल टेनिस, मुक्केबाजी और स्केटिंग जैसी विभिन्न खेलों में सक्रिय रहीं, लेकिन अंततः उनका मन निशानेबाजी में बस गया।
मनु भाकर ने मात्र 16 वर्ष की आयु में 2018 में आईएसएसएफ विश्व कप में स्वर्ण पदक जीतकर सबको चौंका दिया। इसके बाद, उन्होंने एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और युवा ओलंपिक खेलों में भी पदक जीते।
कर्मयोग की शिक्षाएं, जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार और मार्गदर्शन प्रस्तुत किया गया है। इसमें कर्म, धर्म, योग, भक्ति और ज्ञान की महत्वपूर्ण शिक्षाएं दी गई हैं।
मनु भाकर ने अपने जीवन में कर्मयोग की शिक्षाओं को अपनाया और उन्हें अपने करियर में सफलता प्राप्त करने का मार्गदर्शक माना।
कर्मयोग में बताया गया है कि संकल्प और धैर्य के साथ कार्य करना चाहिए। मनु भाकर ने भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संकल्प और धैर्य का पालन किया।
मनु भाकर का जीवन और उनकी उपलब्धियां यह सिद्ध करती हैं कि कर्मयोग की शिक्षाएं आज भी हमारे जीवन में प्रासंगिक हैं और हमें सफलता के मार्ग पर अग्रसर करने में सक्षम हैं।