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Sarvashaktiman Ki Mahima में सुरक्षित जीवन; आत्मिक जागरूकता और समर्पण की ओर प्रेरित; सर्वशक्तिमान की महिमा और उनकी असीम शक्ति का स्मरण कराता 


Sarvashaktiman Ki Mahima में सुरक्षित जीवन; आत्मिक जागरूकता और समर्पण की ओर प्रेरित; सर्वशक्तिमान की महिमा और उनकी असीम शक्ति का स्मरण कराता

भजन संहिता 91.1: परमप्रधान की छाया में सुरक्षित जीवन

भजन संहिता में लिखे गए वचन, विश्वासियों को आत्मिक मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। भजन संहिता 91.1 का वचन विशेष रूप से हमें परमप्रधान की सुरक्षा और शरण की महिमा का स्मरण कराता है: “जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा।” यह वचन हमें यह बताता है कि जो व्यक्ति परमप्रधान की छाया में शरण लेता है, वह सर्वशक्तिमान ईश्वर (Sarvashaktiman Ki Mahima) की सुरक्षा और आश्रय में रहता है। यह हमें यह विश्वास दिलाता है कि ईश्वर हमेशा हमारे साथ हैं और हमें हर संकट और भय से बचाने के लिए तत्पर हैं।

परमप्रधान की छाया का अर्थ

परमप्रधान की छाया का अर्थ है ईश्वर की उपस्थिति और उनकी सुरक्षा। यह वचन हमें यह सिखाता है कि जब हम ईश्वर के निकट रहते हैं और उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं, तो हम उनकी सुरक्षा और आशीर्वाद के अधीन रहते हैं। यह छाया हमें हर विपत्ति और संकट से बचाने के लिए एक ढाल का काम करती है। जब हम परमप्रधान की छाया में होते हैं, तो हमें किसी भी प्रकार का भय या चिंता नहीं होती, क्योंकि हम जानते हैं कि ईश्वर हमें हर प्रकार के संकट से बचाने के लिए हमारे साथ हैं।

सर्वशक्तिमान (Sarvashaktiman Ki Mahima) की छाया में ठिकाना

सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाना का अर्थ है ईश्वर के साथ एक गहरा और स्थायी संबंध स्थापित करना। यह हमें यह सिखाता है कि ईश्वर के साथ हमारा संबंध केवल एक धार्मिक अनुष्ठान या औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत और व्यक्तिगत अनुभव है। यह ठिकाना हमें आत्मिक शांति और स्थायित्व प्रदान करता है, जिससे हम जीवन की हर चुनौती और कठिनाई का सामना करने में सक्षम होते हैं।

Isaiah 54:17 ईश्वर की असीम शक्ति और स्नेह का स्मरण; हमें यह विश्वास दिलाता है कि ईश्वर हमेशा हमारे साथ है…

विश्वास और भक्ति का महत्व

भजन संहिता 91.1 का यह वचन हमें यह सिखाता है कि परमप्रधान की छाया में सुरक्षित रहने के लिए हमें विश्वास और भक्ति की आवश्यकता है। यह विश्वास हमें ईश्वर के प्रति हमारी निष्ठा और समर्पण को मजबूत करता है। जब हम ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखते हैं और उनके प्रति भक्ति भाव रखते हैं, तो हम उनकी छाया में शरण पा सकते हैं और उनकी सुरक्षा का अनुभव कर सकते हैं। यह भक्ति हमें जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों से निपटने की शक्ति प्रदान करती है।

आध्यात्मिक सुरक्षा और शांति

परमप्रधान की छाया में बैठा रहने का यह वचन हमें आत्मिक सुरक्षा और शांति प्रदान करता है। यह हमें यह विश्वास दिलाता है कि ईश्वर हमें हर प्रकार की बुराई और संकट से बचाने के लिए सदैव तत्पर हैं। यह वचन हमें याद दिलाता है कि जब हम ईश्वर के निकट रहते हैं, तो हमें किसी भी प्रकार की चिंता या भय से मुक्त रहना चाहिए। यह आत्मिक सुरक्षा हमें जीवन में सच्ची शांति और स्थायित्व प्रदान करती है।

जीवन की चुनौतियों से निपटना

भजन संहिता 91.1 का यह वचन हमें जीवन की चुनौतियों और कठिनाइयों से निपटने में सहायता करता है। जब हम परमप्रधान की छाया में शरण लेते हैं, तो हम जानते हैं कि हमें किसी भी प्रकार की विपत्ति या संकट से डरने की आवश्यकता नहीं है। ईश्वर की सुरक्षा और आश्रय हमें हर प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए सशक्त बनाती है। यह वचन हमें यह विश्वास दिलाता है कि ईश्वर हमें हर कदम पर मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करेंगे।

सामाजिक और सामूहिक चेतना

यह वचन न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि सामाजिक और सामूहिक चेतना के स्तर पर भी लागू होता है। यदि समाज के सभी सदस्य परमप्रधान की छाया में शरण लें और उनकी शिक्षाओं का पालन करें, तो पूरे समाज में शांति और सुरक्षा का वातावरण स्थापित हो सकता है। यह वचन हमें यह सिखाता है कि एक धर्ममय और न्यायपूर्ण समाज ही सच्चे विकास और प्रगति की दिशा में अग्रसर हो सकता है।

आध्यात्मिक जागरूकता

भजन संहिता 91.1 का यह वचन हमें आत्मिक जागरूकता और समर्पण की ओर प्रेरित करता है। यह हमें यह सिखाता है कि हमें अपने जीवन में ईश्वर की उपस्थिति को समझना और उसे स्वीकार करना चाहिए। जब हम ईश्वर की उपस्थिति को महसूस करते हैं और उनके प्रति समर्पित होते हैं, तो हम आत्मिक शांति और सुरक्षा का अनुभव कर सकते हैं। यह वचन हमें आत्मिक रूप से जागरूक और सशक्त बनने की प्रेरणा देता है।

सर्वशक्तिमान की महिमा (Sarvashaktiman Ki Mahima)

इस वचन का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह हमें सर्वशक्तिमान की महिमा और उनकी असीम शक्ति का स्मरण कराता है। यह हमें यह विश्वास दिलाता है कि ईश्वर की शक्ति और उनकी उपस्थिति हमारे जीवन में हमेशा रहती है। यह हमें यह सिखाता है कि हमें अपने जीवन में ईश्वर की महिमा और उनकी शक्ति को स्वीकार करना चाहिए और उन्हें अपने हर कार्य में शामिल करना चाहिए।

May You have Peace: “तुम्हें शांति मिले!” मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य शांति और मुक्ति प्राप्त करना है…

भजन संहिता 91.1 का यह वचन हमें परमप्रधान की छाया में सुरक्षित जीवन जीने की प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह हमें यह विश्वास दिलाता है कि ईश्वर हमें हर प्रकार की विपत्ति और संकट से बचाने के लिए हमेशा हमारे साथ हैं। यह वचन हमें आत्मिक सुरक्षा, शांति, और स्थायित्व प्रदान करता है, जिससे हम जीवन की हर चुनौती का सामना करने में सक्षम होते हैं।

यह वचन हमें यह सिखाता है कि हमें अपने जीवन में विश्वास और भक्ति को अपनाना चाहिए और ईश्वर के प्रति अपनी निष्ठा को मजबूत करना चाहिए। जब हम परमप्रधान की छाया में शरण लेते हैं, तो हमें किसी भी प्रकार का भय या चिंता नहीं होती और हम आत्मिक रूप से सशक्त और शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं। भजन संहिता 91.1 का यह वचन हमें जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करता है, जिससे हम एक सफल और सुरक्षित जीवन जीने में सक्षम होते हैं।


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