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World Environment Day: विश्व पर्यावरण दिवस: पर्यावरण संरक्षण की अनिवार्यता और हमारी जिम्मेदारी

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World Environment Day: विश्व पर्यावरण दिवस: पर्यावरण संरक्षण की अनिवार्यता और हमारी जिम्मेदारी

पर्यावरण और मानव का गहरा संबंध

पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए पर्यावरण का संरक्षण (World Environment Day) अत्यंत महत्वपूर्ण है। मानव और पर्यावरण के बीच का संबंध अत्यंत गहरा और अविच्छेद्य है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और एक के बिना दूसरे का अस्तित्व संभव नहीं है। प्रकृति के साथ तालमेल बनाए रखना मनुष्य की मजबूरी है, क्योंकि इसके बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है। पर्यावरण को स्वच्छ और संरक्षित रखने के लिए हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना और इसके संरक्षण के महत्व को समझाना है।

विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत

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World Environment Day: विश्व पर्यावरण दिवस: पर्यावरण संरक्षण की अनिवार्यता और हमारी जिम्मेदारी

पहली बार पर्यावरण दिवस की शुरुआत वर्ष 1972 में स्वीडन के स्टॉकहोम में आयोजित मानव पर्यावरण सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली द्वारा की गई थी। गेलर्ड नेल्सन को पृथ्वी दिवस के पिता के रूप में माना जाता है। पहला विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1973 को मनाया गया। तब से हर साल इस दिन को विशेष रूप से मनाया जाता है ताकि लोग पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझें और इस दिशा में कार्य करें।

पर्यावरणीय समस्याएं (World Environment Day) और चुनौतियाँ

आज के समय में पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, और ऋतु परिवर्तन जैसी समस्याएं सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियाँ बन गई हैं। मानवीय गतिविधियों के कारण प्रकृति में हो रहे निरंतर हस्तक्षेप ने पृथ्वी पर कई प्राकृतिक संसाधनों का विनाश कर दिया है। आधुनिकता और विकास के नाम पर पेड़-पौधों की कमी, पर्यावरण प्रदूषण का बढ़ता स्तर, और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन इन समस्याओं को और गंभीर बना रहे हैं।

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जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग ने पर्यावरण की स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। विश्वभर में तापमान में हो रही निरंतर वृद्धि और मौसम का बिगड़ता मिजाज गहन चिंता का विषय बन गए हैं। इससे ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ पिघल रही है, जिससे समुद्रों का जलस्तर बढ़ रहा है और दुनिया के कई शहरों के जलमग्न होने की आशंका है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक प्रयास

पर्यावरण की रक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के उचित उपयोग के लिए विभिन्न देशों ने कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें क्योटो प्रोटोकॉल, यूनाइटेड नेशन कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज, पेरिस एग्रीमेंट, वियना और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, और रियो सम्मेलन जैसे प्रमुख बहुराष्ट्रीय समझौते शामिल हैं। इन समझौतों का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के लिए संयुक्त प्रयास करना और वैश्विक स्तर पर स्थिरता और सतत विकास को सुनिश्चित करना है।

मानवीय गतिविधियों के परिणाम

मानवीय गतिविधियों के कारण वायुमंडल में कार्बन मोनोक्साइड, नाइट्रोजन, ओजोन और पार्टिक्यूलेट मैटर का प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। सीवरेज की गंदगी स्वच्छ जल स्रोतों में मिलाने, औद्योगिक कचरे को नदियों में बहाने, और वाहनों के धुएं से वायुमंडल में प्रदूषण की मात्रा बढ़ रही है। पेड़-पौधों की कमी के कारण कार्बन डाईऑक्साइड का अवशोषण घट रहा है, जिससे पर्यावरण असंतुलन बढ़ रहा है।

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प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव

प्रकृति समय-समय पर समुद्री तूफान, भूकंप, सूखा, और अकाल जैसी आपदाओं के माध्यम से हमें चेतावनी देती रही है। वर्ष 2024 की थीम “लैंड रेस्टोरेशन, डिजर्टिफिकेशन एंड ड्राफ्ट रेजिलेंसेज” अर्थात भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने की क्षमता है। यह थीम मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीसीडी) की 30वीं वर्षगांठ का प्रतीक है।

भूमि क्षरण और सूखे का प्रभाव

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पृथ्वी की 40 प्रतिशत भूमि क्षरित हो चुकी है, और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग आधे हिस्से पर खतरा मंडरा रहा है। सूखे की संख्या और अवधि में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो 2050 तक दुनिया की तीन-चौथाई से अधिक आबादी सूखे से प्रभावित हो सकती है।

पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन

पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) का उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्रों के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए जागरूकता बढ़ाना है। यह सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। वर्ष 2024 के लिए मेज़बान देश सऊदी अरब है, जो यूएनसीसीडी के कॉन्फ्रेंस ऑफ़ द पार्टीज़ (सीओपी) के सोलहवें सत्र की मेज़बानी करेगा।

स्थानीय प्रभाव और प्रयास

उत्तराखंड में जंगल की आग से 1438 हेक्टेयर जमीन प्रभावित हुई है और 1065 आग लगने की घटनाएं घटी हैं, जिससे वातावरण प्रभावित हुआ है। इसका एक हिस्सा मजबूत अल नीनो द्वारा प्रेरित था – प्रशांत महासागर के हिस्से में एक प्राकृतिक वार्मिंग, जो वायुमंडल के साथ मिलकर दुनिया भर में मौसम संबंधी प्रभाव डाल सकती है।

पर्यावरण संरक्षण: हमारी जिम्मेदारी

पृथ्वी सबकी है और इसमें जीवन बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। हमें मिलकर पौधे लगाने चाहिए ताकि सभी हरे-भरे रहें। वर्ष के 365 दिन ही पर्यावरण को समर्पित हैं। वेदों में कहा गया है कि मनुष्य शरीर पृथ्वी, जल, अंतरिक्ष, अग्नि और वायु जैसे पांच तत्वों से निर्मित है। यदि इनमें से एक भी तत्व दूषित होता है तो इसका प्रभाव मानव जीवन पर अवश्य पड़ेगा।

निष्कर्ष

पर्यावरण संरक्षण (World Environment Day) एक सामूहिक जिम्मेदारी है और इसके लिए हमें अपने प्रयासों को संगठित और मजबूत करना होगा। हम सभी को मिलकर पर्यावरण की रक्षा के लिए काम करना होगा ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण में जीवन जी सकें। प्रोफेसर ललित तिवारी के शब्दों में, “शुभकामनाओं के साथ, पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लें और धरती को हरा-भरा बनाए रखें।”


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