NH Engineer लापता अभियंता अमित चौहान की घटना: रहस्यमय गायब होने से लेकर दस्तावेज़ों के विवाद तक
राष्ट्रीय राजमार्ग खंड देहरादून में तैनात अपर सहायक अभियंता अमित चौहान की रहस्यमय तरीके से गायब होने की घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला केवल एक व्यक्ति की गुमशुदगी का नहीं है, बल्कि इसमें लाखों रुपये के भुगतान और गायब दस्तावेज़ों का भी संदर्भ जुड़ा हुआ है। इस लेख में हम इस घटना का विस्तारपूर्वक विश्लेषण करेंगे, जिसमें अभियंता अमित चौहान के गायब होने, उनकी वापसी और इस पूरे मामले के पीछे की संभावित वजहों पर चर्चा की जाएगी।
अमित चौहान 12 मई की रात को उत्तरकाशी के ठेकेदार राजदीप परमार के साथ अपने आवास से निकले थे। वह देहरादून के देहराखास क्षेत्र के नानक विहार में रहते थे। राजदीप परमार उन्हें उत्तरकाशी के डुंडा में अपने होटल राजाजी ले गए थे। अमित ने एक घंटे में वापस लौटने की बात कही थी, लेकिन इसके बाद उनका मोबाइल बंद हो गया और वह लापता हो गए। आखिरी बार उन्हें 13 मई की सुबह डुंडा में दो जगह सीसीटीवी कैमरों में देखा गया था।
खोजबीन और वापसी
छह दिनों की तलाश के बाद, अमित चौहान ऋषिकेश में घूमते हुए पाए गए। उत्तरकाशी पुलिस ने उन्हें वहां से सुरक्षित ढूंढकर उत्तरकाशी वापस लाया। उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट उत्तरकाशी कोतवाली में दर्ज कराई गई थी और उत्तराखंड डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ ने इस घटना को अपहरण करार दिया था। इस घटना से अभियंताओं में भारी आक्रोश था और उन्होंने डीजीपी को ज्ञापन भी सौंपा था।
राजाजी कंस्ट्रक्शन और भुगतान विवाद
अमित चौहान के गायब होने की पृष्ठभूमि में राजाजी कंस्ट्रक्शन के लाखों रुपये के बकाया भुगतान का विवाद भी था। राजदीप परमार की कंपनी ने बनचौरा-बद्रीगाड़ मोटर मार्ग पर डामरीकरण का कार्य किया था, जिसके 70 से 80 लाख रुपये का भुगतान बाकी था। इस बकाया राशि को लेकर कंपनी ने विभाग को लीगल नोटिस भी भेजा था। इसके अलावा, अन्य ठेकेदारों के भी बकाया भुगतान के प्रकरण लंबित थे, जो 6 से 7 करोड़ रुपये तक के हो सकते हैं।
दस्तावेज़ों का महत्व
अमित चौहान के गायब होने के पीछे का एक और प्रमुख कारण निर्माण कार्य से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों का गायब होना बताया जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि इन दस्तावेज़ों की खोजबीन के लिए ही राजदीप परमार ने अमित चौहान को उत्तरकाशी ले जाने की योजना बनाई थी। निर्माण खंड चिन्यालीसौड़ के अधिशासी अभियंता मनोज दास ने भी इस मामले में कुछ भी स्पष्ट कहने से बचते हुए यही संकेत दिया कि दस्तावेज़ों का गायब होना इस पूरे प्रकरण की जड़ हो सकता है।
पुलिस जांच और संभावित कारण
उत्तरकाशी पुलिस ने अमित चौहान को सुरक्षित वापस लाने के बाद उनसे गायब होने के कारणों के बारे में पूछताछ की है। हालांकि, अब तक इस मामले की असल वजह स्पष्ट नहीं हो पाई है। पुलिस का मानना है कि निर्माण कार्य या भुगतान की किसी प्रक्रिया में तकनीकी अड़चन हो सकती है, जिसके कारण यह विवाद उत्पन्न हुआ। अमित चौहान के कब्जे में होने वाले दस्तावेज़ों की जांच भी की जा रही है, जिससे इस मामले के पीछे के रहस्यों का पर्दाफाश हो सके।
अभियंता चौहान का बयान
अमित चौहान ने अपने बयान में बताया कि वह अचानक गायब नहीं हुए थे, बल्कि उन्हें एक मजबूरी के तहत उत्तरकाशी ले जाया गया था। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ दस्तावेज़ उनके पास थे, जिन्हें जल्द ही सौंपा जाना था। लेकिन इस दौरान उनके साथ जो घटनाएं घटित हुईं, उन्होंने उन्हें मानसिक रूप से विचलित कर दिया और इसी कारण वह ऋषिकेश में पाए गए।
निष्कर्ष
अमित चौहान की यह घटना केवल एक व्यक्ति की गुमशुदगी का मामला नहीं है, बल्कि इसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय और प्रशासनिक विवाद भी शामिल हैं। लाखों रुपये के भुगतान, गायब दस्तावेज़ों और तकनीकी अड़चनों की इस कहानी ने कई सवाल खड़े किए हैं, जिनका उत्तर पुलिस जांच और अभियंता चौहान के बयान से ही मिल सकता है। इस घटना ने निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और प्रशासनिक सतर्कता की आवश्यकता को भी उजागर किया है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।