Christmas | मेरी आत्मा को मिला आशीर्वाद; कि- सुंदर छोटे जूते बच्चे के पैरों पर एकदम फिट थे। लड़की खुशी से मुस्कुराई और बच्चा खुशी से किलकारियां मारने लगा।
तेरी अति दया और करुणा से मिला- मेरी आत्मा को आशीर्वाद; मैं आपसे मिलने आऊंगा। परंतु ध्यान रखना कि मैं आपको बताऊंगा नहीं कि मैं कौन हूं- Christmas
…और उन्होंने कहा कि आपकी हमेशा से इच्छा रही कि काश आप मुझे देख पाते, पापा पानोव।’ उन्होंने दयालुता से कहा, ‘तो फिर कल मेरा इंतजार करना। यह क्रिसमस का दिन होगा और मैं आपसे मिलने आऊंगा। परंतु ध्यान रखना कि मैं आपको बताऊंगा नहीं कि मैं कौन हूं।;
एक स्वपन जिसने जगा दी ईश्वर से मिलने की चाहत और मिल गया मुक्ति देने वाला सच्चाई का बीज। Christmas
आज रात उन्होंने बड़ी पुरानी पारिवारिक जीवन की पुस्तक को निकाली और धीरे-धीरे एक तर्जनी से पंक्तियों को ट्रेस करते हुए उन्होंने क्रिसमस की कहानी फिर से पढ़ी। उन्होंने पढ़ा कि कैसे मैरी और जोसेफ बेथलहम की अपनी यात्रा से थक गये थे, उन्हें सराय में कोई जगह नहीं मिली, जिससे मैरी के छोटे बच्चे का जन्म गौशाला में हुआ और बच्चे को गर्म रखने के लिए उसे अपनी पैंचवर्क वाली रजाई से ढक देता।
मेरी आत्मा को आशीर्वाद दें; उन्होंने दयालुता से कहा- तो फिर कल मेरा इंतजार करना। यह क्रिसमस का दिन होगा और मैं आपसे मिलने आऊंगा। परन्तु ध्यान रखना कि मैं आपको बताऊंगा नहीं कि मैं कौन हूं। एक ऐसा स्वप्न जिसने जगाई ईश्वर से मिलने की इच्छा। दया और करुणा का मर्म समझाती लियो टालस्टाय की यह कहानी का अंश……।
एक बाद क्रिसमय की पूर्व संध्या पर कि अभी दोपहरी ही थी, मगर उस रूसी गांव की छोटी दुकानों और घरों में रोशनी दिखाई देने लगी थी। उत्साहित बच्चे घर के अंदर भाग रहे थे और अब बंद शटर से केवल बातें और हंसी की धीमी आवाजें ही सुनाईं दे रही थी। गांव के मोची बूढ़े पापा पानोव आखिरी बार चारों ओर देखने के लिए अपनी दुकान से बाहर निकले। खुशी की आवाजें, तेर रोशनी और क्रिसमस के लिए खाना पकाने की हल्की, लेकिन स्वादिष्ट खुशबू उन्हें पिछले क्रिसमस के दिनों की याद दिला रही थी, तब उनकी पत्नी जीविता थी और उनके बच्चे छोटे थे। अब वे जा चुके थे। Christmas
स्टील के गोल चश्मे के पीछे हल्की हंसी की झुर्रियों वाला उनका आमातौर पर खुश रहने वाला चेहरा अब उदास लग रहा था, लेकिन वह दृढ़ कदामें के साथ घर के अंदर वापस चले गए, शटर लगा दिया और कोलये के चूल्हे पर पानी भरकर एक बर्तन रख दिया। फिर, एक आह भरते हुए वह अपनी बड़ी कुर्सी पर बैठ गए।
पापा पानोव अक्सर नहीं पढ़ते थे, लेकिन आज रात उन्होंने बड़ी पुरानी पारिवारिक जीवन की पुस्तक को निकाली और धीरे-धीरे एक तर्जनी से पंक्तियों को टेªस करते हुए उन्होंने क्रिसमस की कहानी फिर से पढ़ी। उन्होंने पढ़ा कि कैसे मैरी और जोसेफ बेथलहम की अपनी यात्रा से थक गये थे, उन्हें सराय में कोई जगह नहीं मिली, जिससे मैरी के छोटे बच्चे का जन्म गौशाला में हुआ।
‘ओह!’ पापा पानोव ने चिल्लाकर कहा, ‘काश वे यहां आए होते! मैं उन्हें अपना बिस्तर दे देता और बच्चे को गर्म रखने के लिए उसे अपनी पैंचवर्क वाली रजाई से ढक देता।’ Christmas
उन्होंने उन बुद्धिमान लोगों के बारे में पढ़ा जो बालक परमात्मा की ओर से पृथ्वी पर सत्य का बीज यीशु को देखने लिए आए थे और उनके लिए शानदार उपहार लेकर आए थे। पापा पानोव का चेहरा उतर गया। उन्होंने उदास होकर सोचा, ‘मेरे पास तो कोई उपहार नहीं है जो मैं उसे दे सकूं।’
फिर उनके चेहरे पर चमक आ गई। उन्होंने जीवन की पुस्तिक नीचे रख दी, वे उठे और अपने छोटे से कमरे में ऊपर शेल्फ पर अपनी लंबी भुजाएं फैला दीं। वहां से एक छोटा, धूल भरा बक्सा उतारा और खोला। अंदर छोटे चमड़े के जूतों की एक आदर्श जोड़ी थी। पापा पानोव संतुष्टि से मुस्कुराए। हां, वे उतने ही अच्छे थे जितना उन्हें कभी बनाए थी। ‘मैं उन्हें यह दे सकता था,’ उन्होंने सोचा और धीरे से जूतों को रख दिया और फिर से बैठ गए।
अब वह थका हुआ महसूस कर रहे थे और जितना आगे वह पढ़ते गए, उन्हें उतनी ही नींद आने लगी। कुछ ही देर में पापा पानोव गहरी नींद में सो गए और सोते समय उन्होंने एक स्वपन देखा कि कोई उनके कमरे में था और उन्हें तुरंत पता चल गया, जैसे कोई सपने में देखता है कि वह व्यक्ति कौन था। वह यीशु थे।
और उन्होंने कहा कि आपकी हमेशा से इच्छा रही कि काश आप मुझे देख पाते, पापा पानोव।’ उन्होंने दयालुता से कहा, ‘तो फिर कल मेरा इंतजार करना। यह क्रिसमस का दिन होगा और मैं आपसे मिलने आऊंगा। परंतु ध्यान रखना कि मैं आपको बताऊंगा नहीं कि मैं कौन हूं।
आखिरकार जब पापा पानोव जागे, तो घंटियां बज रही थीं और शटर से एक पतली रोशनी छनकर आ रही थी। ‘मेरी आत्मा को आशीर्वाद दें।’ पापा पानोव ने कहा। ‘यह क्रिसमय का दिन है।’ Christmas
वह उठ खड़े हुए और तभी उन्हें अपना सपना याद आया, जिससे उनका चेहरा खुशी से भर गया। आखिरकार यह एक बहुत ही विशेष क्रिसमस होगा, क्योंकि सच्चाई खाराई और ईमानदारी जीवन का वह वृक्ष यीशु उनसे स्वयं मिलने आ रहे थे। वह कैसे दिखेंगे?
क्या वह उस पहले क्रिसमस की तरह एक छोटे बच्चे के रूप में आएंगे? क्या वह एक वयस्क रूप में आएंगे, एक बढ़ई होंगे- या वह महान राजा होंगे, भगवान का पुत्र? फिर उन्होंने तय किया कि उन्हें पूरे दिन हर किसी को ध्यान से देखना होगा ताकि यीशु जैसे भी आएं, वह उन्हें पहचान लें।
पापा पानोव ने अपने क्रिसमस के विशेष नाश्ते के लिए काफी का एक बर्तन रखा, शटर हटाया और खिड़की से बाहर देखा। सड़क सुनसान थी, अभी तक कोई हलचल नहीं हो रही थी। सड़क साफ करने वाले के अलावा वहां कोई नहीं था। वह हमेशा की तरह दयनीय और गंदा लग रहा था। पता नहीं कौन होगा जो क्रिसमस के दिन काम करना चाहता था- और वो भी सुबह की ऐसी कच्ची ठंड और जमा देने वाली धुंध में?’
पापा पानोव ने दुकान का दरवाजा खोला और ठंड़ी हवा की एक पतली धारा अंदर आने दी। ‘अंदर आजा’। खुशी से सड़क पर मौजूद सफाईकर्मी को आवाज दी, ‘अंदर आओ और ठंड से बचने के लिए कुछ गर्म काफी पी लो।’ Christmas
सफाईकर्मी ने ऊपर देखा, उसे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। वह अपनी झाड़ू नीचे रखकर और गर्म कमरे में आकर बहुत खुश था। उसने कॉफी पीते हुए दोनों लाल हाथों ाक आरामदायक गर्म मग के चारों ओर लपेट लिया। पापा पानोव ने संतुष्टि के साथ उसे देखा, लेकिन बीच-बीच में उनकी नजर खिड़की पर चली जाती थी। अपने विशेष अतिथि को याद करना अभी तो उचित नहीं होगा।
पापा पानोव ने उन्हें अपने सपने के बारे में बताया Christmas
किसी ने आने की उम्मीद कर रहे हो? आखिरे सफाईकर्मी ने पूछा। तो पापा पानोव ने उन्हें अपने सपने के बारे में बताया।
ठीक है, मुझे आशा है कि वह आएंगे? सफाईकर्मी ने कहा- आपने मुझे क्रिसमय की थोड़ी सी खुशियां दी है, जिसकी मैंने कभी उम्मींद नहीं की थी। मैं कहूंगा कि आप अपना सपना सच करने के हकदार हैं।’ और वह सचमुच मुस्कुराया। Christmas
जब वह चला गया तो पापा पानोव ने अपने खाने के लिए गोभी का सूप डाला, फिर सड़क का निरीक्षण करते हुए दरवाजे पर गए। उन्हें कोई नजर नहीं आ रहा था, लेकिन वह गलत थे। कोई आ रहा था एक लड़की दुकानों और घरों की दीवारों को पकड़ते हुए इतनी धीमी और चुपचाप चल रही थी कि उन्हें उस पर ध्यान देने में कुछ समय लग गया। वह बहुत थकी हुई लग रही थी और उसके हाथ में कुछ था। जैसे ही वह करीब आई तो पापा पानोव ने देखा कि यह एक बच्चा था, जो एक पतली शाल में लिपटा हुआ था। उसके चेहरे पर और बच्चे के छोटे से चेहरे पर इतनी उदासी थी कि पापा पानोव का दिल उन पर आ गया।
क्या तुम अंदर नहीं आओगी, ‘तुम दोनों को आग के पास बैठने और आराम करने को जरूरत है।’
युवा मां घर के अंदर आकर आरामकुर्सी पर बैठ गई। उसने राहत की सांस ली। पापा पानोव ने चूल्हे से दूध लिया और सावधानी से बच्चे को चम्मच से दूध पिलाया, साथ ही चूल्हे के पास उसके छोटे-छोटे पैरों को गर्म किया। उसे जूते चाहिए, पापा पानोव ने कहा।
लड़की ने जवाब दिया, ‘मैं जूते नहीं खरीद सकती, हमारे पास पैसे कमाने के लिए हमारा अपना कोई नहीं है। मैं काम की तलाश में ही अगले गांव जा रही हूं। Christmas
पापा पानोव के दिमाग में अचानक एक विचार कौंधा। उन्हें वे जूते याद आए जिनको उन्होंने कल रात देखा था। परन्तु उन्होंने तो वह जूते यीशु के लिए बचाकर रखे थे। उन्होंने फिर से उन ठंडे छोटे पैरों को देखा और अपना मन बना लिया।
यह जूते इसको पहनाएं, उन्होंने बच्चे और जूते उस युवा मां को सौंपते हुए कहा। सुंदर छोटे जूते बच्चे के पैरों पर एकदम फिट थे। लड़की खुशी से मुस्कुराई और बच्चा खुशी से किलकारियां मारने लगा।
आप हमारे प्रति बहुत दयालु रहे हैं, लड़की ने कहा जब वह अपने बच्चे के साथ जाने के लिए उठी। ‘आपकी क्रिसमस की सभी इच्छाएं पूरी हों।’
लेकिन पापा पानोव को आश्चर्य होने लगा था कि क्या उनकी विशेष क्रिसमस इच्छा पूरी होगी। उन्होंने उत्सुकता से सड़क पर देखा। वहां बहुत सारे लोग थे, लेकिन वे सभी चेहरे थे जिन्हें वह पहचानते थे। वहां पड़ोसी मौजूद थे। Christmas
उन्होंने सिर हिलाया और मुस्कुराए और क्रिसमस की शुभकामनाएं दीं। अब पापा पानोव गर्म सूप और ब्रेड का एक बड़ा टुकड़ा लाने के लिए घर के अंदर जल्दी से गए कि उनको महत्वपूर्ण अतिथि (आगंतुक) छूट न जाए।
(साभारः अमेरिकन लिट्रेचर)