Uddhar Sab Ke liye | salvation for all उद्धार सबके लिए
Salvation for All
Whoever believes in him will not be put to shame, but will have eternal life (salvation)
The Word is near you; It’s in your mouth and in your heart
That is, the word of faith that we preach
That if you accept with your mouth the Son of Brahma as Guru or Lord, and believe in your heart that God the Supreme, who rides in the highest heaven, raised him from the dead, then you will be saved.
When a man believes with his heart, it results in righteousness, and when he confesses with his mouth, it results in salvation.
Those who do not fear god
God has put him in a deep sleep of spirit till today, He gave him eyes that cannot see and ears that cannot hear. The prophet Shastri says that their food should become for them a snare and a snare and a stumbling block and a punishment. May their eyes become dark so that they cannot see, and their backs remain bent forever.
O inhabitants of the earth, it is said by the scribes and prophets that – God says, ‘It will happen in the last days that I will pour out my Spirit on all people. Your sons and your daughters will prophesy. Your young people will see visions and your old people will see dreams. I will also pour out my Spirit on my sons and daughters in those days and they will be born again. I will show wonders in the sky above and signs on the earth below, blood and fire and a cloud of smoke. Before the coming of the great and glorious day of the Lord, the sun will turn into darkness and the moon into blood and it will be that whoever calls on the name of the Lord will be saved.
The scribe and the prophet say about him that – I have always looked towards the Lord (God the Supreme Father) because he is on my right hand so that I do not waver. Therefore my heart rejoiced and my tongue rejoiced; And my body also will remain in hope; Because you will not let my soul remain in hell, nor will you let your holy one rot. You have shown me the way of life; You will fill me with joy by your sight.
The scribes and prophets say about him that – the Supreme Father had sworn that He would place one person from his descendants on his throne. Therefore, seeing in advance the things that would happen, he said about the resurrection of Brahma’s son that he was neither left in the underworld nor did his body decay. This son of man or son of Brahma was brought to life by the Supreme Father God of which we all are witnesses. So having received the exalted position at the right hand of God and having received the promise of the Holy Spirit from the Father, He poured out what you see and hear. For the scribe and the prophet did not himself ascend into heaven, but he himself says: – The Lord (God the Father) said to my Lord (Jesus), ‘Sit at my right hand until I make your enemies your footstool. .
The scribe and the prophet say about him that – Therefore, let the entire house of Israel know with certainty that God has made him both ‘Lord’ and ‘Christ’ (Master) – Jesus, the son of Brahma, whom you crucified.
When they heard this, their hearts were pierced and they asked their followers, Brothers, what should we do? The scribe told him, ‘Repent and accept Jesus Christ as your Guru so that your sins will be forgiven, and you will receive the gift of the Holy Spirit. For that promise is for you and your children and for all those who are far off, that is, all those whom the Lord our God will call to himself. And by testifying with many other things, he continued to urge them to avoid this worldly thing, dumb idols (crooked generation). Because whatever happens or is seen in the world, whatever goes on in the world is illusory. Avoid it and let the son of Brahma come into your life. If you accept the promise of Parmananda (Son of Brahma or Nand of God) then your sins will be erased. Be forgiven and you will be saved. On the same day, as many as three thousand people who heard and read, got relief from major diseases like divine, thermal and physical.
Man cannot escape from the divine wrath, hence salvation is a matter of faith. Whoever believes, God raised him from the dead, whatever he does of his own free will through thought, word and deed – that is, if you know Christ, the son of Brahma, as your Guru or Lord with your mouth. If you accept the tax, and believe in your heart that God the Father who rides in the highest heaven has raised him from the dead, you will be saved.
When a man believes with his heart, it results in righteousness, and when he confesses with his mouth, it results in salvation.
Thank you.
May you get relief and peace from life and death.
उद्धार सबके लिए
जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा, बल्कि अनन्त जीवन (मुक्ति) को प्राप्त होगा
वचन तेरे निकट है; यह तेरे मुंह में और तेरे हृदय में है
अर्थात् विश्वास का वह वचन जिसका हम प्रचार करते है
कि यदि तू अपने मुख से ब्रह्म के पुत्र को गुरु या प्रभु जान कर स्वीकार करे, और अपने मन में यह विश्वास करे कि सर्वोच्च स्वर्ग सवारी करने वाले परमपिता परमेश्वर ने उसे मृतकों में से जीवित किया तो तू उद्धार पाएगा।
मनुष्य जब हृदय से विश्वास करता है तो उसका परिणाम धार्मिकता होता है, और जब वह मुंह से स्वीकार करता है तो उसका परिणाम उद्धार होता है।
जो परमात्मा का भय नही मानते है Uddhar
परमेश्वर ने उन्हें आज तक भारी नींद की आत्मा में डाल रखा है, उसने उसे ऐसी आंखें दी जो न देखें और ऐसे कान जो न सुनें। वहीं शास्त्री भविष्यवक्ता कहता है कि उनका भोजन उनके लिए जाल और फन्दा और ठोकर और दण्ड का कारण हो जाए। उनकी आंखों में अंधेरा छा जाए कि न देखें, और उनकी पीठ सदा के लिए झुकी रहें।
हे पृथ्वी के वासियों शास्त्री व नबी की बात है कि – परमात्मा कहता है ‘अन्तिम दिनों में ऐसा होगा कि मैं अपना आत्मा सब लोगों पर उण्डेलंगा। तुम्हारे पुत्र और तुम्हारी पुत्रियां नबूवत करेंगी। तुम्हारे जवान दर्शन देखेंगे और तुम्हारे वृद्ध-जन स्वप्न देखेंगे। मैं अपने बेटे और बेटियों पर भी उन दिनों में अपने आत्माा में से उण्डेलंगा और वे नवबूत करेंगे। मैं ऊपर आकाश में अद्भुत कार्य और नीचे पृथ्वी पर चिन्ह, अर्थात् लहू और अग्नि तथा धुएं का बादल दिखाऊंगा। प्रभु के महान और महिमामय दिन के आने से पहिले सूर्य अन्धकार में और चन्द्रमा लहू में बदल जाएगा और ऐसा होगा कि जो कोई प्रभु का नाम लेगा वह उद्धार पाएगा।
शास्त्री और नबी उसके विषय में कहता है कि- मैं सर्वदा प्रभु (परमपिता परमेश्वर) की ओर निहारता रहा क्योंकि वह मेरी दाहिनी ओर है जिस से मैं डगमगा न जाऊं। इसलिए मेरा हृदय आनन्दित हुआ व मेरी जीभ हर्षित हुई; और मेरा शरीर भी आशा में बना रहेगा; क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में नहीं नही रहने देगा, और न अपने पवित्र जन को सड़़ने देगा। तू ने मुझे जीवन का मार्ग बताया है; तू मुझे अपने दर्शन के द्वारा आनन्द से भर देगा।
शास्त्री और नबी उसके विषय में कहता है कि- परमपिता ने शपथ खाई थी कि वह उसके वंश में से किसी एक व्यक्ति को अपने सिंहासन पर बैठाएगा। इसलिए उसने होने वाली बातों को पहले से देख कर ब्रह्म के पुत्र के पुनरुत्थान के विषय में कहा वह न तो अधोलोक में छोड़ा गया और न ही उसकी देह सड़ने पाई। इसे मनुष्य का पुत्र या ब्रह्म के पुत्र को परमपिता परमेश्वर ने जीवित किया जिसके हम सब साक्षी है। इसलिए परमेश्वर के दाहिने हाथ पर सर्वोच्च पद पाकर और पिता से पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा प्राप्त करके, उसने इसे उण्डेल दिया जिसे तुम देखते और सुनते भी हो। क्योंकि शास्त्री और नबी तो स्वयं स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, परन्तु वह आप ही कहता हैः- प्रभु (परमापिता परमेश्वर) ने मेरे प्रभु (यीशु) से कहा, ‘मेरे दाहिने बैठ जब तक कि मैं तेरे शत्रुओं को तेरे चरणों की चौकी न बना दूंँ।
शास्त्री और नबी उसके विषय में कहता है कि- इसलिए इस्राएल का सम्पूर्ण घराना निश्चय जान ले कि परमेश्वर ने उसे ‘प्रभु’ और ’मसीह’ (गुरु) दोनों ही ठहराया- इसी ब्रह्म के पुत्र यीशु को जिसने तुमने क्रूस पर चढ़ाया। Uddhar
उन्होंने जब यह सुना तो उनके हृदय छिद गए और वे अनुवायियों से पूछने लगे, भाईयों, हम क्या करें? शास्त्री ने उसे कहा, ‘मन फिराओ और यीशु मसीह को गुरु रूप स्वीकार कर लो ताकि तुम्हारे पापों की क्षमा हो, और तुम पवित्र आत्मा का वरदान पाओगे। क्योंकि वह प्रतिज्ञा तुम्हारे और तुम्हारी सन्तान के लिए और उन सब के लिए है जो दूर दूर हैं, अर्थात् वे सब जिनको प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा। और बहुत सी अन्य बातों से साक्षी दे देकर वह उनसे आग्रह करता रहा कि इस संसारिक वस्तु गूंगीमूर्तियां (कुटिल पीढ़ी) से बचो।
क्योंकि जो संसार में होता है या दिखता है जो कुछ भी संसार में चलता है यह मायावी है इससे बचो और अपने जीवन में ब्रह्म के पुत्र को आने दो तुम परमानन्द (ब्रह्म का पुत्र या परमात्मा का नंद) का वचन स्वीकार करो तो कि तुम्हारे पाप क्षमा हो और तुम उद्धार पाओगे उसी दिन जितनों ने सुना व पढ़ा लगभग तीन हजार व्यक्तियों ने दैविक, तापिक और भौतिक जैसे महारोगों से छुटकारा पाया।
मनुष्य दैविका प्रकोप से नही बच सकता इसलिए मुक्ति विश्वास का सौदा है जिसने विश्वास किया परमात्मा उसे मृतकों में जी उठाया वैसे जो भी मन, वचन व कर्म से अपनी स्वेच्छा से- कि यदि तू अपने मुख से ब्रह्म के पुत्र मसीह को गुरु या प्रभु जान कर स्वीकार करे, और अपने मन में यह विश्वास करे कि सर्वोच्च स्वर्ग में सवारी करने वाले परमपिता परमेश्वर ने उसे मृतकों में से जीवित किया तो तू उद्धार पाएगा।
मनुष्य जब हृदय से विश्वास करता है तो उसका परिणाम धार्मिकता होता है, और जब वह मुंह से स्वीकार करता है तो उसका परिणाम उद्धार होता है।
धन्यवाद। Uddhar
तुम्हें जीवन मृत्यु से छुटकारा व शांति मिले।