Solid Waste Management: नैनीताल में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर कुमाऊं विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग और महिला अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शहर में उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे के प्रभावी प्रबंधन, उसके पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) और निपटान पर विचार करना था।
शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। इस कार्यशाला में नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, नगरपालिका अधिकारियों, पर्यावरणविदों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और आम नागरिकों ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना और कचरा प्रबंधन की सर्वोत्तम तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यशाला का शुभारंभ और प्रमुख अतिथि Solid Waste Management
इस कार्यशाला का शुभारंभ नगर पालिका अध्यक्ष डॉ. सरस्वती खेतवाल के द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा—
“नैनीताल को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने के लिए नगरपालिका निरंतर प्रयास कर रही है। इस कार्यशाला के माध्यम से आम नागरिकों के विचारों और सुझावों को भी महत्व दिया जाएगा। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एक सामूहिक प्रयास है, जिसमें नागरिकों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है।”
कार्यशाला को प्रभावी बनाने के लिए नगर पालिका परिषद नैनीताल के अधिकारियों ने भी इसमें भाग लिया।
कार्यशाला के मुख्य बिंदु
कार्यशाला में ठोस कचरा प्रबंधन की विभिन्न समस्याओं और उनके समाधानों पर विस्तार से चर्चा की गई। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों पर जोर दिया गया—
- नगरपालिका के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के प्रयास
- कूड़ा उठाने, उसके पुनर्चक्रण और निपटान की प्रक्रिया
- ठोस कचरे के पृथक्करण (सेग्रिगेशन) की आवश्यकता
- प्लास्टिक, धातु, लकड़ी, कपड़ा आदि का पुनः उपयोग
- जैविक और अजैविक कचरे के बीच अंतर और पुनर्चक्रण प्रक्रिया
- नगरपालिका, नागरिकों और संगठनों की संयुक्त भागीदारी
प्रमुख सत्र और वक्ता
पहला सत्र: नगर पालिका की भूमिका
पहले सत्र में नगर पालिका परिषद नैनीताल के अधिकारी श्री विनोद सिंह जीना, श्री विपिन चंद और श्री धर्मेंद्र प्रसाद ने महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं। उन्होंने बताया कि—
- नगर पालिका की कूड़ा उठाने की प्रक्रिया
- कचरा निपटान की वर्तमान चुनौतियां
- स्मार्ट कचरा प्रबंधन के लिए अपनाई जा रही नई तकनीकें
उन्होंने यह भी बताया कि नगर पालिका किस तरह से स्वच्छता अभियान को और प्रभावी बना रही है और नागरिकों से इसमें सक्रिय भागीदारी की अपील की।
दूसरा सत्र: पुनर्चक्रण और कचरा निपटान के वैज्ञानिक दृष्टिकोण
दूसरा सत्र प्रोफेसर नंद गोपाल साहू के व्याख्यान से प्रारंभ हुआ। उन्होंने बताया कि—
- प्लास्टिक, कपड़ा, लकड़ी, कांच और धातु को पुनः उपयोग में लाने की तकनीकें
- अपशिष्ट प्रबंधन में “रीसायकल” और “अपसाइकिलिंग” के सिद्धांत
- जैविक और अजैविक कचरे के पृथक्करण का महत्व
- कैसे पुनर्चक्रीकरण से ठोस कचरे की मात्रा को कम किया जा सकता है
तीसरा सत्र: समाज में जागरूकता और नागरिकों की भागीदारी
इस सत्र में डॉ. रेनू बिष्ट (राष्ट्रीय सेवा योजना, राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता) ने स्वच्छता और सामुदायिक भागीदारी पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
✔ उन्होंने बताया कि यदि हर नागरिक अपने स्तर पर स्वच्छता को बढ़ावा दे, तो ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में क्रांतिकारी परिवर्तन आ सकता है।
✔ उन्होंने नागरिकों को जागरूक करने और कूड़ा पृथक्करण (waste segregation) की आदत डालने पर जोर दिया।
इस सत्र में डॉ. किरण तिवारी (महिला अध्ययन केंद्र, कुमाऊं विश्वविद्यालय) ने ठोस अपशिष्ट पृथक्करण और पुनः उपयोग पर एक प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया।
- उन्होंने बताया कि— पूजा में इस्तेमाल होने वाले फूलों और नारियल के छिलकों से जैविक रंग और होली के रंग बनाए जा सकते हैं।
- घर में कूड़ा पृथक्करण को कैसे प्रभावी बनाया जा सकता है।
- प्लास्टिक के पुनः उपयोग के लिए आसान घरेलू उपाय।
Anugrah Ka Jeewan ईश्वर का अनुग्रह प्राप्त कर आप स्वर्गीय स्थान में प्रवेश के अधिकारी बन जाते है
शोधार्थियों की भागीदारी और परियोजना टीम
इस कार्यशाला का आयोजन प्रोफेसर नीता बोरा शर्मा के प्रोजेक्ट के अंतर्गत किया गया। कार्यशाला के आयोजन में डॉ. हिरदेश कुमार, शोधार्थी समृद्धि बिष्ट और अन्य विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्कूली विद्यार्थियों की सहभागिता
इस कार्यशाला में भारतीय शहीद सैनिक विद्यालय, राष्ट्रीय सही सैनिक स्मारक विद्यापीठ, आईपीएसडी और राजेंद्र प्रसाद लॉ कॉलेज के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।
विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत विचार:
- ठोस कचरा प्रबंधन में युवाओं की भूमिका
- घर और स्कूलों में कूड़ा पृथक्करण की प्रक्रिया
- सार्वजनिक स्थलों को स्वच्छ रखने के उपाय
विशेषज्ञों और गणमान्य व्यक्तियों का योगदान
कार्यशाला में डॉ. मोहित रौतेला, डॉ. भूमिका, डॉ. रुचि मित्तल, डॉ. इंदर, अविनाश जाटव जैसे प्रतिष्ठित शिक्षकों ने अपने विचार रखे।
इस आयोजन में राजेंद्र, राकेश कुमार, सचिन कुमार ने भी विशेष सहयोग प्रदान किया।
कार्यशाला के निष्कर्ष और महत्वपूर्ण निर्णय
कार्यशाला सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक चली और कई महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकाले गए—
- नगर पालिका और नागरिकों के बीच समन्वय बढ़ाने की आवश्यकता।
- कूड़ा पृथक्करण और पुनर्चक्रण को जन आंदोलन बनाने की जरूरत।
- विद्यालयों में अपशिष्ट प्रबंधन को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना।
- नगर पालिका को स्मार्ट कचरा प्रबंधन तकनीकों को अपनाने के सुझाव।
कार्यशाला के समापन पर प्रोफेसर नीता बोरा शर्मा ने सभी प्रतिभागियों, कुलपति और नगरपालिका का आभार व्यक्त किया और कहा—
“इस तरह की कार्यशालाएं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। यदि सभी मिलकर प्रयास करें, तो नैनीताल को और स्वच्छ और सुंदर बनाया जा सकता है।”
सामूहिक प्रयास से होगा स्वच्छ भारत का सपना साकार
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।
- अगर हर घर में कचरा पृथक्करण सही ढंग से किया जाए, तो अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या का समाधान संभव है।
- इस कार्यशाला से निकले विचार और सुझाव नैनीताल को एक स्वच्छ और हरित शहर बनाने में मदद करेंगे।
स्वच्छता में भाग लें, पर्यावरण बचाएं!