दिल्ली: दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI Airport) पर कस्टम्स अधिकारियों ने एक अनोखी तस्करी का पर्दाफाश किया। एक यात्री को उसके लगेज में एक कटा हुआ मगरमच्छ का सिर ले जाते हुए पकड़ा गया। इस घटनाक्रम ने एयरपोर्ट सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण से जुड़े अधिकारियों को चौंका दिया। यह मामला कस्टम्स विभाग के द्वारा तस्करी की बढ़ती घटनाओं पर निगरानी के तहत पकड़ा गया, जिससे वन्यजीवों की तस्करी में कमी लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
तस्करी की खोज
सोमवार को दिल्ली एयरपोर्ट के कस्टम्स विभाग को एक यात्री के संदिग्ध सामान पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिला। यह यात्री विदेश से भारत आ रहा था, और उसका सामान एयरपोर्ट के कस्टम्स चेकिंग प्रक्रिया से गुजर रहा था। कस्टम्स अधिकारियों को शक हुआ कि यात्री कुछ संदिग्ध सामान लेकर आ सकता है। इस शक के बाद, उनका सामान पूरी तरह से स्कैन किया गया और उसमें एक अजीबोगरीब वस्तु दिखाई दी।
जब सामान की गहन जांच की गई, तो उसमें से एक कटे हुए मगरमच्छ के सिर का पता चला। सिर को प्लास्टिक में लपेट कर और सही तरीके से छिपा कर रखा गया था। अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए यात्री को गिरफ्तार कर लिया और कटा हुआ मगरमच्छ का सिर जब्त कर लिया।
वन्यजीव संरक्षण कानून का उल्लंघन
भारत में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सख्त कानून हैं, जिनमें से “वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट” (1972) प्रमुख है। इस कानून के तहत, किसी भी प्रकार के जंगली जानवर के अंगों या शरीर के हिस्सों की तस्करी, व्यापार या बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी है। मगरमच्छ का सिर, जो कि एक महत्वपूर्ण जैविक हिस्सा है, उसकी तस्करी का उद्देश्य विभिन्न अवैध गतिविधियों के लिए हो सकता है, जैसे कि तंत्र-मंत्र या काल्पनिक चिकित्सा उपचार के लिए इसका उपयोग।
कस्टम्स अधिकारियों के अनुसार, यह घटनाक्रम एक गंभीर अपराध को उजागर करता है, जो न केवल वन्यजीवों के संरक्षण के लिए खतरा है, बल्कि इससे पर्यावरण पर भी विपरीत असर पड़ सकता है। तस्करी की इस प्रक्रिया से यह भी संकेत मिलता है कि विदेशी बाजार में ऐसे दुर्लभ जानवरों के अंगों की भारी मांग हो सकती है।
संदिग्ध यात्री का बयान
पकड़े गए यात्री से पूछताछ की गई, लेकिन उसने इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। शुरुआती पूछताछ के दौरान उसने केवल इतना कहा कि वह खुद इस सामान के बारे में अनजान था। हालांकि, अधिकारियों का मानना है कि यह सिर विदेश में किसी तंत्र-मंत्र या चिकित्सा से संबंधित अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल के लिए भेजा जा रहा था। यात्री के बयान की सच्चाई जानने के लिए आगे की जांच की जाएगी।
कस्टम्स और वन्यजीव अधिकारियों की संयुक्त कार्रवाई
इस मामले में कस्टम्स विभाग ने वन्यजीव संरक्षण अधिकारियों के साथ मिलकर कार्रवाई की। दिल्ली एयरपोर्ट पर तस्करी के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, और कस्टम्स विभाग ने इस प्रकार की गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए अपनी निगरानी बढ़ा दी है। वन्यजीव तस्करी पर लगाम लगाने के लिए विभाग ने कई पहल की हैं, जिसमें यात्री सामान की स्कैनिंग, संदिग्ध यात्रियों की विस्तृत जांच और अधिकारियों के प्रशिक्षण को शामिल किया गया है।
विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “हम लगातार ऐसे मामलों में सतर्क रहते हैं और तस्करी के रैकेट्स को पकड़ने के लिए नए तरीके अपनाते हैं। यह मामला हमें यह याद दिलाता है कि वन्यजीवों का शिकार और तस्करी अब भी एक बड़ा खतरा है, और हम इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।”
वन्यजीव तस्करी के बढ़ते मामले
हाल के वर्षों में भारत में वन्यजीव तस्करी के मामले बढ़े हैं, खासकर उन जानवरों के अंगों की तस्करी जो दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों से संबंधित हैं। मगरमच्छ, बाघ, हाथी, और अन्य जंगली जानवरों के अंगों की तस्करी अंतरराष्ट्रीय व्यापार का हिस्सा बन चुकी है। भारतीय अधिकारियों ने ऐसे मामलों को लेकर अंतरराष्ट्रीय संगठनों और एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया है, ताकि इन तस्करी गतिविधियों को रोका जा सके।
भारत सरकार ने इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं, जिसमें वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) की स्थापना, और राष्ट्रीय स्तर पर वन्यजीवों की तस्करी के मामलों में सजा को और कड़ा किया गया है। बावजूद इसके, तस्करी के मामलों में कमी नहीं आ रही, और अधिकारियों का मानना है कि अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
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नागरिकों की भूमिका
वन्यजीवों की तस्करी पर लगाम लगाने में केवल सरकारी प्रयासों से काम नहीं चलेगा। इसके लिए नागरिकों को भी जागरूक किया जाना बेहद जरूरी है। अगर कोई व्यक्ति किसी संदिग्ध गतिविधि को देखे, तो उसे तुरंत अधिकारियों को सूचित करना चाहिए। समाज में यह समझ बनानी होगी कि वन्यजीवों का शिकार न केवल उनके जीवन के लिए खतरा है, बल्कि यह पारिस्थितिकी तंत्र को भी नुकसान पहुंचाता है।
दिल्ली एयरपोर्ट
दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़े गए इस मामले ने एक बार फिर से वन्यजीव तस्करी के खतरे को उजागर किया है। कस्टम्स और वन्यजीव अधिकारियों की सतर्कता ने एक बड़ी तस्करी को विफल कर दिया, लेकिन यह भी दिखाता है कि वन्यजीव संरक्षण में अभी बहुत काम किया जाना बाकी है। ऐसे मामलों पर कड़ी नजर रखना और समाज को इसके प्रति संवेदनशील बनाना आवश्यक है, ताकि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता को सुरक्षित रख सकें।
यात्री के खिलाफ आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी और इस मामले में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए जांच जारी है। उम्मीद है कि यह घटना वन्यजीवों की तस्करी के खिलाफ एक चेतावनी का काम करेगी और भविष्य में ऐसे मामलों में कमी आएगी।