Plastic Waste Management: कुमाऊं विश्वविद्यालय प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट और उसकी चुनौतियों पर नया कदम : ukjosh
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Plastic Waste Management: कुमाऊं विश्वविद्यालय प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट और उसकी चुनौतियों पर नया कदम

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Plastic Waste Management: प्लास्टिक प्रदूषण आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक बन चुका है। इस समस्या से न केवल पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो रहा है, बल्कि यह मानव जीवन और पशु-पक्षियों के लिए भी गंभीर संकट पैदा कर रहा है। ऐसे में, कुमाऊं विश्वविद्यालय ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट और उससे जुड़ी चुनौतियों पर काम करने का निर्णय लिया है।

इस दिशा में कुमाऊं विश्वविद्यालय के इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेल और विजिटिंग प्रोफेसर निदेशालय ने पहल करते हुए इन रिप्लेस आईपीई ग्लोबल लिमिटेड के साथ एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में प्लास्टिक कचरे की चुनौती पर गहन चर्चा की गई और इसे रोकने के लिए जन भागीदारी पर जोर दिया गया।


प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट: क्यों है यह जरूरी?

प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट का उद्देश्य प्लास्टिक के अनियंत्रित उपयोग को रोकना, उसे पुनर्चक्रित करना (रिसाइक्लिंग), और उसके पर्यावरणीय प्रभावों को कम करना है। प्लास्टिक प्रदूषण के कारण पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन बिगड़ रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को भी खतरा है।

  • पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव:
    प्लास्टिक कचरा नदियों, महासागरों और जमीन को प्रदूषित कर रहा है। इसके सूक्ष्म कण (माइक्रोप्लास्टिक) खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर रहे हैं, जो मानव और वन्यजीवन दोनों के लिए हानिकारक हैं।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: Plastic Waste Management
    प्लास्टिक के जलने से निकलने वाला धुआं और इसके अपशिष्ट में मौजूद जहरीले रसायन स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालते हैं।

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बैठक के मुख्य बिंदु

1. प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट पर चर्चा

बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए सभी वर्गों की भागीदारी आवश्यक है। यह समस्या केवल सरकारी या संस्थागत स्तर पर हल नहीं हो सकती; आम जनता का सहयोग और जागरूकता भी जरूरी है।

2. साझेदारी और सहयोग

इस कार्यक्रम में ग्लोबली एथेंस इनफॉर्निक्स, पिक्सर ग्लोबल, फेडरेशन ऑफ ग्लोबल और चिंतन रिसर्च एंड एक्शन ग्रुप जैसे वैश्विक संगठनों को भागीदार बनाया गया है। इन संस्थाओं के साथ मिलकर कुमाऊं विश्वविद्यालय प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में नई तकनीकों और समाधानों पर काम करेगा।

3. विशेषज्ञ व्याख्यान और जागरूकता अभियान

प्लास्टिक कचरे के प्रभाव और प्रबंधन पर जागरूकता बढ़ाने के लिए शनिवार, 21 दिसंबर 2024 को सौरभ मनुजा का एक ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित किया जाएगा। सौरभ मनुजा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं।

4. इंटर्नशिप प्रोग्राम और अभियान

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के लिए शीघ्र ही एक अभियान चलाया जाएगा। इसके साथ ही, छात्रों के लिए इंटर्नशिप प्रोग्राम भी शुरू किए जाएंगे ताकि वे इस क्षेत्र में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकें।


बैठक में शामिल प्रमुख सदस्य

इस बैठक में कई प्रतिष्ठित सदस्य और विशेषज्ञ शामिल हुए, जिनमें शामिल हैं:

  • प्रो. आशीष तिवारी (निदेशक, इनोवेशन सेल)
  • प्रो. ललित तिवारी (निदेशक, विजिटिंग प्रोफेसर)
  • डॉ. श्रुति सह
  • डॉ. नंदन मेहरा
  • डॉ. मैत्री नारायण
  • दलवीर सिंह
  • राहुल

प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के समाधान

1. पुनर्चक्रण (Recycling):

प्लास्टिक को रीसायकल करने की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि इसे कचरे में फेंकने के बजाय फिर से उपयोग में लाया जा सके।

2. जागरूकता अभियान:

जनता के बीच जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम और वर्कशॉप आयोजित किए जाने चाहिए।

3. वैकल्पिक सामग्री का उपयोग:

प्लास्टिक के विकल्प के रूप में बायोडिग्रेडेबल सामग्री और कपड़े या कागज के बैग का उपयोग किया जा सकता है।

4. सरकारी नीतियां और कानून:

प्लास्टिक के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए कठोर कानूनों को लागू करना आवश्यक है।


वैश्विक संगठनों का सहयोग

ग्लोबली एथेंस इनफॉर्निक्स और पिक्सर ग्लोबल जैसे संगठनों के सहयोग से कुमाऊं विश्वविद्यालय को आधुनिक तकनीकों और शोध से लाभ होगा। यह पहल न केवल स्थानीय बल्कि वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के लिए एक मिसाल बनेगी।


Plastic Waste Management

कुमाऊं विश्वविद्यालय का यह कदम प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। इस पहल से न केवल छात्रों और शिक्षकों को लाभ होगा, बल्कि आम जनता भी प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के महत्व को समझ सकेगी।

इस कार्यक्रम के माध्यम से, समाज में जागरूकता फैलाना और प्लास्टिक प्रदूषण के खतरों को कम करना संभव होगा। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन सकता है।


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