Bageshwar News: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में मंगलवार शाम एक दर्दनाक हादसे ने पूरे क्षेत्र को शोक और चिंता में डाल दिया। जखेड़ा क्षेत्र में एक नाली की सफाई और चौड़ीकरण के दौरान अचानक भू-धंसाव होने से मलबे में दबकर पिता और पुत्र की मौत हो गई। यह हादसा न केवल पीड़ित परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए एक गहरा आघात है।
हादसे का विवरण: नाली की सफाई बना मौत का कारण
लाहुरघाटी के कालारौ-बैगांव निवासी 50 वर्षीय प्रेम सिंह अपने 23 वर्षीय पुत्र दर्शन सिंह और तीन अन्य श्रमिकों के साथ अपने मकान के पीछे की नाली की सफाई करवा रहे थे। इस सफाई के दौरान नाली को चौड़ा करने के लिए पीछे की दीवार की खुदाई हो रही थी।
काम के दौरान अचानक भू-धंसाव हुआ और मलबा तेजी से गिरने लगा। प्रेम सिंह और उनके पुत्र दर्शन सिंह मलबे में दब गए, जबकि वहां मौजूद तीन अन्य श्रमिक—गोपाल प्रसाद, विनोद कुमार और पान सिंह—भागकर अपनी जान बचाने में सफल रहे।
घटनास्थल पर रेस्क्यू ऑपरेशन और डॉक्टर की पुष्टि Bageshwar News
हादसे के तुरंत बाद, बच गए श्रमिकों और स्थानीय ग्रामीणों ने मिट्टी और मलबा हटाकर प्रेम सिंह और उनके पुत्र को बाहर निकाला। ग्राम प्रधान चंपा हुलोरिया ने घटना की सूचना पटवारी जखेड़ा युवराज गोस्वामी को दी। दोनों घायलों को तुरंत जिला चिकित्सालय बागेश्वर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पीड़ित परिवार और स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
कालारौ बैगांव निवासी कैलाश हुलोरिया ने बताया कि प्रेम सिंह जखेड़ा बागेश्वर पेयजल योजना में कार्यरत थे और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य थी। उनकी अचानक मौत ने पूरे परिवार को आर्थिक और मानसिक रूप से गहरे संकट में डाल दिया है।
जखेड़ा की ग्राम प्रधान हेमा परिहार, पूर्व ग्राम प्रधान ईश्वर परिहार और अन्य ग्रामीणों ने प्रशासन से इस हादसे को दैवीय आपदा घोषित कर मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने की मांग की है।
हादसे में बचने वाले श्रमिक: मलबे से संघर्ष की गवाही
घटना के दौरान मलबे में फंसे तीन श्रमिकों ने अपनी जान बचाने के लिए तुरंत भागने का प्रयास किया। गोपाल प्रसाद, विनोद कुमार और पान सिंह ने बताया कि अचानक दीवार से मलबा गिरने लगा, जिससे बचने का उनके पास बहुत कम समय था। उनकी किस्मत अच्छी थी कि वे समय रहते मलबे से बचकर बाहर निकल पाए।
भू-धंसाव के कारण और इससे बचाव के उपाय Bageshwar News
इस हादसे ने क्षेत्र में भू-धंसाव की घटनाओं और उनके कारणों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भू-धंसाव के मुख्य कारण हैं:
- असुरक्षित खुदाई
नालियों या दीवारों की खुदाई के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन न करना। - भौगोलिक कमजोरियां
पर्वतीय क्षेत्रों में मिट्टी की संरचना और कमजोर चट्टानों के कारण भू-धंसाव की संभावना अधिक रहती है। - मानवीय हस्तक्षेप
नालियों, सड़कों या निर्माण कार्यों के दौरान किए गए मानवीय हस्तक्षेप भी भू-धंसाव को बढ़ावा देते हैं।
ग्रामीणों की मांग: दैवीय आपदा मद से आर्थिक सहायता
हादसे के बाद जखेड़ा की ग्राम प्रधान हेमा परिहार और अन्य स्थानीय नेताओं ने जिला प्रशासन से मृतकों के परिवार को दैवीय आपदा मद से आर्थिक सहायता देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है, और इस तरह की सहायता से उन्हें इस संकट से उबरने में मदद मिल सकती है।
हादसे से सीख: भविष्य के लिए जरूरी कदम
इस हादसे ने प्रशासन और स्थानीय समुदाय को सतर्कता बरतने की आवश्यकता पर बल दिया है। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:
- सुरक्षा मानकों का पालन
किसी भी प्रकार की खुदाई या निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। - स्थानीय प्रशासन की भूमिका
स्थानीय प्रशासन को भू-धंसाव की संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान कर वहां काम की अनुमति देने से पहले सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने चाहिए। - सुरक्षा प्रशिक्षण
स्थानीय श्रमिकों को खुदाई और निर्माण कार्यों के दौरान संभावित खतरों से बचने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। - आपदा प्रबंधन टीम
पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन टीम की सक्रियता बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं के दौरान तुरंत मदद पहुंचाई जा सके।
Bageshwar News: एक दर्दनाक घटना जो सिखाती है सतर्कता का महत्व
बागेश्वर के जखेड़ा में नाली की सफाई के दौरान हुआ यह हादसा एक दर्दनाक घटना है, जो हमें सतर्कता और सुरक्षा के महत्व का पाठ पढ़ाता है। पिता-पुत्र की मौत ने एक परिवार को शोक में डाल दिया और गांव में गहरा शोक व्याप्त है।
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अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता प्रदान करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। साथ ही, स्थानीय लोगों और श्रमिकों को भी अधिक सतर्कता बरतने और सुरक्षित तरीके से काम करने की आवश्यकता है। यह हादसा हमें यह सिखाता है कि सतर्कता और सुरक्षा उपायों के बिना किसी भी कार्य को अंजाम देना, खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में, बड़े जोखिम का कारण बन सकता है।