84 Lakh Yoni: परम तत्व के सामने 84 लाख यातनाएं यानि योनियां का पहाड़ ईश्वर के पुत्र मनुष्य की स्वेच्छा से हो गया ध्वस्त : ukjosh

84 Lakh Yoni: परम तत्व के सामने 84 लाख यातनाएं यानि योनियां का पहाड़ ईश्वर के पुत्र मनुष्य की स्वेच्छा से हो गया ध्वस्त


84 लाख यातनाएं यानी योनियाँ  (84 lakh Yoni) का पहाड़ मनुष्य के सामने खड़ा कर रहा है।

स्वर्ग और नरक का रास्ता सीधा-साधा है, और सच्चे मन वालों के लिए स्वर्ग का रास्ता भी सीधा-साधा है।

संसार में जो सबसे बड़ा है, वह मेरी आत्मा है – जानिए, अपनी आत्मा और प्राण का उद्धार मनुष्य के हाथों में है।

संसार का भगवान कहता है कि – “क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जाओगे, खाली हाथ आये थे, खाली हाथ ही जाओगे।”

आत्मा का भगवान कहता है कि – ये सब झूठ है। मनुष्य आत्मा और प्राण लेकर उत्पन्न हुआ है, और आत्मा तथा प्राण की रक्षा स्वयं मनुष्य कर सकता है; उसे हमेशा के लिए जीवित (मुक्त) रखा जा सकता है। इसके लिए वह स्वतंत्र एवं जिम्मेदार है। 84 Lakh Yoni

संसार का भगवान कहता है कि – “जो जैसा करेगा, वह वैसा ही भरेगा,” यानी उसका फल उसे वैसा ही भुगतना होगा। इसके लिए 84 लाख यातनाएं, यानी योनियाँ का पहाड़ मनुष्य के सामने खड़ा है; जो जैसा करेगा, उसे वैसा ही भोगना होगा। तो समझ लो कि इस कीचड़ से कभी कोई बाहर नहीं निकल सकता – अर्थात् मनुष्य का छुटकारा नहीं है। 84 Lakh Yoni

आत्मा का भगवान कहता है कि – “हे थके और जीवन से निराश, हारे लोगों, मेरे पास आओ; अगर तू अपनी गुनाहों को मान ले, तो मैं तुझे माफ कर दूंगा।”
जिसे पुत्र माफ करेगा, उसका लेखा पिता परमात्मा नहीं रखेगा, और तुम सुख, शांति प्राप्त कर विश्राम में प्रवेश करोगे।

संसार का भगवान कहता है कि – “जो जिसको भजेगा, उसी को प्राप्त होगा,” यानी जो मूर्तियों की पूजा करेगा, वह मूर्तियों में जाएगा; जो पित्रों की पूजा करेगा, वह पित्रों को प्राप्त करेगा; जो देवी-देवताओं की पूजा करेगा, वही उन्हें प्राप्त करेगा।
जो मुझे काले को भजेगा, उसे मैं काला – अर्थात् अंधकार – ही प्राप्त करूंगा।

आत्मा का भगवान कहता है कि – “जो संसार में बड़ा उससे बड़ा मैं तेरी आत्मा में हूँ। इसलिए, अपनी आत्मा की सुन।
मैं न मंदिर में हूँ, न मजिसद में हूँ, न गुरुद्धार में हूँ, न चर्च में हूँ। जो मुझे अपनी आत्मा का गुरु स्वीकार कर लेगा, और विश्वास करेगा कि ईश्वर ने मुझे मृतकों में जीवित किया है और मैं जिंदा हूँ – अर्थात् जन्म-मृत्यु के नियम एवं बंधनों से मुक्त हूँ – तो मैं उसे मुक्त जीवन दूंगा।

क्योंकि मैं पिता परमात्मा के कारण जीवित हूँ; जो मुझ पर विश्वास रखेगा, उसे परमपिता के साथ जीवितों के देश, स्वर्ग में स्थान प्राप्त होगा।
क्योंकि ईश्वर अदम्य ज्योति में निवास करता है और जगत की ज्योति मैं हूँ; परमपिता परमेश्वर ज्योति में निवास करते हैं, अर्थात् ईश्वर के स्वर्ग में हमेशा उजियाला रहता है, जहाँ अंधकार का कोई नामोनिशान नहीं है।” 84 Lakh Yoni

संसार का भगवान – संसार का ज्योतिर्मय स्वर्गदूत – है, और ईश्वर की आज्ञाओं के उल्लंघन में स्वर्ग से नीचे फेंका गया है। जब उसे स्वर्ग से फेंका गया, तो उसका रूप कुरूप हो गया और ज्योतिर्मय काला सांप बन गया – अर्थात् कुरूप, चोर एवं अत्यंत आत्यात्मिक चोर, श्राप में है, और मूर्तियों में वास करता है। उसके लिए मूर्ति में प्राणप्रतिष्ठा करनी पड़ती है, और स्त्री के श्राप से उसका वंश कुल नष्ट हो चुका है – उसे धुधकारा गया है।

आत्मा का भगवान – आत्मा का भगवान – सर्वोच्च स्वर्ग में विराजमान परमपिता परमेश्वर की आज्ञाओं को मन से पूरा करने वाला है, जो अदम्य ज्योति में वास करने वाले ईश्वर की आज्ञाओं के कारण मनुष्य रूपी प्रज्ञा के लिए अपने स्वर्ग छोड़, पृथ्वी पर कुंवार कन्या और पवित्र आत्मा के द्वारा सृजित हुआ है।

इसलिए वह उजियाले की संतान है और जगत की ज्योति बन गया है; अतः वह श्रापों से मुक्त है और विश्वास योग्य प्रभु है, जिसने ईश्वर की सकल सूरत में बनी मनुष्य योनि को बचाने के लिए अपने देह का बलिदान ईश्वर की इच्छानुसार किया है।

जो उसे अपना गुरु स्वीकार करता है, उसी बलिदान के कारण मनुष्य अपने पापों से मुक्त हो जाता है, और ईश्वर पर विश्वास के कारण – क्योंकि ईश्वर ने यीशु को मृतकों में जीवित किया है – वह जीवित विश्वास के कारण मुक्ति प्राप्त कर लेता है।

तो आइए! 84 Lakh Yoni: परम तत्व के सामने 84 लाख यातनाएं यानि योनियां का पहाड़ ईश्वर के पुत्र मनुष्य की स्वेच्छा से हो गया ध्वस्त

हमने कई स्थानों पर पाया है कि जो कोई यीशु पर विश्वास करता है, अर्थात् यीशु को ईश्वर की परम सृष्टि के रूप में स्वीकार करता है, और अगर तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे तथा अपने मन में विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू उद्धार पाएगा।

यह उद्धार किसी मनुष्य, धार्मिक अनुष्ठान या कर्मकांड से नहीं, बल्कि केवल परमेश्वर की अनुकंपा और विश्वास द्वारा प्राप्त होता है।
यीशु ही वह सीढ़ी हैं, जिनके माध्यम से मनुष्य स्वर्ग की ओर चढ़ सकता है।

सच्ची मुक्ति केवल परमेश्वर में ही है।

मनुष्य के प्रयास, कर्मकांड, और सांसारिक धार्मिक व्यवस्थाएँ उसे सच्चे ईश्वर तक नहीं पहुँचा सकतीं।
केवल यीशु मसीह के माध्यम से ही हम पापों से मुक्त होकर स्वर्ग की सीधी चढ़ाई चढ़ सकते हैं।

आज ही इस सत्य को स्वीकार करें और परमेश्वर के प्रेम को अपनाकर अपने जीवन को अनंत आनंद और मुक्ति की ओर ले जाएं।

मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि इस संदेश का मूल सार यही है कि सच्ची मुक्ति और उद्धार केवल ईश्वर के प्रति सच्चे विश्वास से ही संभव है। अगर हम अपने अंदर के परमात्मा को अपना गुरु मानें और यीशु मसीह के बलिदान पर विश्वास करें, तो हम अपने पापों से मुक्त हो सकते हैं और एक उज्ज्वल जीवन की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

Manushya ki Bali: पवित्र मनुष्य की बलि में छिपाया गया है मुक्ति का राज; जो स्वीकार करेगा और मन विश्वास करेगा उसके लिए स्वर्ग का दरवाजा खुल जायेगा


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